छत्तीसगढ़

यूनीपोल स्कैम: अब सरकार भी करेगी जांच

Nilmani Pal
17 May 2023 5:34 AM GMT
यूनीपोल स्कैम: अब सरकार भी करेगी जांच
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नगरीय प्रशासन ने तीन सदस्यीय टीम बनाई, निगम की टीम ने अब तक नहीं सौंपी जांच रिपोर्ट

राजधानी में अवैध होर्डिंग्स-यूनीपोल को लेकर जनता से रिश्ता ने सबसे पहले छापी रिपोर्ट

यूनीपोल कंपनी ने निगम और राज्य सरकार के साथ की धोखाधड़ी, केंसिल जीएसटी नंबर देकर लगाया चूना

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी रायपुर में मिनी यूनीपोल लगाने वाली कंपनी की नई गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. कंपनी ने टेंडर हासिल करने के बाद नगर निगम को जो जीएसटी नंबर दिया था वह 2020 में कैंसिल हो गया था. यह बड़ा और गंभीर मामला है. जीएसटी नम्बर के आधार पर ही कोई कंपनी अपने बिजनेस का संचालन करती है और उसी आधार पर वह केंद्र और राज्य सरकार को टैक्स का भुगतान करती है. कैंसिल जीएसटी का नम्बर देकर नगर निगम के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी का मामला बनता है,. यह पूरा मामला अब शासन स्तर पर पहुंच गया है. शासन ने नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों की टीम बनाई है. यह टीम अब इस पूरे मामलों की जांच करेगी।

यूनीपोल लगाने वाली कंपनी ग्रेसफूल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने शर में स्मार्ट टॉयलेट में यूनीपोल लगाने के लिए दस साल का अनुबंध किया था. इसके लिए त्रस्ञ्ज नंबर दिया गया था. वह अगस्त 2020 में ही कैंसिल हो गया है. जीएसटी से जुड़े जानकारों का कहना है कि आमतौर पर किसी कंपनी का त्रस्ञ्ज नंबर तब कैंसिल किया जाता है जब कंपनी नियमित तौर पर त्रस्ञ्ज रिटर्न दाखिल नहीं करती। नंबर या तो फ्रीज कर दिया जाता है या उसे कैंसिल कर दिया जाता है. कंपनी का जीएसटी नंबर रिटर्न दाखिल नहीं करने के कारण कैंसिल हुआ है तो वह कंपनी काम करने के योग्य नहीं मानी जाती। उसे कोई सरकारी काम ही नहीं दिया जा सकता। ऐसी कंपनी को निगम अफसरों ने किस भरोसे से पोरे शहर में यूनीपोल लगाने का ठेका दे दिया। कंपनी यूनीपोल लगातार राजस्व प्राप्त कर रही है और वह त्रस्ञ्ज रिटर्न दाखिल नहीं कर रही है तो यह त्रस्ञ्ज चोरी का मामला बनता है. कंपनी के आधा दर्जन चेक बाउंस हुई है. कंपनी के प्रोपाइटर ने 30 से 35 लाख रूपए का घाटा बताया है. फिर उसे किस आधार पर काम दिया गया. शासन की समिति इन सब बिन्दुओं पर भी जांच करेगी। जांच के लिए गठित कमिटी में सूडा के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष कुमार टिकरिहा, शेफ इंजीनियर उमेश कुमार धलेंद्र सहित 3 सदस्य शामिल है.

एक हप्ते में रिपोर्ट नहीं दे पाई निगम की जांच कमेटी

शहर में 27 करोड़ का यूनिपोल घोटाला हुआ। निगम ने इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई। एक हफ्ते का समय दिया। सोमवार को इसकी मियाद खत्म हो गई। लेकिन, जांच टीम की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मामले में अब राज्य सरकार की एंट्री हुई है। नगरीय प्रशासन विभाग ने नए सिरे इसकी जांच करने 3 अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है।

टीम ने नहीं सौंपी रिपोर्ट

बता दें कि घोटाला फूटने के बाद निगम ने पिछले हफ्ते जांच टीम बनाई थी। 6 सदस्यीय इस टीम को एक हफ्ते में बताना था कि किनकी शह में भ्रष्टाचार का खेल सालों से चलता रहा। सोमवार को मियाद खत्म होने के बाद भी टीम ने कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी। इसी बीच राज्य सरकार ने खुद इस मामले की जांच का फैसला लिया है। इसके लिए सूडा के एडिशनल सीईओ आशीष टिकरिहा, चीफ इंजीनियर यूके धनेंद्र समेत 3 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई है। हालांकि, निगम द्वारा गठित जांच कमेटी भी अपना काम करती रहेगी। सूडा के एडिशनल सीईओ ने बताया कि यूनिपोल घोटाले में जांच के लिए उन्हें अधिकारी नियुक्त करने की जानकारी मिली है। फिलहाल वे छुट्टी पर हैं। 22 मई को ज्वाइन करने के बाद इन्वेस्टिगेशन में शामिल होंगे।

जांच कमेटी के संयोजक श्रीकुमार मेनन ने बताया, इस पूरे मामले में प्रशासनिक गड़बड़ी उजागर हुई है। इसकी रिपोर्ट टीम में शामिल अधिकारियों को तैयार करनी है। निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी इस बीच छुट्टी में थे, जिससे दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए। इस वजह से जांच रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई।

ऐसे हुआ घोटाला

ग्रेसफुल मीडिया कंपनी को 18 स्मार्ट टॉयलेट बनाने का ठेका मिला। हर टॉयलेट के अगल-बगल 2 यूनिपोल लगाने थे। यानी कुल 36। कंपनी ने 51 जगहों पर यूनिपोल लगवा दिए।

इसके अलावा शहर के 79 में से 46 मिनी यूनिपोल लगाने का ठेका भी इसी कंपनी को मिला। कंपनी ने तय साइज से बड़े यूनिपोल लगवाए। वो भी उन सड़कों पर जिसकी अनुमति ही नहीं मिली थी।

ग्रेसफुल मीडिया को 3 साल के लिए ठेका मिला था। समयावधि खत्म होने के बाद भी कंपनी काम करती रही। जिम्मेदार चुप रहे। निगम को इससे 27 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान हुआ है।

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