छत्तीसगढ़

फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए हर विकासखण्ड में आयोजित की जाएं कार्यशाला : सीएम भूपेश बघेल

Nilmani Pal
5 Jan 2022 11:44 AM GMT
फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए हर विकासखण्ड में आयोजित  की जाएं कार्यशाला : सीएम भूपेश बघेल
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए विकासखण्ड स्तर पर कार्यशाला आयोजित कर किसानों को इसके लिए जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों में जमीन की गुणवत्ता के अनुसार अधिक लाभ देने वाली फसलों को प्रोत्साहित किया जाए। इसके साथ ही साथ कृषि विभाग के मैदानी अमले के अधिकारी-कर्मचारी किसानों से सम्पर्क कर उन्हंे अधिक लाभ देने वाली फसलें लेने के लिए प्रोत्साहित करें। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में राज्य सरकार की प्रमुख योजनाआंे की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिए। बैठक में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू सहित विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में कहा कि भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ से अरवा चावल ही खरीदने को कहा है। इसलिए उसना की सप्लाई कम की जाए और अरवा किस्मों को प्रोत्साहित किया जाए, इसके लिए किसानों के बीच प्रचार-प्रसार के साथ हाईब्रिड धान बीज विक्रेताओं की बैठक भी आयोजित की जाए। उन्होंने गन्ने और मक्के से एथेनाॅल बनाने के लिए एथेनाॅल प्लांट की स्थापना के कार्य में तेजी लाने, प्रदेश में राशनकार्ड बनाने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए। श्री बघेल ने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा और व्यापम की परीक्षाएं 50 प्रतिशत बैठक क्षमता के साथ आयोजित की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर से डरने की नहीं सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोविड-19 के कारण प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। उन्होंने लोगों से कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करने का आग्रह किया है। बैठक में श्री बघेल ने ओव्हरलोडिंग वाले वाहनों पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए। बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से प्रदेश में कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत घटकर 31.3 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2015-16 में कुपोषण की दर प्रदेश में 37.7 प्रतिशत थी। बैठक में यह भी बताया कि श्री धन्वन्तरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना से प्रदेशवासियों को लगभग अब तक 5 करोड़ रूपए की बचत हुई है।

मुख्यमंत्री ने फसल विविधिकरण के संबंध में कहा कि कोदो, कुटकी, अरहर, बस्तर मंे सरसों, जशपुर में बागवानी फसलों तथा मैदानी इलाकों में दूसरी फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित करें। बेमेतरा जिले में गन्ना, बलरामपुर, बस्तर, जांजगीर, महासमुंद और धमतरी जिले में मक्के के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि गन्ना और मक्के से एथेनाॅल तैयार करने के लिए एथेनाॅल प्लांट स्थापित करने के तेजी से प्रयास किए जाएं। इससे मक्का और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलेगा। उन्होंने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि किसान जो फसल लेते हैं, उनका उन्हें अच्छा मूल्य मिले। श्री बघेल ने बेमेतरा और राजनांदगांव के गंडई क्षेत्र में कोदो की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। श्री बघेल ने जलवायु और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर चाय और काफी की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी दिए।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले अन्य फसलों के लिए किसानों द्वारा कराए गए पंजीयन की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि किसानों ने लगभग 14 हजार 864 हेक्टेयर में धान के बदले सुगंधित धान, गन्ना, तुअर, फोर्टिफाईड धान, मक्का, कोदो, उड़द, अन्य दलहन, केला और सोयाबीन की फसल लेने के लिए पंजीयन कराया है। इस योजना में कवर्धा जिले ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना की समीक्षा के दौरान बताया गया कि इस वर्ष इस योजना के तहत वन विभाग द्वारा किसानों को सवा करोड़ पौधे निःशुल्क वितरित किए जाएंगे। इस योजना के तहत 987 क्षेत्रों के 2254 एकड़ रकबे में 5 लाख 30 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने इस योजना से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने के लिए किसानों से जिन फलदार वृक्षों के लिए मांग आ रही है, उसे ध्यान में रखकर फरवरी माह से तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा वृक्षारोपण करने वाले किसानों को तीन वर्ष तक 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले।

मुख्यमंत्री ने महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान कहा कि सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं, एनीमिक महिलाओं और शिशुवती महिलाओं तथा बच्चों को गर्म भोजन देना अनिवार्य किया जाए। बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के चलते प्रदेश में कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2015-16 में कुपोषण की दर 37.7 प्रतिशत थी। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत विभिन्न हाट बाजारों में 14 लाख 86 हजार से अधिक लोगों का निःशुल्क उपचार किया गया है। इस योजना की माॅनिटरिंग के लिए वेबपोर्टल तैयार किया गया है। श्री धन्वन्तरी जेनेरिक मेडिकल योजना की समीक्षा के दौरान बताया गया कि इस योजना के तहत नगरीय निकायों में 105 दुकानें प्रारंभ की गई है। इस योजना के शुरू होने से अब तक नागरिकों को लगभग 5 करोड़ रूपए की बचत हुई है।

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