ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव
देश तेजी से लोकतंत्र की पटरी से हटकर तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। पीछे दरवाजे से केंद्र की सरकार दिल्ली की सत्ता हथियाना चाहती है। ऐसा कहना है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी का। दिल्ली के गवर्नर को ज्यादा ताकतवर बनाये जाने पर ऐसी प्रतिक्रिया केजरीवाल जी दे रहे थे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि उंगली जब अपने आंख में घुसती है तब दर्द का अहसास होता है । 370 ख़त्म होने पर, तीन तलाक बिल पर केंद्र का समर्थन कर रहे थे। एनआरसी और सीएए पर चुप थे, बाद में लोगों को दिखाने के लिए बिल की प्रति विधानसभा में फाड़ रहे थे। यही हाल किसान अन्नदाताओं के बिल पर भी ऐसा ही रवैया था, पहले दिल्ली में इसे लागू किया बाद में किसानों को दिखाने उनके साथ हो गए, यही नहीं दिल्ली दंगों में मस्जिदों, मदरसों को नुकसान पहुंचाया गया और जुर्म दर्ज किस पर हुआ किसी से छुपा नहीं है। अब केजरीवाल जी को अपना अधिकार कम होने पर सब कुछ नजऱ आ रहा है। सब वक्त वक्त की बात है साहब। इसी पर एक शेर याद आया समय बड़ा बलवान,समय बड़ा बलवान, तुमने घरोंदे बहुत उजाड़े, तुमने घोसले बहुत उजाड़े ,अब खुद पिंजरे में है जान, समय बड़ा बलवान।
आम नागरिकों को सस्ता चावल और हाफ बिजली बिल देने के लिए सरकार को एक हजार करोड़ ले रही और बदले में 1555 करोड़ मय ब्याज के देना होगा। भाजपा सरकार दो साल पहले कांग्रेस सरकार को 45 हजार करोड़ कर्ज का बोझ पहले ही लाद गई है। वहीं इज आफ डूइंग बिजनेस के सुधारों को पूरा करने वाले छत्तीसगढ़ को जीएसडीपी के 0.25 और अतिरिक्त ऋण लेने की पात्रता मिल गई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सवा दो करोड़ जनता की खुशहाली के लिए भूपेश सरकार ने जो योजनाएं लागू की है वह पूरी तरह पारदर्शिता से लागू हो जिसकी मानिटरिंग खुद सीएम भूपेश करें। तभी इस कर्ज से मुक्ति मिल पाएगी। वैसे भी सरकार ने पिछले दो साल में कर्ज के एवज में 5550 करोड़ ब्याज देना पड़ रहा है। जबकि भाजपा वाले सिर्फ आरोप लगा रहे है कि भूपेश सरकार ने पिछले दो साल में कर्ज लेने के अलावा कुछ काम नहीं किया है। सिर्फ किसान न्याय और गोधन न्याय पर सबसे ज्यादा खर्च कर रही है। भाजपा वालों को तो भूपेश सरकार का एहसान मानना चाहिए कि उनके कर्ज का बोझ ढोने के साथ उनके समर्थकों को और छत्तीसगढ़ की जनता को सस्ता चावल और सस्ती बिजली देने के लिए भूपेश बघेल को क्या-क्या जुगाड़ नहीं लगाना पड़ रहा है। ये तो भूपेश दाऊ ही समझ सकते हैं। इसी बात पर एक शायर ने कहा कि -हमने गुजार दी फकीरी में जिंदगी, लेकिन ज़मीर का सौदा नहीं किया। दिल को जला के दीये ज़माने को रोशनी, जुगनू पकड़ के हमने उजाला नहीं किया।
भीड-भीड़ की, भाजपा और कांग्रेसी परिभाषा
