छत्तीसगढ़

कोशिश करने वालो की हार नहीं होती...

jantaserishta.com
3 July 2021 5:46 AM GMT
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती...
x

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

कहते हैं कि कोशिश करने वालो की हार नहीं होती। क्या इसी उम्मीद में ममता बनर्जी हैं या पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहीं हैं। हुआ ये कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल के प्रसिद्ध आम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजीं हैं, हो सकता है इन आम के मिठास से रिश्तो में भी मिठास आ जाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच विधानसभा चुनाव के दौरान तल्खियां जग जाहिर है। बंगाल चुनाव के बाद हुए हिंसा हो या बंगाल के मुख्य सचिव का मामला हो या कई ऐसे मुद्दे हैं जिसमे ममता बनर्जी और मोदी के बीच रिश्तों में खटास देखने को मिल रही थी। अब रसीले आम से रिश्तों की खटास दूर होगी या नहीं आम खाने के बाद पता चलेगा। एक बात और है कि दिखावों की उम्र ज्यादा नहीं होती। रंगे सियार का रंग उतारने के लिए बारिश की एक फुहार काफी होती है, प्रदेश भर में राजनीतिक घटनाक्रम की हो रही जुम्बिशों के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं जिसका बरसना तय है। इन सब को देखते हुए नहीं लगता कि तल्खियां कम होंगी। बहरहाल राजनीति में स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होते समय काल परिस्थिति के मुताबिक बदलते रहता है। हो सकता है आम के मिठास से उनके रिश्तों में भी मिठास आ जाये। इसी बात पर एक सुप्रसिद्ध कविता की चंद पंक्ति- लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती , कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
जीव जंतु प्रेमी फिर प्रकट हो रहे
बकरीद नजदीक है अब जीव जंतु प्रेमी फिर प्रकट होंगे और जानवरों की क़ुरबानी के खिलाफ लच्छेदार प्रवचन शुरू करेंगे। हालांकि संविधान में प्रावधान है कि धार्मिक मकसद से पशुओं की क़ुरबानी या बलि दी जा सकती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बीफ निर्यात करने वाले देशों की सूची में भारत का स्थान शीर्ष पर है और विगत कई सालों से इस प्रथम स्थान को देश ने बरकऱार रखा है। अमेरिका के कृषि विभाग के डेटा के अनुसार हमारा देश दुनिया के सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश ब्राजील से काफी आगे है। भारत लगभग 42 लाख 50 हजार टन मांस का निर्यात करता है, जिससे लाखों डालर की कमाई होती है। मजे की बात ये है कि निर्यात किया जाने वाला मांस देश के ही बूचड़ खानो से आ रहा है, जो पूरे साल भर चलते रहता है और लगभग 14 फीसद हर साल बढ़ रहा है। सिर्फ एक दिन बकरों की क़ुरबानी रोक देने से क्या फर्क पड़ेगा लाखों टन मांस निर्यात के लिए कितने जानवरो को कुर्बान होना पड़ता होगा इस पर गहन चिंतन करना आवश्यक है और जो रोजाना बकरे कट रहे हैं उनके लिए कौन सोचेगा।
चमत्कार से कम नहीं
अयोध्या में बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मंदिर बनने के लिए ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमींन की कीमत सिर्फ पांच मिनट के अंदर दो करोड़ से बढ़कर साढ़े अठारह करोड़ हो गई। अचानक जमीन के इस बढे भाव में यक़ीनन जबरदस्त चमत्कार देखने को मिला। 18 मार्च को कुसुम और हरीश पाठक ने रविमोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को दो करोड़ में बेचीं और 5 मिनट बाद 18 मार्च को ही रविमोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने ट्रस्ट को साढ़े अठारह करोड़ में बेच दी जिसके गवाह अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय और अनिल मिश्रा बने। अगर वाकई ऐसा हुआ है तो यह कोई चमत्कार से कम नहीं था। ऐसा चमत्कार सिर्फ यही पर नहीं दिखा बल्कि अलग अलग जगहों में भी देखने को यदाकदा मिल ही जाती है। चमत्कार तो पीएसीएल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर सुखदेव सिंग ने भी कर दिखाया था छत्तीसगढ़ के हजारो लोगों से लगभग 125 करोड़ रूपये डबल करने का लालच देकर उगाही कर लिया था। लेकिन चमत्कार को नमस्कार करते हुए रायपुर पुलिस पंजाब जेल से उठाकर रायपुर ले ही आयी। कहते हैं बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी।
जो बोया वही पाया
आईपीएस जी पी सिंह के यहां आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (एसीबी) का छापा पड़ा। वाकई यह चौकाने वाली खबर थी क्योकि जिस संस्था के वे कभी प्रमुख रहे उसी संस्था ने उनके घर और ठिकानो में छापा मारा। सिंह साब का भी जलवा लोगों ने देखा है। एसपी रहते अपने से बड़े अफसर आईजी के बंगले में छापा मारा था। अवार्ड पाने के लिए बस्तर के निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर पेश किया था बाद में वह फर्जी निकला। बिलासपुर आईजी रहते हुए एक आईपीएस राहुल शर्मा ने ख़ुदकुशी की उसमे भी इनका नाम जुड़ रहा था लेकिन पारिवारिक विवाद मानकर रफादफा कर दिया गया। जानकार बताते हैं कि ऐसे कई विवादों से उनका नाता रहा है बहरहाल जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो बोयेगा वही काटेगा तेरा किया आगे आएगा।
खेला होबे अब खेला होई
पश्चिम बंगाल में खेला होबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खेल खऱाब कर दिया था। अब उत्तरप्रदेश में सपा के नेता अखिलेश यादव ममता बनर्जी के फार्मूले पर चल रहे हैं और अपना चुनाव अभियान प्रारम्भ खेला होई के नारो से कर दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि उत्तरप्रदेश की जनता को तय करना है खेला होई को पसंद करते हैं या नहीं।
माथा देखकर तिलक लगाया जा रहा
रायपुर भी अब महानगरों के रास्ते पर चल पड़ा है। चारो तरफ नशे के सौदागर घूम रहे हैं। नशा पार्टियों का भरमार होने के बाद अब नशे का सामान किराना दुकानों में भी उपलब्ध है। लेकिन पुलिस उन लोगो को पकड़ती है जो इन सब बातो से दूर रहते हैं। अगर कोई किराना वाला बॉटल में पेट्रोल बेचते पकड़ा गया तो उसकी खैर नहीं और कोई नशे का सामान बेच रहा है तो पुलिस उस तक पहुँचती ही नहीं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब पुलिस भी माथा देखकर तिलक लगा रही है।
Next Story