छत्तीसगढ़

कांग्रेस के पंचायत सम्मेलन में इस बात की भी रही चर्चा...

Nilmani Pal
20 Nov 2021 11:28 AM GMT
कांग्रेस के पंचायत सम्मेलन में इस बात की भी रही चर्चा...
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रायपुर। कांग्रेस के पंचायत सम्मेलन में मंच संचालन कर रहे नए पदाधिकारी को लेकर खूब चर्चा रही। कार्यक्रम के दौरान इस पदाधिकारी ने सरकार के वरिष्ठ मंत्री और सीएम के बीच खाई बढाने की हर मुमकिन कोशिश की। यहां तक कि स्वागत के लिए मंच पर भी वरिष्ठ विभागीय मंत्री को विधायकों और संसदीय सचिव के बाद स्वागत के लिए बुलाये। इस दौरान पीसीसी अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी बराबर चर्चा होती रही। बाजू में खड़े बड़े पदाधिकारी ने इस नए-नवेले पदाधिकारी को टोकने अथवा निर्देश देने की जरूरत नहीं समझी। इधर प्रदेश अध्यक्ष बार बार अपनी जगह से कार्यक्रम संचालन करने वाले के कान में फुस-फुस करते दिखाई दिए। गुटबाजी की परम्परा को जी भर कर निभाया जा रहा था। हैरानी की बात यह रही कि इस नए नवेले नेता को पदाधिकारी भी उसी मंत्री ने बनवाया है जिसकी सीएम से दूरी बढाने की बराबर कोशिश पूरे कार्यक्रम के दौरान की गई। मंच संचालक के इस कृत्य की चर्चा कार्यक्रम समापन के बाद भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच चलती रही।

बता दें कि कल रायपुर के इंडोर स्टेडियम में शुक्रवार को पंचायती राज सम्मेलन का आयोजन कांग्रेस पार्टी की तरफ से किया गया। प्रदेश के हर जिले से पंचायत स्तर के नेता यहां पहुंचे थे। कार्यक्रम में मंच से अपनी बात कहते हुए पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कुछ मांगें मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बताईं। उन्होंने कहा कि जनपद और जिला पंचायत के प्रतिनिधियों का मानदेय बढऩा चाहिए। सरपंचों को बैठक के लिए सिर्फ 200 रुपए मिलते हैं। पंचायत के लोगों के पास अधिकारियों की रिपोर्ट लिखने की ताकत होनी चाहिए। जब मैं पंचायत स्तर पर काम करता था तो रिपोर्ट तैयार करता था, इससे अफसर पंचायत के प्रतिनिधियों के काम को तवज्जो देते हैं। विधायक सांसदों की निधि की तरह पंचायत स्तर भी निधि होनी चाहिए। जैसे ही मंच से अपनी बातें रखकर सिंहदेव जगह पर बैठे। कुछ मिनटों बाद सीएम बघेल और सिंहदेव के बीच कुछ बातें हुईं। एक फाइल सिंहदेव मुख्यमंत्री को दिखा रहे थे। दोनों आपस में किसी विषय को समझने की कोशिश कर रहे थे। करीब एक से डेढ़ मिनट तक दोनों सियासी दिग्गजों के बीच बातें होती रहीं। इसके बाद जब मंच पर बोलने की बारी मुख्यमंत्री की आई। प्रदेश की पंचायतों से जुड़े हर जन प्रतिनिधि को एक के बाद एक कई तरह की सौगातें मिलीं। सीएम बघेल ने मंच से मंत्री सिंहदेव द्वारा की गई मांगों को मानते हुए अहम एलान किए। सीएम ने बघेल ने मंच पर आते ही कहा सब मेरी तरफ टुकुर- टुकुर देख रहे हैं। जिला और जनपद पंचायत के लोग देख रहे हैं, सरपंच साथी भी देख रहे हैं कि हमारा क्या होगा। लेकिन आपकी तालियों में दम नहीं दिख रहा। मैं जब तक घोषणा नहीं करता तालियां बजानी होगी। इसके बाद पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज गया।

अब तक पंचायत स्तर पर आपको 20 लाख तक के काम करवाने का अधिकार है कितना करूं.., बताइए, भीड़ चिल्लाई 50 लाख... सीएम ने कहा तो 50 लाख दिया अब बजाओ ताली। बघेल ने आगे कहा- सरपंचों का मानदेय 2 हजार से बढ़ाकर 4 हजार किया जाता है। अब जिला पंचायत और जनपद के अध्यक्ष के पास राज्य सरकार की योजना से जुड़ी नोटशीट जाएंगी, वो अपना अभिमत दे सकेंगे। राशि के भुगतान की शक्ति अफसरों के साथ जिला और जनपद अध्यक्ष के पास भी होगी। जिला पंचायत अध्यक्ष को हर साल 15 लाख, उपाध्यक्ष को 10 लाख और सदस्य को 4 लाख रुपए निधि के तौर पर दिए जाएंगे। इसी तरह जनपद के अध्यक्ष को 5 लाख, उपाध्यक्ष को 3 और सदस्य को 2 लाख रुपए मिलेंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष को 15 की जगह 25 और उपाध्यक्ष को 10 की जगह 15 हजार रुपए मानदेय मिलेगा। जिला पंचायत सदस्य 6 की जगह अब 10 हजार मानदेय मिलेगा। जिला पंचायत और जनपद के अध्यक्ष दोनों ही संस्थाओं के अफसरों और कर्मचारियों की रिपोर्ट में अपना अभिमत (जानकारी, रिव्यू) कलेक्टर और जिला पंचायत ष्टश्वह्र को देंगे। इनसे मिले इनपुट के आधार पर अफसर के काम-काज की रिपोर्ट बनेगी। जिला पंचायत और जनपद अध्यक्षों की नई गाड़ी देने का एलान किया गया। सरपंचों को बैठक के लिए अब 2 की जगह 5 सौ रुपए मिलेंगे। ष्टरू बघेल ने जब अपने पिटारे से एक के बाद एक घोषणाएं की तो सामने बैठे जनपद और जिला पंचायत के सदस्य भागकर मंच के करीब आ गए कोई मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहा था तो किसी को अपने क्षेत्र के विकास के लिए फंड चाहिए। एक साथ मंच के पास सबको चीख़ता देख मुख्यमंत्री नाराज भी हुए। उन्होंने सभी नेताओं को डपटते हुए कहा ये इस तरह मंच के पास आकर कहने से नहीं होगा। अपनी मांग मुझे भिजवाइए, विचार होगा। मैंने एक कमेटी बना दी है जिसमें पंचायत मंत्री सिंहदेव प्रमुख हैं आप उन तक बात पहुंचाए हम विचार करेंगे। इस प्रकार आज पंचायत राज सम्मेलन में राज्य सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों की कई मांगों को पूरी कर दी।

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