छत्तीसगढ़

उनके चेहरों पर पर्दा तो कल भी लगवाते थे, इसमें नई बात क्या है?

Nilmani Pal
8 March 2024 6:36 AM GMT
उनके चेहरों पर पर्दा तो कल भी लगवाते थे, इसमें नई बात क्या है?
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ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

8 मार्च को महिला दिवस पर एक विचित्र नजारा देखने को मिला। जो लोग महिलाओं के नैन, नक्स, शान-ओ-शौकत पर साल भर जुबानी जमा खर्च करने मेंं पीछे नहीं रहे वो भी महिला दिवस पर महिला सम्मान समारोह आोजित कर यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि हमसे बड़ा कोई महिला का सम्मान करने वाला नहीं हैं। सम्मान मंच पर महिलाओं के सम्मान में बड़ी बड़ी बातें करने वाले ये मगरमच्छ और गिरगिट की तरह रंग बदलते देख उनके करीबियों को पहले पहल यह बड़़ा आश्चर्य हुआ कि जो अपनी बहन, बेटियों और पत्नी से और कार्यालयीन महिला कर्मचारियों से सीधे मुंह बात नहीं करते वो ही महिला सम्म्मान की बातें करते है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यहीं तो गिरगिट और मगरमच्छ की पहचान है जो समय के अनुरूप अपने चाल चरित्र को ढाल लेता है। नहीं तो ये लोग ही राह चलते महिलाओं पर फब्तियां कसते रहते हैं। लोगों को आज बदला हुआ देखकर किसी ने ठीक ही कहा है कि उनके चेहरों पर पर्दा तो कल भी लगवाते थे, इसमें नई बात क्या है? पर्दा लगाओ थोड़ा खुद की गलत नजर पर, जिससे अक्सर वो असुरक्षित महसूस करती हैं।

ये आकाशवाणी कोरबा है आओ चुनते है अपने मनपसंद के उम्मीदवार

छत्तसीगढ़ में भाजपा ने अपने लोकसभा के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस भी करने वाली है लेकिन एक सीट कोरबा है जहां कांग्रेस की सांसद हैं उन्हें फिर से उतरा जायेगा। बीजेपी से सरोज पांडे और कांग्रेस से चरणदास महंत की धर्मपत्नी ज्योत्सना महंत मैदान में रहेंगी। पिछले चुनाव में भी मोदी लहर था अभी भी दिख रहा है। कहा जाता है कि सरोज पाण्डे दुर्ग से चुनाव हार चुकीं हैं, वजह बताया जा रहा है की साहू समाज सरोज से नाराज थे। अब वे कोरबा को सुरक्षित सीट मानकर उधर की ओर रूख की हैं। उधर भी साहू वोटर मौजूद है अब देखना है कि साहू समाज का क्या मूड है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दोनों प्रत्याशी आकाशवाणी में उदघोषक रह चुके हैं। अब देखना है कि दोनों उदघोषक जनता को कितना भाइयों और बहनों कह पाते हैं और उनके लिए यह सीट सुरक्षित है या असुरक्षित जनता बताएगी।

आईएएस-आईपीएस का डर

बात पूर्व मंत्री डा. शिवकुमार डहरिया की पत्नी के एनजीओ के दफ्तर में तालाबंदी को लेकर हो रही है। आईएएस अधिकारी भी उनकी सत्ता रहते खामोशी के साथ उनके फेवर में काम करते रहे। अब वही आईएएस महोदय उनके काम में अडंगा लगा रहे हैं। क्योंकि अब उन्हें ऐसा करने बोला जा रहा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि जब आईएएस अधिकारी को अपनी कुर्सी जाने का इतना डर था तो छोटे अधिकारी कर्मचारी के डर के बारे में बोलने या सुनने को कुछ बचता ही नहीं।

बैज और बलि

पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने पिछले दिनों बयान जारी किया की बृजमोहन और सरोज पांडे को बलि का बकरा बनाया गया। आधादर्जन सांसदों का टिकट कटना यह बताता है की लोगों में भाजपा और केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा है। जनता में खुसुर फुसुर है की तीन महीने पहले जनता जनार्दन ने अपना आदेश दे दिया था फिर अब गुस्सा किससे है बात समझ में नहीं आ रहा है। वहीँ दूसरी ओर बृजमोहन के सामने कोई आने को तैयार नहीं है क्योंकि बृजमोहन खुद बलि ले लेते हैं।

बलि तो जंगल सफारी भी ले रहा

पिछल दिनों विधानसभा सत्र के दौरान जंगल सफारी में चौसिंगा सहित अन्य वन्य जीवों की मौत का मामला सदन में जबरदस्त रूप से गूंजा था, और तो और विधानसभा अध्यक्ष डा. रमनसिंह ने भी कहा था कि तीन -चार साल तक सस्पेंड रहे डारक्टर को फिर से उसी जगह पर क्यों पदस्थ किया गया। बल्कि यह भी पता चला है कि उक्त डाक्टर को जानवरों की समस्या जानने साउथ अफ्रिका भी भेजे जाने की तैयारी चल रही है । जनता में खुसुर-फुसुर है कि जिस डाक्टर के रहने से जंगल सफारी में वन्य जीवों की बलि पर बलि ले रहा था, उस डाक्टर पर इतनी मेहरबानी क्यों? सरकार बदलने के बाद जंगल सफारी की व्यवस्था बदलेगी या वही ढर्रा जारी रहेगा।

चुनाव आयोग की हिदायत

लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही चुनाव आयोग भी सक्रिय हो गया है और सभी राजनीतिक दलों को हिदायत दिया है की कोई भी दल चुनाव प्रचार में धर्म, जाति और गलतबयानी से बचकर ही चुनाव प्रचार करें वर्ना सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव आयोग ने अपना काम कर दिया अब राजनीतिक दलों को अपना काम करना होगा।

युकां ने गृह मंत्री का पुतला फूंका

पिछले दिनों युकां ने बढ़ते अपराध को लेकर गृह मंत्री का पुतला दहन किया और कहा कि जब से बीजेपी की सरकार आई है अपराध बढ़ गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पिछले पांच सालों में रामराज्य आ गया था क्या लोग अमन चैन की जिंदगी बिता रहे थे क्या। ये तो कांग्रेसी ही अच्छे से बता पाएंगे। दूसरी ओर एक कांग्रेस नेता ने बढ़ती नक्सल गतिविधियों पर बयान जारी करते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार की अकर्मण्यता के कारण ऐसा हो रहा है। क्या पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में नक्सली गतिविधियां शून्य थी और भाजपा सरकार में बढ़ गई है? इसका अब क्या मतलब समझे ?

महतारी नाराज

महतारी वंदन योजना की राशि महतारी दिवस पर आते-आते 10 तारीख तक आगे बढ़ जाने से महिलाओं में नाराजगी साफ देखी जा रही है। 20 फरवरी से महिलाओं बैंक खाता अपडेट करवाने के साथ केवायसी और डीबीटी के लिए खाना पीना छोड़कर बैंक में डटे रहे। सीएम ने घोषणा की थी कि जो महिलाएं आवेदन से चूक गई है उन्हें आगे मौका दिया जाएगा। इसके बाद भी महिलाओं ने महतारी वंदन योजना की राशि भले ही 1000 रुपए हो लेकिन 1000 चक्कर बैंक का लगाकर अपना खाता अपडेट करा कर ही छोड़ा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यही तो महतारी की ताकत है जो एक बार ठान ली तो फिर पीछे नहीं हटती। इसलिए सरकार ने 8 मार्च की जगह 10 मार्च कर कोई रिस्क नहीं लेने चाहती है।

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