छत्तीसगढ़

भतीजे का संपत्ति हड़पना चाहता था ताऊ, हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार जुर्माना

Nilmani Pal
22 Feb 2024 2:56 AM GMT
भतीजे का संपत्ति हड़पना चाहता था ताऊ, हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार जुर्माना
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कोर्ट को किया गुमराह

यूपी। इलाहाबाद हाईकोर्ट में तथ्य छिपाकर जनहित याचिका दाखिल करना एक याची को भारी पड़ गया। कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी साथ ही उस पर 25 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। हर्जाने की रकम अनाथ बच्चों के हित में उपयोग करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने रामपुर के इंदर सिंह मेहता की जनहित याचिका पर दिया है।

जनहित याचिका में याची ने एसडीएम बिलासपुर द्वारा 25 अक्टूबर 2021 के आदेश को लागू कराने की मांग की थी। इस आदेश में एक विवादित भूमि से अनधिकृत कब्जा हटाने को कहा गया था। याची ने इससे पूर्व भी इसी मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारी को निर्णय लेने का आदेश दिया था। एसडीएम द्वारा आदेश दिए जाने के बाद उसे लागू कराने के लिए दोबारा याचिका दाखिल की गई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याची के अधिवक्ता से विशेष रूप से यह सवाल किया की क्या याची का विपक्षी कब्जाधारक से कोई संबंध है। इस पर याची की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया कि उसका विपक्षी से कोई संबंध नहीं है। उसने यह याचिका सिर्फ लोक कल्याण के उद्देश्य से दाखिल की है।

कोर्ट ने जब एसडीएम बिलासपुर का आदेश देखा तो पता चला कि याची और विपक्षी आपस में रिश्तेदार हैं। याची विपक्षी का रिश्ते में ताऊ लगता है। उसने अपने भतीजे को उक्त जमीन से बेदखल करने के लिए याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दर्जनों आदेशों की नजीरें प्रस्तुत करते हुए कहा कि व्यक्ति को न्यायालय स्वच्छ इरादे से आना चाहिए। तथ्य छिपाकर या न्यायालय को गुमराह करके आदेश प्राप्त करने के लिए दाखिल याचिका को हर्जाने के साथ खारिज करना चाहिए।

इसी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने डीएम रामपुर को निर्देश दिया कि याची से यह धनराशि वसूल कर हाईकोर्ट के महानिबंधक के खाते में जमा करें। महानिबंधक इस धनराशि को राजकीय बाल गृह शिशु खुल्दाबाद के खाते में स्थानांतरित करें और उसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करें।

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