कोरबा। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं जेल विभाग रायपुर के संयुक्त तत्वाधन में अभियान 'उन्मुक्त' प्रारंभ किया गया है। इसके अंतर्गत उन दोषसिद्ध सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया जाएगा,जो राज्य शासन की बनाई गई नीति के अनुसार समय-पूर्व रिहाई के पात्र है। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश एवं बिहार को यह दायित्व सौंपा गया है कि वह 1 अगस्त से पायलट प्रोजेक्ट को लागू कर पात्र दोषसिद्ध बंदियों को रिहा किए जाने बाबत् आवश्यक कार्यवाही करेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यपालक अध्यक्ष सालसा की ओर से इस अभियान की बारीकी से निगरानी की जा रही है। इस बाबत राज्य के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष को आदेश दिया गया है कि वे जेल प्रशासन की आवश्यक मदद करें।
यह अभियान 4 प्रमुख चरणों से गुजरेगा, जिसमें प्रथम चरण के अंतर्गत पात्र दोषसिद्ध बंदियों को पहचान करते हुये उनकी ओर से आवेदन प्रस्तुत कराकर एवं आवश्यक दस्तावेज संकलित कर उन्हें रिहा किये जाने बाबत कार्यवाही की जावेगी। यदि किसी पात्र बंदी का आवेदन निरस्त किया जाता है तब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से ऐसे बंदियों की ओर से विधिक सहायता उपलब्ध कराकर अपील की कार्यवाही की जायेगी। इससे पूर्व न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यपालक अध्यक्ष, सालसा के की ओर से रिट पिटीशन क्र. 78/2017 पक्षकार अमरनाथ विरुद्ध छग राज्य के अंतर्गत जिला न्यायालयों में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों को पूर्व से ही यह निर्देश दिये जा चुके है कि वह दोषसिद्ध बंदियों की धारा 432(2) दंप्रसं के अंतर्गत रिहा किये जाने के संबंध में अपना अभिमत दिये जाने की कार्यवाही 3 माह क्रे भीतर पूर्ण करेंगे।