छत्तीसगढ़

यही है आजमाना तो सताना किसे कहते हैं...

Nilmani Pal
17 Feb 2023 5:50 AM GMT
यही है आजमाना तो सताना किसे कहते हैं...
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ज़ाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

मुख्यमंत्री बघेल से मिलने पहुंचे किसानों-व्यापारियों और जनता जनार्दन को सीएम ने अवगत कराया कि राज्य में धान खरीदी का कार्य सफलता पूर्वक संचालित हुआ। इसके लिए शासन-प्रशासन की ओर से बेहतर प्रबंध किए गए थे, जिससे किसानों को धान बेचने में काफी सहूलियत हुई। धान खरीदी सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कर किसानों को इस साल 22 हजार करोड़ रूपए से अधिक राशि का भुगतान किया गया। इस साल देश भर में धान बेचने वाले किसानों में छत्तीसगढ़ के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा रही, जो एक कीर्तिमान है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि किसानों के साथ-साथ राइस मिलर्स और व्यापारी वर्ग के हित में भी अहम निर्णय लिए गए। अपने वादे को पूरा करते हुए कस्टम मिलिंग की प्रोत्साहन राशि 40 रूपए से बढ़ाकर 120 रूपए कर दी हैं। इससे धान के उठाव सहित कस्टम मिलिंग में काफी तेजी आई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीएम ने सभी वर्ग को खुश करने की जिस नीति पर काम कर रहे है। वो तो राजनीति के गुरू चाणक्य के नीति से बिलकुल मिलती है, इसलिए तो सीएम सीधे जनता से मिलकर उनकी समस्या का समाधान करने में आ रहे सभी बाधाओं को पार करते हुए निष्कंटक अपनी राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते जा रहे है। जब-जब-भाजपा वाले जय-बीरू की जोड़ी पर कोई प्रतिक्रिया करने वाले होते हैं तब-तब जय-बीरू की जोड़ी एक साथ मिलकर भाजपा के मुद्दे पर पानी फेर देती है।

दान ही एक मात्र सहारा

अनुकंपा नियुक्ति शिक्षाकर्मी कल्याण संघ की महिलाओं का कहना है कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल पर डटे रहेंगे। 119 दिन से हड़ताल पर बैठी शिक्षा कर्मियों की विधवाओं का सहारा वहां लगी दान पेटी बन गई है। लगातार संघर्ष कर राजधानी के धरनास्थल पर 119 दिनों से बैठीं दिवंगत शिक्षाकर्मियों की पत्नियों का हौसले नित्य बढ़ते जा रहा है। पिछले वर्ष 20 अक्टूबर से लगभग 35, 40 की संख्या में ये आंदोलन पर बैठी हैं। जो आज 2000 के आसपास पहुंच चुकी है।जनता में खुसुर-फुसुर है कि इन विधवा महिलाओं को छत्तीसगढ़ महतारी का आशीर्वाद मिल रहा है। इसलिए 119 दिन से घर से बेघर होकर टेंट में पड़े हुए है। खाने पैसा खत्म हो चुका है, लेकिन भगवान सेे विश्वास नहीं उठा है, दान पेटी पंडाल में लगा दी है और उससे हड़तालियों की रोजाना भोजन प्रसादी की व्यवस्था छत्तीसगढ़ महतारी कर रही है। अब नारी शक्ति को कका पर पूरा विश्वास है कि चुनाव से पहले हमारी गृहस्थी गाड़ी रफ्तार से चल पड़ेगी।

तेंदुए-भालू के खाली बाड़ों में

तेंदुए-भालू के खाली बाड़ों में पक्षियों को रखने की तैयारी भी की जा रही है। नवा रायपुर में जंगल सफारी निर्माण होने के बाद 80 एकड़ में फैले नंदनवन के ज्यादातर वन्यप्राणियों को सफारी में शिफ्ट करने से यहां काफी कम संख्या में पर्यटक आ रहे है। लिहाजा इसे पक्षी विहार में तब्दील कर यहां विदेशी पक्षियों को रखा गया है। अब वन विभाग के अधिकारी पक्षी विहार के कायाकल्प में लगे हैं, ताकि पर्यटकों की संख्या बढ़े सके। राजधानी से लगे नंदनवन में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग इन दिनों पक्षी विहार का कायाकल्प और सुंदरीकरण का काम हो रहा है। यहां पर गार्डन में बैठने के लिए पेड़ों की आकृति की कुर्सियां बनाई गई है। सेल्फी जोन व फिसलपट्टी लगाई गई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव के बाद की यह व्यवस्था है, जब राजनीति से रिटायर्ड लोग वहां जाकर अपने राजनीतिक जीवनवृत का रिसर्च करेंगे। कि हम किस स्थिति में थे और आज कहां है।

कानून बड़ा या नेता ?

