छत्तीसगढ़

तीसरी लहर: बच्चों के अस्पतालों में तैयारी जरूरी

Admin2
24 May 2021 6:21 AM GMT
तीसरी लहर: बच्चों के अस्पतालों में तैयारी जरूरी
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कोरोना इलाज में निजी अस्पतालों की मनमानी को देखते हुए सरकार को व्यवस्था को लेकर गंभीर होने की जरुरत

अंबेडकर अस्पताल, आयुष विवि और लालपुर को मिलाकर बढ़ेंगे हजार बेड

तैयार हो रहे ऑक्सीजन बेड और आईसीयू

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए राजधानी में सरकारी तौर पर इलाज की सहूलियत तेजी से बढ़ाई जाने लगी है। नवा रायपुर में आयुष विश्वविद्यालय के अलग-अलग हॉल में 500 से ज्यादा बेड लग गए हैं। वहां सिलेंडर के बजाय आक्सीजन के लिए सीधे पाइपलाइन ही बिछाई जा रही है। अंबेडकर अस्पताल में बच्चों और गर्भवती के लिए 150 बेड वाले नए आईसीयू का काम शुरू हो गया है। लालपुर केयर सेंटर में आक्सीजन बेड 60 से बढ़ाकर 100 किए जा रहे हैं और 10 वेंटिलेटर बेड भी अलग से रहेंगे। यही नहीं, आयुर्वेद कालेज में 300 बेड के आईसीयू की तैयारी तेज हैं। ये भी शतप्रतिशत आक्सीजन बेड होंगे और इनमें से कुछ वेंटिलेटर वाले बेड में बदले जा रहे हैं। तीसरी लहर की तैयारियों के मद्देनजर आज स्वास्थ्य विभाग का एक्शन प्लान फाइनल हो जाएगा। यही नहीं, विभाग आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक इलाज का नया प्रोटोकॉल भी जारी होने वाला है। कोरोना कोर कमेटी की सदस्यों ने राय दी है कि बच्चों के लिए अस्पताल में व्यवस्था रखना जरूरी होगा। होम आइसोलेशन का सिस्टम भी रहेगा, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादा देखभाल अस्पताल में हो सकती है, इसलिए तैयारी तेज की जाए।

बच्चों के अस्पतालों के लिए जारी हो दिशा निर्देश

राजधानी में बच्चों के लिए एक दर्जन से ज्यादा हॉस्पिटल है जिनमे एकता हॉस्पिटल, बालगोपाल हॉस्पिटल, कान्हा हॉस्पिटल, पेटल्स हॉस्पिटल, यशोदा हॉस्पिटल, अंजलि हॉस्पिटल, स्वप्निल हॉस्पिटल, बचपन हॉस्पिटल, किलकारी हॉस्पिटल, संकल्प हॉस्पिटल नाम प्रमुख है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर जो कि बच्चों में जल्दी असर करता है उसे देखते हुए राज्य सरकार को अभी से राजधानी के सभी बच्चों अस्पतालों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर देना चाहिए। जिससे कि रायपुर के बच्चों में अगर कोरोना के तीसरे लहर का कोई लक्षण भी दिखा तो उसे तत्काल इलाज मिल जाए। कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की चर्चा शुरू हो गई है ये लहर कब आएगी इसका ठीक अंदाज़ा लगा पाना अभी मुश्किल है। लेकिन राजधानी में बच्चों के अस्पतलों को कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे की अभी से तैयारी कर लेनी चाहिए। कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले ही बच्चों के अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर और भी जरुरी सुविधाएं रखना बहुत जरुरी है। लेकिन उससे पहले रायपुर में स्थित सभी बच्चों के अस्पतालों को इस लहर से लडऩे के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा। और भूपेश सरकार को भी बच्चों के अस्पतालों की सूची निकालकर कोरोना के तीसरे लहर से लडऩे के लिए दिशा-निर्देश देना चाहिए।

कोरोना कीतीसरी लहर से लडऩा जरूरी

कोरोना के दूसरी लहर के खौफ के बीच तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। तीसरी लहर आने की प्रबल आशंका है। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर कम उम्र वालों को ज्यादा प्रभावित करेगी। तीसरी लहर को लेकर सभी को सतर्क रहना होगा। तीसरी लहर के प्रकोप को खत्म करने के लिए यानी उसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार को बच्चों के अस्पतालों की सूची जारी करना चाहिए।

सरकार को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए

सरकार को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि कोरोना काल में जो अब तीसरे लहर के आने

की संभावना है उसे देखते हुए डॉक्टरों को समय सीमा में बांधना होगा। और बच्चों के इलाज के पूरी व्यस्था कराई जानी चाहिए। डॉक्टरों का ये मानना है कि अगले कुछ ही महीनों में संक्रमण की तीसरी लहर भी आ सकती है। हालांकि ये लहर कब आएगी और कितनी खतरनाक होगी, इसका कोई ठोस समय नहीं बताया जा सका लेकिन माना जा रहा है कि अगली लहर बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में ले सकती है। यानी माना जा सकता है कि अगला दौर छत्तीसगढ़ के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये प्रोडक्टिव फोर्स पर असर डालेगा।

