छत्तीसगढ़

पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदार सरकार को कर रहे बदनाम!

Nilmani Pal
20 Oct 2022 6:21 AM GMT
पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदार सरकार को कर रहे बदनाम!
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लोक निर्माण विभाग मंत्री के बंगले की दीवार गिरी कौन जिम्मेदार ?

रिक्त पदों पर आरक्षण को ताक में रखकर दे रहे पदोन्नति

अपने चहेते ठेकेदारों को दे रहे टेंडऱ

रायपुर। पीडब्ल्यूडी का मेंटनेंस मैनेजमेंट यूनिट भगवान भरोसे चल रहा है। बारिश, बंदर कूदने से मंत्रियों के बंगलों की दीवारें ढह जा रही है। चुनावी साल में जब मंत्रियों की दीवार मजबूत होना था तब इस तरह की खबरों को अनावश्यक बल मिलने लगे तो विपक्ष का हमलावर हो जाना सहज है। छत्तीसगढ़ शासन लोक निर्माण विभाग में कुछ सालों से सड़कों का वार्षिक रख-रखाव एवं मरम्मत कार्य के साथ शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियावयन सिर्फ विवाद ग्रस्त दरबारी अफसर के हाथे से संचालित होने के कारण पूरे प्रदेश की सड़के गढ्ढों में गिनती होने लगी है। वर्तमान स्थिति में लोक निर्माण विभाग के सभी उच्च पदों पर आरक्षित संवर्ग वाले स्थापित है। यह घटना पूर्ववर्ती शासन काल के भ्रष्ट अफसरों के जरिये अनेक गैर योजनाओं के कार्य अवैध रूप से क्रियानवित हुए हैं। लोक निर्माण विभाग में सभी उच्च पदों के समान्य जाति के लिए रिक्त पदों पर आरक्षित संवर्गों को अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये उन्हे लाभांनवित कर पदोनत किये गये है। जिसके चलते समान्य वर्ग वाले एक ही पदों पर सेवा निवृत्त के लिये बाध्य हैं। आरक्षित संवर्ग वाले अपने सेवा काल में लगातार उच्च पदों पर पदोनत होते आ रहे है। और तो और इनके पदोन्नति के समय समान्य प्रशासन द्वारा आदेशित नियम के विरूद्ध अचल सम्पत्ति/विभागीय जाच के अतिरिक्त आर्थिक अपराध अनवेषण में चल रहे प्रकरणों पर नजर अंदाज किया जाता रहा है।

लोक निर्माण विभाग में सभी मुख्य अभियंता के पदों एवं अधिक्षण अभियंता के सभी पदों में सिर्फ 03 पदों को (समान्य वर्ग के साथ पिछड़ा वर्ग संवर्ग जो अगामी 02 साल के अन्तराल सेवा निवृत्त होंगे) सभी पदों पर आरक्षित संवर्ग वाले अभियंता शामिल ह। एवं इसके अतिरिक्त कार्य पालन अभियंता के सभी पदों पर (70 प्रतिशत) आरक्षित संवर्ग वाले के साथ मात्र 30 प्रतिशत समान्य व पिछड़ा वर्ग संवर्ग वाले अभियंता पदस्थ हैं। जो कि एक भयावह रामाजिक असंतुलन होने के करण समान्य वर्गों में निराशा व मानसिक रोगों से ग्रसित हो रहें हैं। जो कि सभी उच्च शिक्षित वर्ग एवं कुशल योग्यता होने के बावजुद भी रोजगार एवं पदोनती के लिए नकारा गया हैं। इसके अलावा पदोनत हुये समान्य वर्ग को कार्यलाय में संलग्न किया गया हैं।

समाजिक मूल्यों के अतिरिक्त आर्थिक एवं मूल्यों पर समान्य वर्गों क साथ लगातार अवमानना के करण आज का समाज वोट-बैंक के मकडज़ाल में फंस चुका हैं, ऐसे स्थिति में समाजिक क्रांति अथवा गृहयुद्ध की ओर अग्रसर हो रहा यह देश, कभी वीर सपूतों का, साधु संतों का व बलिदानियों का रहा है। जो सभी शिक्षित समान्य वर्गो की गिनती में आते रहें है। ऐसे स्थिति में अंग्रेज क्या बुरे थे अभी यहां गौरे अंग्रेज से काले अंग्रेज ज्यादा धनलोभी, भ्रष्ट व षडय़ंत्रकारी अफसर है। ऐसी विषम परिस्थिति में समान्य वर्गों को अपनी जमीन तलाशना जरूरी हो गया है। छत्तीसगढ़ शासन लोक विभाग में अर्थिक अनिमियता एवं जनअकांक्षाओं के अनुरूप कार्य का न होना आंतरिक भ्रष्ट सोच ही जिम्मेदार हैं। अत: छ.ग. शासन को विकसित राज्यों के श्रेणी में लाने के लिये व्यापक रूप से समाजिक एवं राज्यनैतिक मूल्यों में परिवर्तन हेतू उच्च शिक्षित एवं वरिष्ठ अनुभवी अफसरों को आगे लाना चाहिए।

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