
जशपुर। जिले को “टमाटर की राजधानी” कहा जाता है, लेकिन इस बार यहां के किसानों के लिए टमाटर की खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। लुड़ेग, झिमकी, चिकनिपानी और रेडे जैसे इलाकों में टमाटर की कीमतें इतनी गिर गई हैं कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
इस बार जशपुर की मंडियों में टमाटर के दाम 1 रुपये प्रति किलो तक गिर चुके हैं। किसान 30-40 रुपये प्रति कैरेट (25-30 किलो) टमाटर बेचने के लिए मजबूर हैं, जिससे उनकी लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है। स्थिति यह हो गई है कि कई किसान टमाटर तोड़कर फेंकने को मजबूर हैं।
बीते एक सप्ताह से मंडियों में टमाटर की मांग लगातार घट रही है। लुड़ेग और बागबहार की टमाटर मंडियों में बड़ी गाड़ियां माल लाने-ले जाने नहीं आ रही हैं। बाहरी राज्यों में टमाटर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे स्थानीय बाजारों में दाम और गिरते जा रहे हैं। करीब छह साल बाद टमाटर के भाव में इतनी बड़ी गिरावट देखी गई है।