x
मोहला। आज 13 दिसम्बर "खोया पाया दिवस" पर रोशन साहू ने कविता ई मेल किया है।
// खोया - पाया //
देख लेना पास तुम्हारे, कुछ मेरा रह गया कहीं ?
मैं भी देखूँ पास मेरे,तेरा तो कुछ रह गया कहीं।
सम्बन्धों में साँस रहे बस,मैं कहता न तुम कहते?
जान कर अंजानापन का,भार तो दोनों ही सहते।
जो भी चीजें पास है मेरे ,यक़ीनन लौटा पाऊँगा ?
टीस रहेगी सदा- सदा ,वक्त बेवक्त याद आऊँगा।
किन नामों किन रूपों में, फिर-फिर आना पड़ता?
कहते सुना लोगों से ,आखिरकार चुकाना पड़ता।
यादें भी तुझसा है जिद्दी, मुश्किल कैसे जाऊँगा?
पल में जो सारे सुमन धरे, कभी न लौटा पाऊँगा।
बीत जाती जीवन सारा,पल भर न जीवन पाते हैं।
एक पल में जीवन जीते,वो जाने कैसे जा पाते हैं?
रहस्यमयी न ही कुटिल,नित निश्छल मुस्कान रहे।
खोया कम पाया ज्यादा, जन्मों- जन्म कुर्बान रहे।
Next Story