आदिवासी कलाकार ने किया छत्तीसगढ़ का नाम रोशन, मिला पद्मश्री सम्मान
रायपुर। बस्तर की कला, कलाकार और उनकी कलाकृतियां विश्व प्रसिद्ध हैं. नक्सलियों की गोली और बारूद की गंध के बीच भी लोग अपनी कला को निखारने से पीछे नहीं हट रहे. उसी का नतीजा है कि जेल में बंद नक्सलियों और आब कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करने वाले कलाकार को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा.
कला किसी का मोहताज नहीं होती, जितनी उकेरी जाए उतना ही निखार आता है. इस वाक्य को सिद्ध कर दिखाया है कांकेर जिले के आदिवासी कलाकार अजय मंडावी ने, जिनका नाम इस वर्ष पद्मश्री पाने वाले की सूची में शामिल है. अजय मंडावी बचपन से उड़न आर्ट (काष्ठकला) का काम कर रहे है. इनकी कला का लोहा साहित्यप्रेमी मानते हैं, जो छत्तीसगढ़ में अलग पहचान रखती है. वर्तमान में अजय जिला जेल कांकेर में बंद कैदियों को काष्ट कला का प्रशिक्षण देते है. अजय मंडावी अपनी कला के माध्यम से बहुत से कला कृतियां तैयार करने के साथ ही बाइबिल का लेखन भी कर चुके हैं.
अजय मंडावी को उनकी जिस कला के लिए पुरस्कार मिल रहा है उसमें वंदेमातरम शामिल है. उन्होंने उस कला के बल पर 40 फिट ऊंची और 22 फिट चौड़ी काष्ट पट्टिका पर वंदेमातरम की कृति तैयार की थी. इस कार्य मे उनका साथ जेल में बंद नक्सल कैदियों ने दिया जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. इन्होंने इस कला को राष्ट्र के नाम समर्पित किया है.