छत्तीसगढ़

क्षमा करने के लिये वात्सल्य का भाव होना आवश्यक है : पं. नितिन जैन

Nilmani Pal
10 Sep 2024 3:55 AM GMT
क्षमा करने के लिये वात्सल्य का भाव होना आवश्यक है : पं. नितिन जैन
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रायपुर raipur news। दिगम्बर जैन समाज का शाश्वत पर्व पर्वाधिराज पर्यूषण हो गया है । प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी यह महापर्व श्री दिगम्बर जैन खण्डेलवाल मंदिर जी सन्मति नगर, फाफाडीह में उल्लास पूर्वक मनाया जा रहा है । दशलक्षण पर्व के प्रथम दिवस, उत्तम क्षमा धर्म के दिन ध्वजारोहण कर महोत्सव का प्रारंभ किया गया । ध्वजारोहण का सौभाग्य समाज के वयोवृद्ध सदस्य महावीर प्रसाद राजकुमार बाकलीवाल को प्राप्त हुआ। chhattisgarh news

chhattisgarh समिति के अध्यक्ष अरविंद बड़जात्या ने बताया कि प्रतिदिन मंदिर जी में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा श्रावकों द्वारा की जाती है । प्रथम दिवस उत्तम क्षमा धर्म के अवसर पर मूलनायक महावीर भगवान की वेदी पर शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री पारसमल जी साकेत जी तन्मय जी पापड़ीवाल परिवार को प्राप्त हुआ । प्रथम तल में भगवान पार्श्वनाथ की वेदी पर यह सौभाग्य श्री महावीर प्रसाद जी राजकुमार जी बाकलीवाल को प्राप्त हुआ । भगवा मुनिसुव्रतनाथ की वेदी पर शांतिधारा श्री कंचनलाल जी मनोज जो विवेक जी पाण्ड्या द्वारा की गई।

द्वितीय दिवस उत्तम मार्दव धर्म के दिन मूलनायक महावीर भगवान की वेदी पर शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री उमश जी सरिता जैन परिवार को प्राप्त हुआ । प्रथम तल में भगवान पार्श्वनाथ की वेदी पर यह सौभाग्य कन्हैयालाल विमल गंगवाल को प्राप्त हुआ । भगवान मुनिसुव्रतनाथ की वेदी पर शांतिधारा श्री सिं. विनोद कुमार जी विक्रम जैन के द्वारा की गई । प्रतिदिन प्रातःकालीन पर्व पूजाएं श्रावकगण भक्ति भाव से कर रहे हैं । संध्या समय श्रीमती उषा लोहाड़िया एवं श्रीमती वर्षा सेठी के निर्देशन में श्रावक प्रतिक्रमण कराया जा रहा है । उत्तम क्षमा धर्म के दिन अपने सांध्यकालीन प्रवचन में पं. नितिन जैन 'निमित्त' ने बताया कि पर्वाधिराज दशलक्षण वर्ष में 3 बार आत हैं । भादों माह में इनका विशेष महत्व होता है अतः इसी समय अधिक उल्लासपूर्वक मनाए जाते हैं । भादों सुदी पंचमी नए काल के प्रारंभ का दिन है । इसी दिन से सृष्टि का उद्भव होना प्रारंभ हुआ था । दशलक्षण पर्व का प्रारंभ उत्तम क्षमा धर्म से होता है । क्षमा करने के लिये साहस की आवश्यकता होती है । सामर्थ्य होने पर भी अपना बुरा करने वाले को क्षमा कर देना ही उत्तम क्षमा है। क्षमा करने के लिये क्रोध को वश में करना आवश्यक है । क्रोध को जीत लेने वाला कभी दुःखी नहीं रह सकता । अतः क्रोध को वश में कर यथाशक्ति मन संयम धारण करना चाहिये । यदि क्रोध को मंद कर लिया तो बाकी के पाप कर्मों से आप ही बच जाएँगे । क्षमा वात्सल्य सहित होना चाहिये । किसी के प्रति दुभावना रखत हुए क्षमा करना उत्तम क्षमा की श्रेणी में नहीं आता ।

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