छत्तीसगढ़

उजाले के लिए तरस रहे ग्रामीणों को मिली अंधेरे से आजादी...नक्सल प्रभावित छिंदगुर, कांदानार और मुंडागढ़ गांव हुआ रौशन

HARRY
23 Aug 2021 12:53 PM GMT
उजाले के लिए तरस रहे ग्रामीणों को मिली अंधेरे से आजादी...नक्सल प्रभावित छिंदगुर, कांदानार और मुंडागढ़ गांव हुआ रौशन
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बस्तर। प्राकृतिक सुंदरता और मनोहारी दृश्य के बीच भोले-भाले लोग बस्तर की पहचान है। नक्सली आंतक के बीच वर्षों से विकास में पीछे बस्तर इलाके का अंदरूनी हिस्सा बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज रहा। ऐसा ही छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव है, जो सदियों से अंधेरे में ही डूबा रहा। विकास का पहिया यहां तक नक्सली भय की वजह से पहुचा ही नहीं। बिजली, पानी और सड़क की मांग को लेकर यहां के लोग आवाज उठाते तो थे, लेकिन आवाज वर्षों तक दबी की दबी ही रहीं। दरभा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाला कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के गोद में बसा धुरवा जनजाति बहुल्य सुंदर सा गांव कोलेंग के आसपास छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव के लोग अपने गांव में बिजली नहीं पहुच पाने से अंधेरे में ही डूबे रहे। जिससे लोगों का जीवन अत्यंत संघर्षमय होता चला गया। कई बार मूलभूत सुविधाओं की मांग करने वाले क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी नक्सलियों ने अपना शिकार बनाया। दहशत और खौफ के साये में जी रहे इन गांवों में विकास का सूरज तब निकला जब शासन-प्रशासन द्वारा कोलंेग में सुरक्षा बलों के कैम्प की स्थापना की गई। कैम्प स्थापना के साथ ही तेजी से हुए विकास कार्यों की बदौलत जब गांव में स्वतंत्रता दिवस के 75 वें वर्षगांठ की पूर्व संध्या में बिजली आई तो गांववालों के लिए मानों अंधेरे से आजादी मिलने के साथ एक नया सबेरा था।

दरभा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ गांव के लोगों में अब बिजली पहुच जाने की खुशी है। गांव के दशमू, सुबलू, लैखन एवं छेनूराम सहित सभी ग्रामीण खुश होकर कहते हैं कि अब हम भी रात में उजाले में रहकर अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा-लिखा सकते हैं। ग्रामीण दशमू ने कहा कि गांव में बिजली नहीं होने से शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। गांव के बच्चे अंधेरा होने के बाद सो जाते हैं। अब बिजली आने से गांव के बच्चे देर रात्रि तक पढ़ाई कर सकते हैं और टीवी सहित अन्य संचार साधनों से भी जुड़कर ज्ञान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वह पहले बिजली के महत्व को नहीं समझते थे। उसका गांव दुर्गम इलाके में बसा है, ऐसे में उन्होंनेे कभी सोचा भी नहीं था कि वन क्षेत्र के बीच इस गांव में बिजली की सुविधा मिल पायेगी। यहां बिजली पहुचाकर सरकार ने ग्रामीणों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है। दशमू ने कहा कि वह अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करेंगे और बिजली के महत्व को भी बतायेंगे।

ग्राम छिन्दगुर, कांदानार एवं मुण्डागढ जिसमें कुल 24 मजरा टोला है। जिला मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर है। यहां राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत विद्युत लाइन विस्तार का कार्य लगभग तीन करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण किया गया है। जिसमें 48 किलोमीटर 11 किलोवाट की लाइन बिछाने के साथ ही 19 नग 25 केवीए ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं। 42 किलोमीटर निम्न दाब लाइन बिछाने के साथ ही 571 घरों में निःशुल्क विद्युत कनेक्शन भी प्रदाय किया गया है। 100 बीपीएल परिवार वाले छिन्दगुर के उपरपारा, थानागुडी पारा, बुलकापार एवं सल्फीपदर पारा को प्रथम चरण में रौशन किया गया है। शेष 20 मजरा टोलों को इस माह के अंत तक अर्थात 31 अगस्त तक रौशन कर दिया जाएगा।

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