एकता हॉस्पिटल ने की तैयारी

रायपुर में डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर अब तक तो बच्चों में नहीं देखी नहीं गई है। लेकिन अभी तक बच्चों का कोई केस भी नहीं आया है। और अगर ऐसा कोई केस आयेगा तो रायपुर के बच्चों के डॉक्टरों को अपनी तैयारियां कर लेनी चाहिए। भविष्य में लहर आएगी तो बच्चों को तकलीफ होगी क्योंकि बच्चों को वैक्सीन नहीं लगने की वजह से उनमें तकलीफ हो सकती है। एकता हॉस्पिटल के डॉक्टर अनीश मेमन ने बताया की उनके अस्पताल में कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे के लिए अभी से ऑक्सीजन प्लांट लगा लिया गया है।

कोरोना में निजी अस्पतालों की चल रही थी मनमानी

कोरोना के पहले और दूसरे लहर में निजी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा मनमाने ढंग से इलाज करना। मनमाना दामों में मरीज़ों का इलाज करना बहुत बढ़ गया था। अस्पतालों में अव्यस्था भी बहुत बढ़ गई थी। जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट फिक्स कर दिए थे। जिसके बाद भी कुछ निजी अस्पतालों के डॉक्टर अपनी मनमर्जी करके इलाज कर रहे थे।

डॉक्टरों के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए

कोरोना के पहले और दूसरे लहर में कुछ ऐसे भी डॉक्टर थे जो सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों को कुछ समय के लिए इलाज करते थे। उसके बाद अपने-अपने निजी क्लिनिक मरीज़ों को देखते थे। और भी कुछ डॉक्टर है जो मेडिकल कालेज में सेवा देते है और सरकारी सेवा देने के लिए ये डॉक्टर 2 या 3 घंटे ही अस्पतालों में रहते है और बाकी समय अपने क्लिनिक में ही मरीज़ों का इलाज करते है। तो ऐसे डॉक्टरों को सरकार द्वारा निर्धारित सेवा देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।

सामाजिक संस्थाओं ने भी डेब्लप किए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर

कोरोना की दूसरी लहर से कुछ राहत मिली ही थी कि वैज्ञानिकों ने तीसरी लहर की आशंका जता दी है। सामाजिक संस्थाओं ने भी एक बार फिर महामारी का डटकर मुकाबला करने के लिए कमर कस ली है। नवा रायपुर में जैन समाज 108 बेड का कोविड अस्पताल संचालित कर रहा है, तो अग्रवाल समाज ने नरदहा में 200 बेड का कोविड सेंटर बनवाया है। खास बात यह है कि इन दोनों ही जगहों पर समाज के अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर हैं जिनका इस्तेमाल आगे भी लोगों को निशुल्क इलाज मुहैया कराने के लिए किया जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में सामाजिक संस्थाओं ने शिशु रोग चिकित्सकों से सलाह लेकर सेंटर में सुविधाएं बढ़ाने की तैयारियां शुरू कर दी है। यही नहीं, बच्चों से जुड़े मामले सामने आने पर इन्हीं शिशु रोग चिकित्सकों से इलाज में भी सहयोग लिया जाएगा।

कृति सेंटर... बच्चों को बचाने अभी से दे रहे निशुल्क ऑनलाइन परामर्श

पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल और अग्रवाल समाज द्वारा नरदहा में पिछले एक महीने से 200 बेड का कृति कोविड सेंटर संचालित किया जा रहा है। यहां 65 ऑक्सीजन बेड हैं। 40 बेड में पाइप लाइन और 25 में कंसन्ट्रेटर से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। विजय अग्रवाल और अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि मरीजों की मदद के लिए हमने ऑनलाइन परामर्श की भी शुरुआत की है। डॉ. कमलेश अग्रवाल के नेतृत्व में 11 डॉक्टरों की टीम लोगों को निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। इनमें एक पीडियाट्रिक्स भी हैं जो बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए जरूरी सावधानियां बता रहे हैं। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अन्य तैयारियां भी की जा रहीं हैं। ऐसे मामले सामने आने पर तैयारी करने में हमें 2 दिन का ही वक्त लगेगा। बच्चों से संबंधित किसी भी परामर्श के लिए शाम 4 से 5 बजे के बीच जूम मीटिंग आईडी 82882530512 पर 0000 पासवर्ड के जरिए डॉक्टरों से संपर्क कर सकते हैं।

जैनम अस्पताल... पीडियाट्रिक्स को लेकर प्लानिंग

सकल जैन समाज के सहयोग से एयरपोर्ट के सामने 108 बेड का जैनम कोविड अस्पताल संचालित किया जा रहा है। यह इकलौता सामाजिक कोविड अस्पताल है जहां ऑक्सीजन बेड के अलावा वेंटिलेटर और आईसीयू की भी व्यवस्था है। पिछले 20 दिनों में प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी कई लोग यहां गंभीर स्थिति में पहुंचे और स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। नरेंद्र धाड़ीवाल और पंकज चोपड़ा ने बताया कि तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए हमने पीडियाट्रिक्स से संपर्क किया है। मेडिकल सेटअप भी तैयार है। बच्चों के इलाज के लिए कुछ अतिरिक्त मशीनों की जरूरत पड़ेगी जिन्हें जुटाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। बच्चों को यहां रहने के लिए अच्छा माहौल देने क्या किया जा सकता है, इस पर भी विचार-विमर्श चल रहा है। डॉक्टरों और समाज के बुद्धिजीवियों से जैसे सुझाव मिलेंगे, उसी अनुसार सुविधाएं और बढ़ाई जाएंगी।

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