पश्चिम बंगाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा को लेकर भाजपा नेता गरियाते फिर रहे है कि लाखों की खचाखच भीड़ ने पश्चिम बंगाल में सत्ता का रास्ता खोल दिया है। वहीं अब कांग्रेसी डिब्रूगढ़ में भूपेश बघेल की रोड शो में करोड़ों की भीड़ होने की बात कह रहे है। मतलब क्या जैसे भाजपाई सोचते है वैसा ही हंै तो असम में कांग्रेस के लिए सत्ता का व्दार खोल दिया है। जनता में खुसुर-फुुसुर है कि भाजपाई और कांग्रेस भीड़ को लेकर भी अपनी परिभाषा गढ़ लेते है। क्या यही है गढ़बो छत्तीसगढ़ ...।
कोरोना गाइड लाइन से किसे फर्क पड़ रहा है
रायपुर कलेक्टर साब ने कोरोना गाइड लाइन जारी किया जिसमे एक बिंदु यह भी है कि दूसरे प्रदेशो से आने वाले लोगों को सात दिन के लिए होम क्वारंटाइन होना पड़ेगा । जनता में खुसुर-फुसुर है कि पश्चिम बंगाल, असम चुनाव प्रचार से लौटने वाले नेताओ पर लागू होगा कि नहीं। अगर होगा तो आने वाले दिनों में सात दिन तक शहर में कोई नेता नजऱ नहीं आएगा।
नियम कानून किधर गया
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने अजीबो गरीब फरमान सुनाया कि कबीरनगर के मकान मालिकों ने जो मकान में दुकान बना लिए हैं उनकी रजिस्ट्री रद्द की जायेगी जनता में खुसुर फुसुर है कि शंकरनगर में भी रोड में सभी मकानों में दुकाने संचालित हो रही है ,ऐसा है तो शंकरनगर वालो को भी नोटिस जारी होना चाहिए, उनकी भी रजिस्ट्री रद्द होना चाहिए। जब शंकरनगर के लिए नियम बदल सकता है तो कबीरनगर या अन्य जगहों के लिए क्यों नहीं। जिस नियम के तहत शंकरनगर में दुकाने बनी है उस नियम का कबीरनगर वालों पर भी लागू किया जाना चाहिए।
भाजपा सदस्यों ने ही वोट नहीं दिया
अब समझ में आया छत्तीसगढ़ में भाजपा क्यों नहीं जीती। पिछले दिनों भाजपा कार्यालय में हुई मीटिंग के दौरान एक नेता ने बताया कि हमारे प्रदेश में भाजपा के पच्चीस लाख सदस्य हैं लेकिन इतने वोट भी हम लोग हासिल नहीं कर सके। एक भाजपा नेता ने कहा कि सच में पच्चीस लाख सदस्य हैं भी या नहीं समझ में नहीं आ रहा, टारगेट पूरा करने के चक्कर में फर्जी आंकड़े तो कहीं हाईकमान को नहीं पेश किया गया। जनता में खुसुर फुसुर है कि भाजपाई अगर आंकड़ों के खेल में उलझे रहे तो अगला चुनाव भी आंकड़े गिनने में निकल जाएगा।
कपड़े के चक्कर में नागा साधु को ही धुनक दिए पुलिस वालों ने
पिछले दिनों बिलासपुर पुलिस ने स्टेशन के सामने नहा रहे एक नागा साधु को थाना ले जाकर तबीयत से धुन डाला, क्योंकि सार्वजनिक जगहों में इस प्रकार खुले में नहाना पुलिस वालों को ठीक नहीं लगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को फटी जींस देखकर बुरा लगा, तो इस साधु महाराज के बदन में एक भी वस्त्र नहीं था, यह दृश्य पुलिस वालों को नागवार गुजरा और धुनक दिए। अच्छा करने के फेर में पुलिस वाले बुरे फंस गए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब सोच समझकर बयान देना और काम करने की जरुरत है। चलो साधु महाराज तो बिना वस्त्र के थे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जी को फटी जींस के बयान पर माफ़ी तक मांगनी पड़ी थी।