धमतरी। प्रदेश नहीं देश का है ये सबसे अनूठा गांव जहां जन्म लेना किस्मत की बात मानी जाती । अब इस गांव को मिला वरदान है या फिर चमत्कार ही कहे, लेकिन हकीकत तो यही है कि इस गांव के हर घर में एक व्यक्ति सरकारी साहब है। महज 425 परिवार वाले इस गांव के हर घर से एक या दो लोग या तो सरकारी अफसर है या फिर सरकारी कर्मचारी, जो इस गांव की पहचान है और पूरे इलाके में इस गांव का एक अलग ही रूतबा है।
हम बात कर रहे है जिले के सिहावा अंचल मे बसा हुआ गांव भुरसीडोंगरी का जिसे घोर नक्सल प्रभावित गांव माना जाता है। दरअसल, नगरी सिहावा का ये आदिवासी इलाका है जहां सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोग रहते है और ज्यादातर लोग रोजी मजदूरी कर अपना गुजर बसर करते है। ऐसे में इलाके के भुरसीडोगरी गांव पूरे जिले और देश के लिये एक मिशाल है। जो ऐसे क्षेत्र में बसे होने के बाद भी शिक्षा से नाता नहीं तोडा और ज्ञान का दिपक जलाकर अपने जीवन में उजाला भर रहे हैं। अब जरा नौकरी के आंकड़ों पर गौर फरमाईये.. इस गांव में अगर प्राचार्य, हेडमास्टर या फिर शिक्षक की बात करें तो उनकी संख्या 297 हैं, वही 106 लोग ऐसे हैं जो पुलिस विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं।
इस गांव के 50 ऐसे लोग हैं जो प्रदेश में शीर्ष पदों पर बैठे हैं, जो या तो अपर कलेक्टर, कोई प्रचार्य या फिर सेना में है। इस गांव के ज्यादातर लोग या तो शिक्षा विभाग में हैं या फिर सेना में और गांव के सभी नौकरीपेशा लोग गांव मे कम से कम एक बार दिवाली के त्योहार पर जरूर आते है। वे भले ही देश के कोई भी कोने में हो। बहरहाल इस गांव से दूसरे गांव को सीख लेना चाहिए, जिसने शिक्षा का अलख जगा कर पूरे देश के सामने एक नई मिशाल पेश की है। गांव की इस खासियत को लेकर हर कोई तारिफ करते नहीं थक रहे है।