ये हवाएं उड़ ना जाएं लेके कागज़ का बदन, दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर हर वार्ड में नए नवेले नेताओ्ं का उदय होने वाला है। जब से नगरीय निकाय चुनाव को घोषणा हुई है तब से राजधानी के सभी 70 वार्डों से भाजपा कांग्रेस के अलावा 140 और नेता मेदान में उतरने का चायठेला पान ठेला में चर्चा कर बीजेपी और कांग्रेस को नेताओ्ं की नींद हराम कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने महापौर और पार्षदों के चुनावी खर्च की सीमा निर्धारित की है उसे लेकर दुकान-दुुकान घुमना शुरू कर दिए हैं। नए नवेले नेताओ्ं का कहना है कि हमें वोट के साथ नोट भी दो चुनाव जीतने के बाद ब्याज सहित पैसा लौटा देंगे । आप दान मत समझों कर्ज के बतौर चुनाव राशि देकर हमारा किला मजबूत कर दो। जनता में खुसुर-फुसुर है कि एक दुकानदार जो अभी कुछ पैसे वाला हो गया है, लोग उसके पास हर शाम को आते हैं, औऱ चुनाव को लेकर चर्चा करते हैं। वो बोल रहा था कि यदि मैं इन छुटभैया नेताओ्ं को लाख -दो लाख देने के बजाय मैं खुद चुनाव लड़ लूं। मोहल्ले के लोग मुझे दुकानदार के नाम से ही जानते है। जबकि नेताओं को तो चुनाव जीतने के बाद दुकानदार नेता का तमगा मिलता है। और उस तमगे के हिसाब से नेता का वजन पता चलता है। मशहूर शायर राहत इंदौरी ने ठीक ही कहा है ये हवाएं उड़ ना जाएं लेके कागज़ का बदन, दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो।
लाइसेंस मिला है मैं चाहे जो करू मेरी मर्जी ..
हम लोग भी अब पूरी तरह से पाश्चात्य सभ्यता के इतने गुलाम हो चुके हैं कि जो विदेशों में होता है उसका नकल करने में अपनी शान समझते हैं। अंग्रेजी नया साल के स्वागत में राजधानी में 31 दिसंबर की रात नए साल के जश्न पार्टी के लिए 15 से ज्यादा होटल, रेस्टोरेंट और क्लब ने अनुमति मांगी है। पार्टी के दौरान एक दिन शराब पिलाने के लिए भी अनुमति मांगी जा रही है। इसके लिए आबकारी विभाग में अर्जी दी गई है। खैर अर्जी तो दिखावे की बात है बिना अर्जी के रोज पिला रहे है उसे कोई देखने रोकने वाला नहीं है। क्योंकि मामला रसूखदारों से जुड़ा है। बहरहाल प्रशासन और पुलिस की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार सभी को अनुमति तो दी जा रही है। मगर, म्यूजिक सिस्टम रात 10 बजे बंद करने की चेतावनी दी जा रही है। वहीं, म्यूजिक सिस्टम बंद न करने की दशा में साउंड इतना धीमा करना होगा, ताकि उसकी आवाज बाहर तक सुनाई न दे। म्यूजिक सिस्टम के साउंड से आसपास रहने वालों को किसी तरह से कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। न्यू ईयर पार्टी के दौरान रात 12.30 बजे से एक बजे तक शराब पिलाने की अनुमति देने का प्रावधान रखा गया है। शहर में नए साल में जिन-जिन बड़े होटलों और रेस्टोरेंट में नए साल के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, उन सभी की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाएगी। चौक-चौराहों पर आइटीएमएस के कैमरों से नजर रखी जाएगी। तीन सवारी या नशे में गाड़ी चलाने वालों की सीधे गाड़ी जब्त की जाएगी।
पुलिस ने शहर के 20 ऐसी जगहों की पहचान कर ली है, जहां नए साल में हुड़दंग मचाया जाता है या युवा वहां पहुंचकर नशा करते हैं। इन सभी जगहों पर इस तरह के लोगों को रोकने के लिए 20 चेक प्वाइंट बनाए जाएंगे। जनता में खुसुर-फुुसुर है कि सरकार औऱ प्रशासन की ये कैसी सख्ती जब सारे होटलों को एक दिन शराब पिलाने के लाइसेंस के साथ 10 बजे के बाद मंदीम आवाज में साऊंड सिस्टम बजाने की अनुमति देंगे तो स्वाभाविक है कि खुले आम नंगा नाच तो करेंगे ही, क्योंकि वो तो यही बताएंगे कि हमें लाइसेंस मिला है मैं चाहे जो करू मेरी मर्जी ।
वोट के लिए नोट की खेती ....
