राजनांदगांव। हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी नें देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को पत्र लिखकर योग विषय के पाठ्यक्रम को स्कूलों में अनिवार्य करने और नई शिक्षा नीति 2020 के केंद्र सरकार के अपने फैसले को अमल में लाने की माँग की है।
उक्ताशय की जानकारी देते हुए हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी नें बताया कि, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 में बनाई गई नई शिक्षा नीति में योग को वैकल्पिक विषय न मानते हुए, अनिवार्य विषय का दर्जा दिया गया है। ग़ौरतलब हों कि, आगामी 26 जनवरी 2023 से नई शिक्षा नीति - 2020 को लागू किया जाना है। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार और संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से पधारे केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने वक्तव्य के माध्यम से 26 जनवरी 2023 के दिन देश में शिक्षा नीति को लागू करने की घोषणा की है। नई शिक्षा नीति में, पुरानी शिक्षा नीति में काफी सारे नये संशोधन किये गये हैं। 2020 को बनाई गई नई शिक्षा नीति में योग को वैकल्पिक विषय के बजाय, अनिवार्य विषय का दर्जा दिया गया है, जिसे अमलीजामा पहनाते हुये, 26 जनवरी 2023 को लागू होने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योग विषय क़ो प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए।
योग विषय को स्कूली स्तर पर अपनाने की अगर बात करें तो हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों नें योग को अनिवार्य विषय का दर्जा देते हुए इसे पाठ्यक्रम के रूप संचालित करने का फैसला लिया है, वहीं में उत्तरप्रदेश, पंजाब, दिल्ली और झारखण्ड सहित अन्य राज्यों नें भी इसे वैल्कपिक विषय न मानते हुए, अनिवार्य विषय के रूप में इसका पाठ्यक्रम शुरू करनें की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। हम छत्तीसगढ़ राज्य के निवासी हैं इसलिये राज्य सरकार से अपेक्षा करते हैं कि, योग को अनिवार्य विषय का दर्ज़ा देते हुए, इस ओर गहनता पूर्वक विचार करना चाहिए और इसे अम्लीजामा पहनाते हुए, छत्तीसगढ़ राज्य में भी स्कूली स्तर पर ही इसका पाठ्यक्रम शुरू करने की पहल करनी चाहिए। केवल छत्तीसगढ़ प्रदेश को ही नहीं अपितु देश के प्रत्येक प्रदेश को भी योग को महत्व और प्राथमिकता देते हुए इसे अनिवार्य विषय घोषित कर, इसका पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। योग को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में स्थान देने से इसका सकारात्मक प्रभाव और फायदे कुछ ही वर्षों में जनमानस के बीच देखने मिलने लगेंगे। इसके लिए ज़रूरी है कि, देश और प्रदेश के सभी स्कूलों में योग विषय अनिवार्य कर योग शिक्षकों और योगाचार्यों की भर्ती जल्द से जल्द की जाये। सभी के मिले जुले प्रयास से ही हम भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में सफल हों पायेंगे। स्कूल और कॉलेज में शिक्षा जितनी ज़रूरी है वैसे ही अच्छा स्वास्थ्य भी उतना ही ज़रूरी है। प्रतिवर्ष 21 जून को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस मनाया जाता है। हममें से कितने लोग है जो, अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस के दिन यह प्रण या संकल्प लेते हैं कि, वे उस दिन से योग को आत्मसात कर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायेंगे और नियमित रूप से योग करेंगे। शायद एक भी नही। योग हमारे जीवन और दिनचर्या का तब तक हिस्सा नहीं बन सकता, जब तक स्कूल स्तर पर या प्रत्येक घर मे इसके लिए प्रयास नही होंगे। जिस दिन से हम योग को ज़रूरी पाठ्यक्रम के तौर पर स्कूली स्तर पर भी शामिल करेंगे। तब योग बच्चों के दिनचर्या का हिस्सा और हमारी हमारी जीवन शैली का भी एक अभिन्न अंग बन जायेगी। इसे दिशा देने के लिए आवश्यक है कि, पढ़ाई के साथ - साथ खेल और योग को भी अनिवार्य विषय के तौर पर देखा जाये और स्वस्फुर्त इसे शामिल किया जाये।