छत्तीसगढ़

औरों के खयालातों की लेते हैं तलाशी, अपने गिरेबान में झांका नहीं जाता

Nilmani Pal
11 Nov 2022 5:50 AM GMT
औरों के खयालातों की लेते हैं तलाशी, अपने गिरेबान में झांका नहीं जाता
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भांग मिल गया है ऐसा आभास मंत्रियों के बयानों से होने लगा है। मामला विधायकों की परफामेंस रिपोर्ट को लेकर गरमा गया है। राजस्व मंत्री के तेवर इतने बिगड़ गए हैं कि वो प्रदेश प्रभारी की नाफरनामी करने से भी नहीं चूक रहे हैं। मंत्री का साफ कहना है कि मैं विधायकों की परफारमेंस रिपोर्ट को नहीं मानता। पत्रकारों के सवाल के जबाव में कहा कि पुनिया की रिपोर्ट में क्या है,उन्हें जानकारी नहीं है। मैं उस रिपोर्ट से सहमत नहीं हूं। जिस प्रकार से परफारमेंस की बात आ रही है। उस रिपोर्ट को वे मान्य नहीं करते है। इस आग में भाजपा ने घी डालते हुए कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस में पुनिया की बात कोई नहीं मानता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पुनिया की दुनिया को नहीं समझने में कई विधायक गलती कर रहे हैं। पुनिया के कोटे से प्रदेश में 10-15 विधायक हैं, ऐसे में सीएम भूपेश बघेल के 71 कांग्रेसी विधायकों वाली सरकार में किस विधायक की नैया डूबने से बचाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा। क्योंकि प्रदेश में दूसरा पारी की तैयारी के लिए सीएम भूपेश भेंट मुलाकात में पूरी ताकत झोंकने के साथ जिलों के निर्माण की सौगातों से वहां की जनता का दिल जीत चुके हैं । वहीं मंत्रियों के बड़बोलेपन से सीएम के बनाए जा रहे पक्की बुनियाद में पानी फेर रहे हंै। भाजपा तो ऐसे बयानों की सूची तैयार कर रही है, जिसमें बिगड़ैल मंत्री और विधायक सरकार और सरकार की योजना को लेकर उटपुटांग प्रतिक्रिया करते रहते है। भाजपा तो चाहती ही है कि सारे कांग्रेसी विधायक इसी तरह का व्यवहार करे जिससे उन्हें सेंध लगाने का मौका मिल सके। ये बात उन बड़बोलों को क्यों समझ नहीं आ रहा है कि भूपेश है तो भरोसा है के सहारे उनकी गाड़ी चल रही है। इसी लिए पुनिया ने परफारमेंस की बेरिकेटिंग की है, ताकि ऐसे बिगड़ैलों को समय रहते काबू में लाया जा सके। जो कांग्रेस के लिए फायदे के बजाय नुकसान करने के लिए उतावले हो रहे हैं। ऐसे लोग पुनिया के लिस्ट में चिन्हांकित तो हो ही गए हैं। अब दाऊजी का ही भरोसा उन्हें वैतरणी पार करा सकता है। यदि पुनिया की वक्रदृष्टि पड़ गई तो लेने के देने भी पड़ सकते है। अब वक्त आ चुका है कि विधायक खुद अपने आइने में अपना अश्क देखेंऔर पुरानी किए गए गलती को सुधार कर दाऊजी के मेहनत को बुलंद करे, नहीं तो कका तो निकल जाएंगे भतीजे पीछेे लटके हुए विक्रम बेताल के किस्से बन जाएंगे। वैसे भी जीते हुए विधायकों का परफारमेंस हारे हुए प्रत्याशी निकाले तो अजीब तो लगेगा ही। इसी पर शायर मुजफ्फरवारसी ने कहा है- औरों के खयालातों की लेते हैं तलाशी और अपने गिरेबान में झांका नहीं जाता।

अब तो खोटे सिक्के बदल दो दाऊजी

खबर है कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव से पहले भगदड़ मच चुकी है, दो दर्जन से अधिक जमीनी कांग्रेसी नेता भाजपा ज्वाइन कर लिए है। सीएम भूूपेश बघेल यूपी, असम के विधानसभा चुनाव मुख्य प्रचारक होने के नाते ऐसे लोगों को ले जाते रहे है जो खोटे सिक्के साबित हुए है। अब कार्तिक नहाने के दौरान भी वही सिक्के नजर आए। उन्हें हिमाचल प्रदेश का सर्वेसर्वा बनाया गया। ऐसे में जिस शिदद्त से चुनावी तैयारी कर रहे कि वहां छत्तीसगढ़ जैसे परिणाम आ सके इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार की सभी योजना हिमाचल कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल हो गया है। जहां सभा लेकर सीएम भूपेश ने जनता का दिल जीतने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। ऐसे हालत में सीएम भूपेश के ईर्द-गिर्द पुराने चेहरे ही मंडरा रहे हैं जो जनता में अपना कोई असर नहीं दिखा सके हैं। यानी खोटे सिक्के की भीड़ में सीएम भूपेश हीरे जैसे चमक रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी भूपेश पर है तो सबसे पहले उन खोटे सिक्कों को बदलना होगा जो गोबर से गणेश तो बन गए लेकिन गणेश जैसा व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं। वो तो मतवाले हाथी हो गए हैं जो फसल के साथ जनमानस को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

