रायपुर raipur news । दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के सातवें दिन शुक्रवार को दीर्घ तपस्वी विरागमुनि ने कहा कि आज हर व्यक्ति अपना स्वार्थ सिद्ध करता है। पूरी दुनिया ही स्वार्थ पर टिकी हुई है। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए व्यक्ति एक-दूसरे से जुड़ता है, एक-दूसरे के काम आता है, एक-दूसरे से संबंध बनाता है वह भी केवल लाभ लेने के लिए। एक बार काम होने के बाद लोग दूसरों को भूल जाते है। काम करते तक लोग साथ रहते है, काम करवाते तक भी साथ रहते है और जब काम न हो तो भी एक व्यक्ति साथ छोड़ देता है। यही दुनिया की रीत है। अगर यह दुनिया से गायब हो जाए तो समझ लेना संसार खत्म हो जाएगा। जब तक आप स्वार्थ वाला जीवन जियोगे, तब तक आप कभी मोक्ष की राह पर अग्रसर नहीं हो पाएंगे। मोक्ष को प्राप्त करना तो बहुत दूर की बात हो जाएगी क्योंकि आपके अंदर स्वार्थ है और स्वार्थ का मतलब एक बहुत बड़ा पाप आपके अंदर है। अपने छोटे-छोटे स्वार्थ के चलते व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है। हमें इन पापों को खत्म करने का अभ्यास करना होगा। जैन धर्म में इसके लिए कई उपाय है। आप इन उपायों के द्वारा अपने पापों को कम कर सकते है। chhattisgarh
chhattisgarh news मैं जैसा चाहूं वैसा होना चाहिए, मुझे जो अच्छा लगता है वैसा होना चाहिए। ये सब स्वार्थ है। यही स्वार्थ चाहे आप घर में हो, परिवार में हो, संस्था में हो, मंडल में हो, संघ में हो, चाहे समाज में हो, आप अपनी ही चलाना चाहते है। सास चाहती है मेरे अनुसार घर चले और बहू चाहती है कि वर्तमान समय के अनुसार उसके कहने पर घर का संचालन हो। जब इन दो स्वार्थ का टकराव होता है, तो महाभारत होता है। वैसे तो इतिहास की साक्षी में महाभारत एक बार हुआ और आज हमारे घर में हर दिन महाभारत हो रहा है। सब अपने अनुसार दुनिया चलाना चाहते है। दुनिया आपके अनुसार नहीं, नियमानुसार चलती है। इसलिए आपको दुनिया के नियमानुसार ही चलना होगा क्योंकि अपनी मनमर्जी से जीने वाला व्यक्ति एक भटकता हुआ जानवर के समान होता है।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के अध्यक्ष पारस पारख और महासचिव नरेश बुरड़ ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री की प्रवचन श्रृंखला जारी है, आप सभी धर्मप्रेमी बंधुओं से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।