छत्तीसगढ़

चिरायु दल ने कराया जिले का पहला निःशुल्क कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी

Nilmani Pal
13 Oct 2022 2:40 AM GMT
चिरायु दल ने कराया जिले का पहला निःशुल्क कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी
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महासमुंद। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिथौरा के चिरायु दल के द्वारा लगातार विकासखंड के आंगनबाड़ी और शासकीय विद्यालय में जाकर 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चे स्वास्थ्य दल के द्वारा चिह्नांकित किए जाते हैं। इसी परीक्षण के दौरान चिरायु दल को पिथौरा विकासखंड से 40 किलोमीटर स्थित ग्राम राजपुर में जाँच के दौरान जन्मजात सुनने व बोलने में असमर्थ बच्ची शिवानी गहिर पिता जवाहर गहिर मिली। जिसको चिरायु दल द्वारा गंभीरता से लेते हुए ज़िला कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.आर. बंजारे एवं खंड चिकित्सा अधिकारी डॉॉ. तारा अग्रवाल के मार्गदर्शन में ज़िला सलाहकार डॉॉ. मुकुंद राव से सलाह लेकर तत्काल चिरायु दल के आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विरेंद्र प्रजापति, डॉ तनुजा चंद्राकर व फ़ार्मसिस्ट लेखरंजन पटेल ने चिरायु योजना का लाभ दिलाते हुए मेकाहरा रायपुर ले जाकर बच्ची का बेरा जाँच व अन्य जाँच कराया और महासमुंद से आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से कान में लगाकर सुनने की मशीन दिलायी।

बच्ची को चिरायु दल द्वारा लगातार विशेषज्ञों को दिखाया गया इस दौरान एम्स रायपुर में भी विशेषज्ञों को दिखाया गया और शिवानी का रायपुर के मेकाहरा अस्पताल में सफल कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी कराया गया। इस सम्बंध में विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. तारा अग्रवाल का कहना है की अपनी जन्म से सुनने और बोलने में सक्षम न होना एक गंभीर समस्या है, जिसका असर आजीवन रह सकता है। यदि अभिभावक इसको लेकर शुरुआती समय में सावधान रहें तो बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकता है। मासूमों में बोलने और सुनने की समस्या का सफल उपचार कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से संभव है जन्म के बाद जब बच्चा सुनना शुरू करता है तो ही उसमें बोलने की क्षमता का विकास होता है। आमतौर पर छह माह की आयु तक अभिभावकों को पता चल जाता है कि उनके बच्चे को सुनने में कोई समस्या है या नहीं। यदि समस्या होती है तो तुरंत चिकित्सक या ईएनटी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी एक सफल उपचार है, जिससे सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है। ध्यान देने वाली बात है कि यह पांच वर्ष तक के बच्चों में ही सफल होती है। इसलिए बच्चे की आयु पांच वर्ष होने से पहले ही उपचार करवाना आवश्यक है।

राजपुर के पाँच वर्षीय शिवानी गहिर की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी सितम्बर में ही हुई है। शिवानी के नाना आर . के . निवर्ग़िया कहते हैं कि सर्जरी में उन्हें एक भी रुपये खर्च नहीं करने पड़े, सारा खर्च स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। चिरायु योजना से आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को बहुत मदद मिल रही है। शिवानी की मां सुषमा बताती हैं कि सर्जरी के बाद बच्ची को बहुत जल्दी बहुत ही अधिक लाभ मिला है, अब वह सुनती है और बोलना भी सीख रही है। सुषमा चाहती हैं कि लोग इसके लिए जागरूक हों ताकि दूसरे बच्चों को भी लाभ मिल सके.

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