छत्तीसगढ़

मुठभेड़ों को लेकर आहत है आदिवासी

Nilmani Pal
2 Nov 2022 9:46 AM GMT
मुठभेड़ों को लेकर आहत है आदिवासी
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सुकमा। नक्सल प्रभावित बस्तर में आदिवासी एक साल से आंदोलित हैं। पुलिस नक्सली मुठभेड़ों को लेकर आदिवासी आहत हैं। उल्लेखनीय है कि मूलवासी बचाव मंच सिंगाराम में पिछले एक साल से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। मंगलवार को इस धरना विरोध प्रदर्शन का एक साल पूर्ण होने पर मूलवासी बचाओ मंच ने इसे स्थापना दिवस के रूप में मनाया। वे सिंगाराम पुलिस मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, एआईएसएफ प्रदेश अध्यक्ष महेश कुंजाम, सोड़ी कोसा, माड़वी गंगा, हांदा, कड़ती देवा, सेमल दीपक सहित अन्य सीपीआई नेता शामिल हुए।

मूलवासी बचाओ मंच ने बताया कि वर्ष 2009 में सिंगाराम, मैलासूर, दन्तेशपुरम, कोर्रापाड़ा के 18 आदिवासी ग्रामीणों को पकड़कर पुलिस बलों द्वारा निर्मम हत्या की गई। पिछले वर्ष 1 नवंबर 2021 से इस घटना में मारे गए लोगों की न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है, आज सिंगाराम मूलवासियों के आन्दोलन का 1 साल पूरा हुआ। अब तक सरकार की ओर से कुछ भी नतीजे सामने नहीं आया है, इसलिए सिंगाराम नरसंहार के विरोध में 1 नवम्बर को ग्राम सिंगाराम में आमसभा की गई । उन्होंने बताया कि हमारी मांग है कि नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़, घायलों को 50- 50 लाख की मुआवजा राशि दी जाए। नरसंहार में शामिल दोषी पुलिस अधिकारियों व जवानों पर कार्रवाई की जाए। 5वीं अनुसूची इलाके में ग्रामसभाओं को अधिकार दिया जाए। आदिवासियों दिए गए 32 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। केंद्र सरकार द्वारा 2022 में लागू किया गया वन संरक्षण कानून वापस लिया जाए। सिलगेर सहित बस्तर में संभाग में तैनात सभी पुलिस कैम्प को वापस लिया जाए।


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