छत्तीसगढ़

41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के छत्तीसगढ़ पवेलियन पहुंचे पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू

Nilmani Pal
18 Nov 2022 11:44 AM GMT
41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के छत्तीसगढ़ पवेलियन पहुंचे पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू
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रायपुर। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में लगाए गए छत्तीसगढ़ पवेलियन वर्तमान में देश व विदेश के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। छत्तीसगढ़ पवेलियन में 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' की झलक देखने को मिल रही है। छत्तीसगढ़ पवेलियन में छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग ने भी अपना स्टाल लगाया है।

छत्तीसगढ़ पैवेलियन में आज छत्तीसगढ़ के लोक निर्माण, गृह, पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने विभागीय अधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ टूरिज्म के स्टॉल का जायजा लिया और प्रदर्शित परियोजनाओं का अवलोकन करते हुए उनकी जानकारी ली। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ पवेलियन में सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था व आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते छत्तीसगढ़ को दिखाने का प्रयास किया गया है। यहाँ प्रदर्शनी बोर्ड के माध्यम से आगंतुकों को छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाली योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। इस मंच से छतीसगढ़ की संस्कृति एवं सभ्यता के साथ यहाँ के पर्यटन को वैश्विक पहचान मिल रही है । छत्तीसगढ़ पवेलियन में यहां की कला, संस्कृति, सभ्यता और परंपरा की परिभाषा को हर तरीके से परिभाषित किया जा रहा है।

सी मार्ट- ग्रामीणों का अपना शॉपिंग मॉल

छत्तीसगढ़ पवेलियन में सी-मार्ट का स्टॉल लगा हुआ है। सी मार्ट ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के लिए गांवों में तैयार उत्पादों को शहरों से जोड़ने की पहल की गयी है। यहाँ महिला स्व सहायता समूहों, शिल्पियों, बुनकरों व अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पादों का विक्रय किया जाता है। पवेलियन में भी इस स्टाल पर विभिन्न उत्पादों की खरीदी की जा सकती है।

स्टालों में दिख रही छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति

पवेलियन में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति से जुड़े हुए उत्पादों को बखूबी डिस्प्ले किया गया है। छत्तीसगढ़ की जनजाति समुदाय द्वारा हाथ से बनाई गयी शिल्प वस्तु, कलाकृति, चित्रकारी, परिधानों की प्रदर्शनी लगाई गयी है। यहाँ बुनकर राज्य की खास पहचान कोसा सिल्क की साड़ियाँ लेकर पहुंचे हैं। इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध शिल्पकारी बेलमेटल, ढोकरा और गोदना आर्ट को प्रस्तुत किया जा रहा है।

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