छत्तीसगढ़

विश्वकर्मा जयंती आज

Nilmani Pal
17 Sep 2022 2:07 AM GMT
विश्वकर्मा जयंती आज
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विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर यानी आज है. भगवान विश्वकर्मा को देवी-देवताओं का इंजीनियर कहा जाता है. ऐसा कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया था, लेकिन इसे सजाने-संवारने का काम विश्वकर्मा जी ने ही किया था. देवी-देवताओं के भवन, महल और रथ आदि के निर्माता भी स्वयं भगवान विश्वकर्मा ही हैं. क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण ने जिस सोने की लंका में सीता को कैद करके रखा था, वो भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान शिव के साथ वैकुण्थ गईं और वहां की सुंदरता देख मंत्रमुग्ध हो गईं. कैलाश पर्वत वापस लौटने के बाद उन्होंने भगवान शिव से एक सुंदर महल बनवाने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान शिव ने ही विश्वकर्मा और कुबेर से सोने का महल बनवाया था. ऐसा कहते हैं कि रावण ने गरीब ब्राह्मण का रूप धारण करके शिवजी से दान में सोने की लंका मांग ली थी. हालांकि महादेव रावण को पहचान गए थे, इसके बावजूद वो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहते थे और तभी उन्होंने उसे सोने की लंका दे दी. ये बात जब माता पार्वती को पता चली तो वो बहुत नाराज हुईं और उन्होंने सोने की लंका जलकर भस्म हो जाने का श्राप दे दिया. यही कारण है कि आगे चलकर हनुमान जी ने अपनी पूंछ से सोने की पूरी लंका को जलाकर भस्म कर दिया था.

श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका का भी निर्माण किया था. उन्होंने वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए ही इसकी चौड़ी सड़कें, चौराहे और गलियों को बनाया था.

महाभारत के अनुसार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के नगरों का विध्वंस करने के लिए भगवान शिव सोने के जिस रथ पर सवार हुए थे, उसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था. इसके दाएं चक्र में सूर्य और बाएं चक्र में चंद्रमा विराजमान थे. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, विश्वकर्मा जी के वानर पुत्र नल ने भगवान श्रीराम के कहने पर रामसेतु पुल का निर्माण किया था. विश्वकर्मा का पुत्र होने के कारण ही नल शिल्पकला जानता था. इसीलिए वो समुद्र पर पत्थरों से पुल बना सका था.


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