आय-बायकी पटकनी से

कारोबारियों में हड़कंप

आयकर की टीम ने राजधानी, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ में छापे की कार्रवाई कर कारोबारियों में हड़कंप मचा दिया है। टीम ने एनआर इस्पात रायगढ़ के डायरेक्टर संजय अग्रवाल के रायगढ़, ला विस्टा रायपुर में रहने वाले उनके भाई रामगोपाल अग्रवाल के घरों और दफ्तरों को घेरा है। इनके अलावा रायगढ़ गजानंद नगर के ही कोयला कारोबारी राकेश शर्मा के यहां भी कार्रवाई की है। रिंटू सिंह, जय अम्बे ट्रांसपोर्टर के मालिक जोगेन्दर के भाई के रायपुर स्थित आनंदम सिटी स्थित घर पर भी जांच की । आयकर अधिकारी, भोपाल, जबलपुर और दिल्ली मुख्यालय के बताए गए हैं जो रायपुर पहुंच गए थे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कौन ऐसा जयचंद है जो आयकर में मुखबिरी कर चुनाव राशि बढ़वाने की कोशिश कर रहा है। सभी को पता है कि आयकर वाले 6 महीने पहले से एनालेसिस करना शुरू कर देते है। अवैध कमाई वो काजल की कोठरी है जहां से कोई गलती से भी तफरी करने चला गया तो बेदाग नहीं निकल पाता। क्योंकि आयकर वाले खुशबू सूंघ कर अवैध कमाई का अनुमान लगा लेते हैं।

ये ईडी-ईडी क्या ...

छत्तीसगढ़़ की राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष पिछले एक सप्ताह से राजनीति में आई मिठाई को लेकर एक गाना गा रहे है। दोनों पार्टी एक दूसरे से पूछ रहे है कि ये ईडी-ईडी क्या है। चिटफंड और नान मामले की जांच के लिए ईडी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिट्ठी क्या लिख दिया पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को देवता चढ़ गया है। रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस जब विपक्ष में थी और सत्ता में काबिज होने के लिए जो जन घोषणा पत्र में वादा किया उसे ही पलटकर रख दिया, फिर आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई से पलटे, लेकिन अब बंदरों की तरह गुलाटी मारने से काम नहीं चलेगा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चिटफंड और नान मामलों की जांच के लिए ईडी को पत्र लिखे जाने के बाद ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस सरकार की बुनियाद डांवाडोल होते नजर आ रही है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयानों में परिवर्तन और बौखलाहट यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अब कांग्रेस सरकार का दोहरा चरित्र जल्द ही उजागर होने वाला है। रमन ने कहा कि 2017 में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। इस पत्र को लिखने वालों में से एक प्रदेश का मुख्यमंत्री है, तो दूसरे मुख्यमंत्री की लाइन में है, लेकिन सीएम ने उनकी ही लाइन को बिगाडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जनता में खुसुर फुसुर है भैया आने वाले विधानसभा चुनाव तक ये एक साल बरगलाव साल है, जिसकी जो मर्जी होगी बोलता चला जाएगा। सच तो किसी से छुपी नहीं है। जो जैसा बोयेगा वैसा फल काटेगा। जब दो दिग्गज जंग में कूद जाते है तो कई छोटे-मोटे पहलवान खुद ही पतली गली नापने चल पड़ते है। चार साल तक चुप रहने वाले एकाएक डा. रमनसिंह की त्योरी चढ़ जाने का लोग क्या मतलब निकालने है हमें पता नहीं लेकिन इस लड़़ाई में मंत्रालय और मंत्रियों के बंगले में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को छटपटाहट के साथ एक अज्ञात भय उन्हें डराने लगा कि ईडी-ईडी की इस लड़ाई में कहीं हम बलि का बकरा नहीं बन जाए।

प्रदेश में आरक्षण वोटवा बुखार हाई टेम्परेचर में

आरक्षण पर विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र को लेकर सियासत गरमा गई है। भूपेश सरकार ने स्पीकर को पत्र भेजकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने सरकार पर निशाना साधा है। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे पर सरकार अध्यादेश क्यों नहीं लाती? अक्टूबर में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर फैसला सुनाया है। अब तक अध्यादेश लागू कर देना चाहिए था। सरकार अब तक क्या कर रही थी? चंदेल ने कहा कि भूपेश सरकार आदिवासियों की भावना से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण को लेकर रोज नई बात कह रही है। आरक्षण को लेकर हमारा मत स्पष्ट है कि आदिवासी समाज को 32 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि रायपुर-बिलासपुर के लोग यह कहते फिर रहे है कि चंदेल जी आप भी विधानसभा उपध्यक्ष रहे है,अध्यादेश के लिए विधानसभा के साथ राज्यपाल का अभिमत लेना ही पड़ता है। आप तो फं्रट लाइन में आते ही नेता प्रतिपक्ष के मंजे हुए खिलाड़ी की तरह बात करने लगे हैं। ये तो आरक्षण बुखार है जो वक्त के नजाकत के हिसाब से चढ़ता उतरते रहता है। असली बुखार तो अभी बाकी है, जिसे वोटवा बुखार कहते है,अभी तो समय है अपना बुखार उतार कर जनता में वोटवा बुखार चढ़ाने वाला वायरस ढूंढ निकालिए। जय हो जनता जनार्दन भगवान की।

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