शेर के शिकार की योजना में चारा डालने वाले भी शेर के हमदर्द
त्वरित टिप्पणी: पप्पू फरिश्ता
विपक्षी एकता का खेल बिगाडऩे में संघ और भाजपा की गुप्त मुहिम
एनडीए के पुराने एलायंस वाली पार्टी भाजपा के सूत्रधार होंगे
कांग्रेस पार्टी हमेशा आम चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी के ट्रेप में फंस जाती है ऐसा कई बार पूर्व में हुए आम चुनाव में देखने को मिले है। अब यह देखना बाकी है विपक्षी एकता में शामिल हुए सभी दलों में साथ चलने की क्षमता किस में है और कितने विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की है जो अंदर खाने में मुखबिरी का काम कर रहे हैं । विपक्षी दलों की एकता को लेकर अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता। सब कुछ हवा हवा ही लग रहा है और आगे चलकर कितने दल भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करेंगे और उनके साथ जाएंगे यह कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी । कांग्रेस पार्टी को इन सभी चीजों को ठोक बजाकर समझने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फेंकी गई जाल में और बनाई गई नई रणनीति में राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी फंसने वाली है। कांग्रेस पार्टी को विपक्षी एकता की प्रमुख रीढ़ की हड्डी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में आप पार्टी के द्वारा स्पष्ट रूप से काले कानून के खिलाफ समर्थन के विरोध में समर्थन हेतु बार-बार मांग दोहराई जा रही है। कहीं इस कहानी के पीछे आरएसएस के रणनीतिकार और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार तो नहीं, कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बनती जा रही है, यह मुद्दा समर्थन में जाएगी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ता एवं नेतागण आलाकमान को परेशान कर रहे हैं। वहीं दिल्ली की जनता कांग्रेस के विकल्प के तौर पर आप पार्टी को चुनी हैं । यदि हम 1995 के दौर को नजर डाले तब भी बहुजन समाज पार्टी ने इसी तरीके से कांग्रेस से समझौता कर पूरे उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का सफाया किया था। वैसे ही कमोबेश आप पार्टी के द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन कर दिखाया गया । अब जब लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और विपक्षी एकता की बात हो रही है तो कहीं ऐसा ना हो कि भाजपा के बनाए हुए रणनीति पर कांग्रेस और राहुल गांधी फंसे जाए। आप के चक्कर में कांग्रेस पार्टी पूरे देश में जो अपना अच्छा प्रदर्शन करने वाली थी, उस पर रोक ना लग जाए। अधिकांश जगहों पर आप और कांग्रेस के मतदाता एक ही समूह के एक ही सामाजिक तबका के एक ही विचारधारा के होने के कारण दोनों पार्टियों में कड़वाहट तकरार बनी रहेंगी। अधिकांश राज्यों में आप पार्टी कांग्रेस का विरोध कर कहीं अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने लिए और अपने आप को बड़ा तो नहीं बनाते जा रही है । अभी हाल में ही हुए पंजाब चुनाव इसका जीता जागता उदाहरण है । हाल ही के दिनों में कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेसी द्वारा घोषणा पत्र उपयोग करने पर भी आप पार्टी ने जरा सी देर ने लगाई और तत्काल अपनी प्रतिक्रिया दी कि यह हमारा मेनिफेस्टो की नकल कर रहे हैं। पूरे देश में कांग्रेस पार्टी की साख को बट्टा लगाने के लिए आप पार्टी ने लगातार दुष्प्रचार किया । अब अचानक कांग्रेस पार्टी के साथ संयुक्त विपक्ष की गठबंधन पार्टी बनने को आप तैयार हैं। इसके पीछे कोई छुपी हुई नेतागिरी या कोई छुपी हुई चाल और कोई छुपा हुआ खेल है जो आगामी दिनों में देखने मिलेगा। विपक्षी एकता की बैठक में भी पहला दौर हुआ है इसके उपरांत 3-4 बैठक का दौर और होने वाले है। उसी दौर में सारे पत्ते खुलेंगे और समय बताएगा कि किसके हाथ में बाजी आती है। वैसे भारतीय जनता पार्टी के मंसूबे विपक्षी एकता के इस कार्यक्रम को तोडऩे के लिए नाकाम साबित होते दिख रही है। फिर भी राजनीतिक में कुछ कहा नहीं जा सकता। भारतीय जनता पार्टी की छुपी हुई चाल सफलता भी पार सकती है। आप पार्टी की सफलता के पीछे भारतीय जनता पार्टी के सफलता छुपी है । ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना भी है। गुजरात चुनाव में यह बात स्पष्ट रूप से देखने मिली। आप पार्टी ने अधिकांश जगह कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाया और सत्ता से दूर रखा। राहुल गांधी को सचेत रहने की आवश्यकता है। राहुल के आसपास जितने भी रणनीतिकार है उनको यह चाल समझ में आ रही है या नहीं आ रही है यह मुद्दा नहीं है। संभल कर हर चाल को समझा कर चलने की आवश्यकता है और माहौल बिगड़े ना उसका भी ध्यान रखना है। कांग्रेस पार्टी का परम कर्तव्य होना चाहिए कहीं ऐसा ना हो कांग्रेसी कार्यकर्ता कांग्रस के लिए जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे लगाते रह जाए और आप पार्टी फिर राजनीतिक खेल खेलते हुए कांग्रेस का खेल बिगाड़ कर भारतीय जनता पार्टी को सफलता दिला सकती है। ममता बनर्जी ने बखूबी इस बात को अंजाम देने के लिए तैयारी कर रखी है । स्पष्ट रूप से ममता ने आप पार्टी को समर्थन के मुद्दे पर अलग से बात करने की बात कर अपनी और विपक्षी राजनीतिक को सही दिशा देने की कोशिश की।
तालमेल बिठाना टेढ़ी खीर
आठ से 10 राज्य में कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से दो-चार होना पड़ेगा। यह हमेशा का सिर दर्द है। किरकरी बन रहे केरल, पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में तालमेल बिठाना बहुत कठिन कड़ी है। 10 से 12 राज्यों में सीधा भाजपा से टक्कर होने के कारण कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव की अति आवश्यकता भी है । अब सवाल कांग्रेस पार्टी का है इतना बड़ा दिल होता है और किस तरीके से बड़े दिल दिखाने के चक्कर में भारतीय जनता पार्टी के ट्रेप में कांग्रेस फंसते जाएंगे। यह देखना अभी बाकी है।
आप का गठजोड़ में शामिल नहीं होना पड़ेगा भारी
कांग्रेस के लिए हिन्दी बेल्ट में आप के साथ गठजोड़ नहीं होने का बड़ा नुकसान हो सकता है। दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है। इसके अलावा गुजरात विधानसभा चुनाव में उसने अप्रत्याशित ढंग से कांग्रेस के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी की। आप अब राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में पूरे सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुकी है। इससे इन राज्यों में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही कांगेस को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है और उसके मंसूबे ध्वस्त हो सकते हैं ऐसे में भाजपा के खिलाफ बनने वाले विपक्षी गठजोड़ में आम आदमी पार्टी को शामिल करने पर जोर दिया जाना चाहिए। चूंकि भाजपा किसी भी तरह विपक्षी एकता की जड़े जमने से पहले ही उसे उखाड़ देना चाहती हैैैै ऐसे में आप का विपक्षी एकता में शामिल नहीं होना कांग्रेस के लिए आत्मघाती हो सकता है।