छत्तीसगढ़

गोठानों में थ्री टायर केज स्थापित: आधुनिक पद्धति से मुर्गीपालन ने खोल दिए महिलाओं के आमदनी के द्वार

Nilmani Pal
5 Sep 2021 9:27 AM GMT
गोठानों में थ्री टायर केज स्थापित: आधुनिक पद्धति से मुर्गीपालन ने खोल दिए महिलाओं के आमदनी के द्वार
x

सरगजा। आधुनिक पद्धति से मुर्गी पालन को बढ़ावा देकर स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आमदनी बढ़ाने की पहल सरगुजा जिले में प्रारंभ की गई है। जिला प्रशासन के द्वारा गोठानों में थ्री टायर केज स्थापित किया जा रहा है। इस पहल से न सिर्फ मुर्गी पालन को लाभकारी व्यवसाय में बदलने में मदद मिलेगी। इस व्यवसाय से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आने वाले दिनों में फायदा होगा। मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के साथ आधुनिक पद्धति के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने प्रथम चरण में 14 आदर्श गोठनों को चयनित किया गया है। जिले के सभी 7 विकासखण्डों के 2-2 आदर्श गोठानों में केज स्थापित किया जाना है। अभी अम्बिकापुर जनपद के सोहगा और मेण्ड्रा कला, लुण्ड्रा जनपद के बटवाही, लखनपुर जनपद के पूह पुटरा, उदयपुर जनपद के सरगवां ,बतौली जनपद के मंगारी और मैनपॉट जनपद के उडुमकेला गोठान में केज स्थापित कर मुर्गी प्रदाय किया गया है। इन गोठानों में निर्मित मुर्गी शेड में पशु चिकित्सा विभाग द्वारा थ्री टायर केज स्थापित कर 4 महीने उम्र का वी बी -300 प्रजाति का 250 लेयर बर्ड भी दिया जा रहा है, जो अगले एक महीने में अंडा देना शुरू कर देंगे। एक मुर्गी सालाना 300 अंडे देगी । अंडों से समूह की महिलाओ को अच्छी आमदनी मिलेगी वही सुपोषण अभियान के लिए आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चो के लिए भी आपूर्ति हो सकेगी। थ्री टायर केज मुर्गी पालन की आधुनिक पद्धति है। इसमे तीन खंड में केवल 4-4 मुर्गी एक साथ रहेंगे। एक साथ कम मुर्गियों के रहने से आपस मे लड़ाई नही होती। केज में ही मुर्गियां अंडे देंगी। केज को इस प्रकार बनाया गया है कि इसमें अंडे फूटते नहीं है। केज के अंदर चूहे व सर्प नहीं घुस सकते जिससे मुर्गी व अंडे सुरक्षित रहेंगे। वी बी- 300 प्रजाति के लेयर बर्ड को जबलपुर से लाया गया है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री तथा सरगुजा जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा गोठानों को मल्टी एक्टिविटी केंद्र के रूप में स्थापित कर मुर्गी पालन, बटेर पालन तथा ब्रायलर मुर्गा पालन हेतु शेड निर्माण के साथ समूह की महिलाओं को पशु चिकित्सा विभाग द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है। जिला प्रशासन की इस पहल से आने वाले दिनों में सरगुजा जिले में रहने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा पायेगी।

Next Story