राजधानी में स्वयं-भू छुटभैया नेताओं का पैर अंगद की तरह हर फिल्ड में जमा हुआ है। वो साफ कहते हैं कि किसी की भी सरकार आ जाए या चला जाए इससे हमारे धंधे में फर्क नहीं पड़ता है। सट्टा माफिया को संरक्षण देकर छुटभैया नेता बड़े आराम से जिंदगी काट रहे हैं। पुलिस तो मुखबिर की सूचना पर लगातार ऐसे मोहल्ले, धरसा, कस्बा क्षेत्र में छापा मार रही है। जिसमें रंगे हाथ सट्टा लिखते पकडक़र जेल दाखिल करने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन कुछ तथाकथित छुटभैया नेताओं के फोन पर ही निजी मुचलके पर ही छोडक़र वाहवाही बटोर रही है। जनता में कुसुर-फुसुर है कि छुटभैया नेताओं ने कानून व्यवस्था का मजाक बना लिया है, अपने स्वार्थ के लिए कानून तोडऩे में जरा सा भी नहीं झिझकते है। जनता को समझ नहीं आ रहा है कि कानून बड़ा है या नेता?

चुनाव से पहले धर्म और राजनीति की बयार

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर विश्व हिंदू परिषद छत्तीसगढ़ से अभियान की शुरुआत करने जा रही है। वीएचपी के इस अभियान से देशभर के संत जुड़ेंगे। अभियान के तहत देशभर के संत 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ के चारों दिशाओं में स्थित शक्तिपीठ के पीठाचर्य पहुंचेंगे और एकसाथ पदयात्रा पर निकलेंगे। पदयात्रा विभिन्न जिले से होते हुए 19 मार्च को रायपुर में समाप्त होगी। पदयात्रा के बाद रायपुर में धर्मसभा का आयोजन होगा, जिसमें देशभर से आए सभी संत देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का संकल्प लेंगे। वीएचपी पदयात्रा के संयोजक स्वामी सर्वेश्वर दास महाराज ने उन्होंने बताया कि यह सुखद संयोग है कि छत्तीसगढ़ की पावन धरती से संत समाज छत्तीसगढ़ की चारों दिशाओं में स्थित शक्तिपीठ से पदयात्रा की शुरुआत हो रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव से पहले धर्म और राजनीति बयार बहने लगती है, जिससे चुनावी मिजाज अंदाजा लगाने में आसानी होगी वो कहां जाएंगे और कहां जा सकते हंै।

तुहर सरकार, तुहर व्दार, वोट डालबो छप्पर फाड़

भूपेश कैबिनेट की बैठक 20 फरवरी को होगी। इस बार बजट एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है। हड़तालियों को भी इस बजट बैठक का बेसब्री से इंजतार है। उनका भी भला इसी बजट में तय है। विधानसभा का बजट सत्र एक मार्च से शुरू होगा। कैबिनेट में अनौपचारिक चर्चा में मंत्रियों को कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की जिम्मेदारी भी दी है। ताकि अधिकारी-कर्मचारी संघ, शिक्षक संगठन को साधने में सफल हो सके। ऐसे में बजट प्रस्तावों में विभागों से कर्मचारियों के संदर्भ में आये प्रस्तावों पर भी कैबिनेट में चर्चा होगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यह चुनावी साल वाला बजट है इसमें कोई टैक्स तो नहीं लगेगा साथ ही कर्मचारियों और जनता को खुश करने के लिए खुश मिजाजी बजट पेश होगा। जिसमें हड़तालियों को अब टेंट नहीं लगाना पड़े ऐसी संभावना जताई जा रही है। सरकार यह संदेश देगी कि तुहर सरकार, तुहर व्दार, वोट डालबो छप्पर फाड़।

दामू गाने लगे दमादम मस्त कलंदर

रायपुर प्रेस क्लब के चुनाव प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। रजिस्ट्रार फम्र्स एवं संस्थाएं छत्तीसगढ़ के पत्र अनुसार रायपुर प्रेस क्लब के निर्वाचन की कार्यवाही को लेकर उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर होना पाया गया है। उच्च न्यायालय द्वारा निर्वाचन कार्यक्रम घोषित नहीं करने का आदेश पारित किया गया है। राजधानी के प्रेस क्लब का चुनाव पिछले 4 साल से विवादों में फंसा हुआ है, वर्तमान में क्लब में कोई निर्वाचित कमेटी कार्यरत नहीं है। एक दामू हितैषी पत्रकार ने स्टे लाकर चुनाव प्रक्रिया में अडंगे लगा दिया है। इस संबंध में जब दामू अंबेडारे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि न तो मैं कोर्ट गया हूं और न ही स्टे लाया हूं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दामू अंबेडारे ने बड़े-बड़े गुरूघंटालों से चाणक्य नीति की दीक्षा ली है, उन गुरु ओं ने दामू को पत्रकारिता में खबरों की जगह खबर बनने वालों पर नजर रखने की दीक्षा दी। जिसका लक्ष्य पाने के लिए दामू अंबेडारे ने बहुत पापड़ बेले और अब सारे मूर्धन्य पत्रकारों को पापड़ बेलने की जिम्मेदारी देकर दामू एक ही गाना गुनगुना रहे है दमा-दम मस्त कलंदर।

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