चुनाव खर्च पर सरकार कितनी भी सीमा निर्धारित कर दें उससे चार गुना ज्यादा खर्च होना तय है। हाल ही में दिल्ली चुनाव को लेकर बवाल मचा हुआ है जहां आप ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वोट देने के लिए भाजपा नोट बांट रही है। एसे में डबल इंजन वाली सरकार जहां है वहां चुनाव खर्च निर्धारित करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। राज्य शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा नगरीय निकाय चुनाव के दौरान महापौर/अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के लिये निर्वाचन व्यय हेतु प्रस्तावित अधिकतम सीमा संबंधी अधिसूचना छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित कराई गई है। नगर पालिक निगम पांच लाख से अधिक 25 लाख रुपये, तीन लाख से पांच लाख तक आबादी में 20 लाख रुपये तथा तीन लाख से कम आबादी में 15 लाख रुपये व्यय सीमा निर्धारित है। इसी प्रकार नगर पालिका परिषद में 50 हजार या उससे ऊपर 10 लाख रुपये और 50 हजार से कम 8 लाख रुपये तथा नगर पंचायत के लिए 6 लाख रुपये व्यय सीमा निर्धारित की गई हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो लोग महापौर और अध्यक्ष, पार्षद के दावेदार वो तो पार्षद रहते वोट बैंक मजबूत करने पूरे पांच साल तक विकास के बजाय अपने विकास और वोट बैंक को ही सुरक्षित किया है। एसे में शासन की तय सीमा चुनाव से पहले ही ध्वस्त हो गई तो आने वाले चुनाव में कितना बंटेगा औऱ कितना कटेगा ये तो मतदाता ही जानता है।
दुश्मनी निभाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते विरोधी...
राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मनन नहीं होता, पर मौका मिलते ही वो दृश्य उपस्थित कर ही देते है जिससे नेताओ्ं को असहज महसूस करना ही पड़ता है. मामला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के सभी 187 नगरीय निकायों में अटल परिसर का भूमिपूजन कार्यक्रम का है। जहां अटल परिसर भूमिपूजन से पहले सूरजपुर में शिलान्यास पत्थर को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गया, यहां शिलान्यास के पत्थर और निमंत्रण कार्ड में सीएम और नगरीय प्रशासन मंत्री का नाम गायब है। इसी बात को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि नेतागिरी में पुरानी दुश्मनी भुनाने और एक दूसरे को नीचा दिखाने का मौका मिल जाए तो नीचा दिखाने में देरी नहीं करते है। अब यहां तो नेताओ्ं ने सीएम और डिप्टी सीएम तक को नहीं छोड़ा। खबरदारों को कहना है कि कोई बड़ा पुराना खुन्नस होगा जिसके काऱण जानबूझकर सीएम और डिप्टी सीएम का नाम शिलालेख पत्थर पर लिखवाया ही नहीं । वरना मुखिया से कौन पंगा लेगा। उनसे पंगा लेना यानी पत्थर से सिर टकृराना जैसे है।
सीएम ने खुलासा करके कई नेताओ्ं के अरमान पर पानी फेर दिए ...
सीएम विष्णुदेव साय के दिल्ली में केंद्रीय नेताओ्ं की मुलाकात वाली खबर पढक़र कई बड़े नेता इस उम्मीद से नए सूट सिलवाने दे दिए थे, वरिष्ता के क्रम में मंत्रिमंडल में स्थान पाने का हमारा हक है, बात भी बन गई थी, सीएम ने दिल्ली जाने से पहले ये हिंट दे दिया था कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी केंद्रीय नेताओ्ं से चर्चा हो सकती है। ये ही टर्निंग पाइंट रहा तो टेलरों की किस्मत जग गई। मगर दिल्ली से लौटते ही सीएम साय ने दावेदारों के होश उड़ा दिए। साय ने साफ शब्दों में कह दिया कि हरियाणा फार्मूला में होगा मंत्रिमंडल का विस्तार । अब आप खुद समझ सकते है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल में विस्तार संभावित माना जाए। अब जिन्होंने पांच-पांच सूट सिलवाने डाले थे, वो अभी तक टेलर के शाप की शोभा बढ़ा रहे हैं। टेलर विधायक जी को फोन करते है तो उनके पीए कहते है साहब दौरे पर है। कब लौटेंगे का जवाब ही नहीं दे रहे हैं।