युनिपोल स्कैम: राज्य सरकार ने निगम के तीन अफसरों को हटाया
अपर आयुक्त चंद्रवंशी को मूल विभाग में भेजा
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करा रहे
रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के नेतृत्व में यूनीपोल में हो रहे करोड़ों के भ्रष्टाचार के विषय में महापौर एजाज ढेबर को भाजपा पार्षद दल के साथ मिलकर सोमवार को ज्ञापन सौंपा गया। नेता प्रतिपक्ष श्रीमती चौबे ने कहा कि शहर के प्रथम नागरिक अगर यूनीपोल में भ्रष्टाचार की बात कह रहे हैं तो तथ्यात्मक जानकारी के साथ ही कह रहे होंगे। जांच कमेटी में भी वे अपने ही सदस्यों को रखे हैं तो आप भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करा रहे है। हम समस्त भाजपा के पार्षद दल इस भ्रष्टाचार का कड़ा विरोध करते है, लेकिन महापौर कार्रवाई करते हुए दोषियों पर एफआईआर दर्ज करवाएं। इस अवसर पर मनोज वर्मा, मृत्युंजय दुबे, डॉ. प्रमोद साहू, विनोद अग्रवाल, सरिता वर्मा, सीमा संतोष साहू, सीमा मुकेश कंदोई आदि उपस्थित थे।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राज्य शासन ने सोमवार को नगर निगम के तीन अफसरों को हटा दिया है। ये अधिकारी जांच के घेरे में थे। शासन की इस कार्रवाई को यूनीपोल घोटाले से जोडक़र देखा जा रहा है। शासन की ओर से आदेश जारी होने के कुछ घंटों के भीतर ही अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी को मूल विभाग सामान्य प्रशासन में भेजने के लिए पत्र लिख दिया गया है। प्रतिनियुक्ति पर निगम में नगर निवेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे बीआर अग्रवाल को राजनांदगांव नगर निगम के लिए रिलीव कर दिया गया है। नगर निवेश विभाग में ही सहायक अभियंता रहे आभाष को भी मंत्रालय अटैच करने का आदेश जारी कर दिया गया है। यूनीपोल लगाने में धांधली सामने आने के बाद से ही नगर निवेश विभाग के अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है। महापौर की अध्यक्षता में बनी समिति इसकी जांच कर रही है। चौंकाने वाली बात है कि निगम से सामान्य प्रशासन विभाग भेजे गए अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी खुद इस समिति के सदस्य हैं। अपर आयुक्त चंद्रवंशी को पिछले साल ही प्रतिनियुक्ति पर रायपुर आया गया था। करीब सवा साल के कार्यकाल के बाद उनके मूल विभाग मंत्रालय सामान्य प्रशासन भेज दिया गया है।
अधिकारियों पर कंपनी को फायदा पहुंचाया का आरोप
नगर निगम में करीब 27 करोड़ का मिनी यूनिपोल घोटाला फूटा है। अफसरों पर यूनिपोल लगाने वाली कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप है। इसकी जांच के लिए महापौर की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया है। समिति कई बिंदुओं पर घोटाले की जांच कर रही है। समिति ने अफसरों से 17 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। उनके जवाब के बाद मामले में प्रतिपरीक्षण और फिर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जानी है। इससे पहले ही अफसरों पर कार्रवाई कर दी गई है।