![गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किए गए तीन नील गाय गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किए गए तीन नील गाय](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/01/02/2380409-untitled-47-copy.webp)
बिलासपुर। कानन पेंडारी जू में क्षमता से अधिक नील गाय होने के कारण उन्हें अन्य अभयारण्यों में छोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में कोरिया जिले के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में तीन नील गाय शिफ्ट किए गए। बेहोशी की दवा बेअसर होने के बाद इन्हें पकड़ने के लिए बोमा तकनीक का प्रयोग किया गया है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदंडों के विपरीत कानन पेंडारी जू में नील गायों की संख्या अधिक हो चुकी है। पिछले माह 65 चीतलों की शिफ्टिंग अचानकमार टाइगर रिजर्व में कर इनकी संख्या कम की गई है। इसके बाद मांग आने पर तीन नील गाय कोरिया शिफ्ट किए गए हैं।
नील गायों को बेंगलूरु से मंगाई गई दवाएं दी गई थी लेकिन वे बेहोश नहीं हुए। अचानकमार में शिफ्टिंग के दौरान भी यही दिक्कत आई थी। अब इसे बोमा तकनीक का प्रयोग कर पकड़ा गया। इस तकनीक के तहत एक वी आकार का बाड़ा तैयार किया जाता है, जिसके छोर में हरी घास और जाल बिछा दिया जाता है, जो परिवहन के लिए रखे गए वाहन तक पहुंचता है। दक्षिण अफ्रीका में यह तकनीक पहले से काम लाई जाती है। पिछले वर्ष केंद्रीय जू प्राधिकरण ने इसका इस्तेमाल करने की अनुमति भारत में भी दे दी है। हालांकि, बेहोश करके शिफ्टिंग करने में कम समय लगता है, जबकि इस तकनीक में वन्यप्राणी को खदेड़कर बाड़े तक पहुंचाने में समय लगता है।