रायपुर। राजधानी रायपुर की महत्वपूर्ण और उपयोगी दो योजनाओं का फायदा यहां रहने वाले हजारों लोगों को मिलेगा। रायपुर से कुम्हारी तक खारुन नदी के तट पर खारुन रिवर फ्रंट बनाया जाएगा। इससे रायपुर से कुम्हारी तक पहुंचने पर लगने वाला करीब पौन घंटे का समय समय घटकर महज 10 से पंद्रह मिनट का रह जाएगा। नदी के तट पर करीब 18 किमी की पैरलल सडक़ बनाई जाएगी। सडक़ के किनारे ग्रीनरी भी होगी। इससे रायपुर और कुम्हारी तक आने-जाने वाले लोगों को काफी फायदा होगा। दूसरी बड़ी योजना शारदा चौक से तात्यापारा तक सडक़ चौड़ीकरण है। यह प्रोजेक्ट पूरा होने से जीई रोड पर रोज चलने वाले हजारों लोगों को फायदा होगा और यहां पर ट्रैफिक जाम के हालात नहीं बनेंगे। दोनों योजनाएं पिछले कई वर्षों से लंबित है।
गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर रायपुर की लाइफलाइन मानी जाने वाली खारुन नदी पर भी खारुन रिवर फ्रंट विकसित करने पर विचार चल रहा है। पूर्व में इसे लेकर रायपुर विकास प्राधिकरण ने प्लान तैयार किया था और सर्वे इत्यादि भी की गई थी। कंपनी ने सर्वे करने के बाद रिपोर्ट भी तैयार की थी, लेकिन कुछ जमीन विवाद उपजने के बाद सरकार ने प्रस्ताव ही निरस्त कर दिया। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने आते ही इस योजना को नए सिरे से तैयार करने पर जोर दिया। इसे जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग मिलकर पूरा करेंगे। हालांकि विभागों की कभी संयुक्त बैठक नहीं हुई और ना ही योजना को लेकर धरातल पर तैयारियां ही शुरू हो पाई। इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना को लेकर अफसरों को अब स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि हर हाल में इसपर काम शुरू किया जाए। इससे राजधानी के हजारों-लाखों लोगों को फायदा होगा। अभी खारुन के दोनों ओर हरियाली की योजना पर काम चल रहा है। रायपुर के हिस्से में आने वाले करीब 4 किमी के हिस्से को नगर निगम रायपुर और स्मार्ट सिटी डेवलप करने वाले हैं। रायपुर मेयर एजाज ढेबर के मुताबिक रायपुर के हिस्से में रिवर फ्रंट में छोटे गार्डन, बैठने की जगह, झूले और तीज त्योहार पर लगने वाले मेलों के लिए जरूरी सुविधाएं जुटाने के काम होंगे। शारदा चौक से तात्यापारा तक करीब 700 मीटर का हिस्सा चौड़ीकरण के लिए बचा है। पिछले करीब पंद्रह साल से इसपर प्रयास चल रहे हैं, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चौड़ीकरण के लिए 10 करोड़ बजट मंजूर किए हैं। नगर निगम को इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजना है।