छत्तीसगढ़

आदिवासी महिलाओं ने रेशम पालन से थामी कमाई की डोर, काफी लगन और मेहनत से सीखा काम

Admin2
26 July 2021 5:21 PM GMT
आदिवासी महिलाओं ने रेशम पालन से थामी कमाई की डोर, काफी लगन और मेहनत से सीखा काम
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नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में अब रेशम की डोर से आदिवासी महिलाएं खुशियों का ठिकाना खोज रही हैं। जिले के गीदम ब्लॉक के छोटे से गांव बिंजाम की महिलाएं कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर अपनी कमाई के स्रोत को बढ़ा रहीं हैं और जीवनस्तर को बेहतर कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। विशेष केन्द्रीय सहायता एवं केन्द्रीय क्षेत्रीय योजना मद अन्तर्गत 4 लाख 37 हजार 5 सौ रूपये की लागत से ग्राम बिंजाम में 15 परिवार के हितग्राहियों को कुल 10 नग बुनियादी रीलिंग मशीन तथा 5 नग कताई मशीन प्रदाय किया गया। इन 15 हितग्राही परिवार की महिलाओं को मशीन प्रदान के साथ-साथ ही 15 दिवस रीलिंग तथा कताई कार्य हेतु कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिया गया। वर्तमान में इन हितग्राहियों द्वारा कोसाफलो से धागाकरण कार्य करके रेशम धागे रील्ड यार्न तथा घीचा यार्न का उत्पादन किया जा रहा है। जिसे वे व्यापारियों को विक्रय कर आर्थिक आमदनी प्राप्त कर रही हैं साथ ही रोजगार हेतु इन्हें गांव से बाहर जाना नहीं पड़ता, महिलाओं द्वारा अपने ग्राम बिंजाम पर ही रह कर रोजगार प्राप्त कर आर्थिक लाभ अर्जित किया जा रहा है।

पहले यहां खेती, घर की बाड़ी और जंगली उत्पादों की ब्रिकी से ही महिलाओं और उनके परिवार का जीवनयापन होता था। जीवनस्तर सामान्य से भी नीचे स्तर का था, लेकिन अब महिलाएं कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर अपने जीवन के ताने-बाने बुन रही हैं। काफी लगन और मेहनत से सीखा काम महिलाओं ने कोसा से धागा निकालने की कला को निखारते हुए आगे बढ़ रही हैं। इस काम के पीछे सोच दंतेवाड़ा कलेक्टर श्री दीपक सोनी की है, जिन्होंने महिलाओं को कोसा से धागा निकालने का काम सुझाया। हर महीने चार से पांच हजार रूपए तक की आमदनी महिलाओं को हो रही है।

समूह की महिलाएं कोसा खरीदी से लेकर, धागा बनाने और उसे बेचने तक का काम सीख चुकी हैं, कोसा से धागा निकालने की प्रक्रिया में सबसे पहले दीदियां कोसे की ग्रेडिंग करती हैं। ग्रेडिंग के बाद प्रतिदिन के हिसाब से कोसा उबाला जाता है और उबले हुए कोसे से धागा बनाया जाता है। इसके बाद इसे पैकिंग कर व्यापारियों को बेचा जाता है, बिक्री से आए रुपयों से पहले कोसे का पैसा रेशम विभाग को चुकाया जाता है. इसके बाद बचे हुए रुपयों से दीदियां अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने और परिवार को चलाने में उपयोग करती हैं। खुद के साथ परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। महिलाओं ने बताया कि प्रशासन की इस पहल से उन्हें रोजगार तो मिला ही है, साथ में उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक हुई है। महीने में 5 से 6 हजार रुपए की आमदनी उन्हें हो जाती है। जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति सुधरी है।

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