छत्तीसगढ़

रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए

Nilmani Pal
22 March 2024 5:54 AM GMT
रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

जब से भाजपा में कांग्रोसियों की इंट्री हुई है भाजपाई नजर ही नहीं आ रहे हंै। सारे डबल इजंन वाले नेता अपने आप को आखिरी डिब्बे वाला गार्ड मानकर पीछे नजर आ रहे हैं। इस पर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने हौसला बढ़ाते हुए भाजपाइयों को कलदार सिक्का बताया, लेकिन भाजपा में शामिल होने वालों कांग्रेसियों के लिए कुछ नहीं कहा। शायद भाजपा वाले म्यूजियम बना रहे हैं जिसमें पुराने कांग्रेसियों को रखेंगे ताकि उनका सम्मान बचा रहे। कांग्रेस युक्त भाजपा में कमल कही दिखाई ही नहीं दे रहा है चहूं ओर है, बिना पंजे वाला हाथ दिखाई दे रहा है। जो लोग जन्मजात कांग्रेसी थे,भाजपा में जाकर हाथ की तलाश कर रहे हैं ताकि एक दूसरे का साथ मिल जाए। जिसने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। ऐसा ही रहा तो दल बदलुओं को एक शेर हमेशा याद आएगी न खुदा मिला न विसाल-ए-सनम, इधर के हुए न उधर के हुए । रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ- अलम न इधर के हुए न उधर के हुए।

साय उवाच ...

लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाने पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस पर निशाना साधा है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस का बड़ा बुरा हाल है, कोई लडऩे को तैयार नहीं है । कल से प्रथम चरण के लिए नॉमिनेशन शुरू हो गया है। बस्तर में प्रथम चरण में चुनाव होना है, लेकिन कांग्रेस अभी तक प्रत्याशी घोषणा नहीं कर पाई है। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अब फ्रंट लाइन में नजर आ ने लगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि लोग कांग्रेस छोड़-छोड़ कर जा रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा पूरी तरह कांग्रेसमय हो चुकी है भाजपा और उसकी विचारधारा की तलाश में सैकड़ों लोग जुट गए हैं। ऐसा ही रहा तो अब कांग्रेस को देखने की चाहत रखने वालों को थ्री डी लगाकर देखना तो नहीं पड़ेगा।

जिसका डर था वही बात हो गई

आखिरकार दिल्ली शराब नीति कांड में मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर ही लिया। केजरीवाल को पूरी रात ईडी दफ्तर के लॉकअप में रखा गया। शुक्रवार को पूछताछ होगी। वहीं गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी अहम सुनवाई होगी। केजरीवाल को घर से बुलाकर खाना दिया गया। उन्हें कंबल और दवाएं दी गईं। हालांकि मुख्यमंत्री पूरी रात सो नहीं पाए और बेचैन रहे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मोदी की नींद हराम करने वालों की नींद तो हराम होगी ही। 9 बार ईडी के नोटिस को लौटाना केजरीवाल को आखिर भारी पड़ ही गया। इंडिया वाले कह रहे कि जिस बात का डर था वही बात हो गई ।

ईडी की गाज गिरना तय

डर तो छत्तीसगढ़ के नेताओं को भी लग रहा है जब वर्तमान सीएम को ईडी गिरप्तार कर सकती है तो पूर्व सीएम की क्या बिसात । जनता में खुसुर-फुसुर है कि दिल्ली के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेसी नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है। ईडी के जद में आने वाले सभी नेताओं में पूर्व सीएम भूपेश बघेल, रामगोपाल और अन्य नेताओं की मुश्किलों बढ़ सकती है। ईडी के पास जब्त सूची में जिन नामों का उल्लेख है उन पर ईडी की गाज गिरना तय माना जा रहा है। किसी ने ठीक ही कहा है कि जो बोएगा वही पाएगा, तेरा किया आगे आएगा, सुख -दु:ख है सब कर्मों का फल, जैसी करनी वैसी भरनी।

अमरबेल बनने के तमन्ना अधूरी रह गई

पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत भी ईडी और आईटी के जद में है। पहले जमीन घोटला, कोयला घोटला में नाम आने के बाद एफआईआर्र भी हो चुका है। अंबिकापुर में बंगलादेशी शरणार्थियों को जमीन देने के नाम जमीन घोटाले का आरोप उन पर लगा हुआ है। जिससे अब उनकी मुश्किलें और बढ़ गई है। जनता में खसुर-फुसुर है कि मुश्किलें तो उनकी उसी समय बढ़ गई थी जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। भूपेश ने बाबा के खिलाफ अमरजीत का उपयोग किया और अमरजीत ने भूपेश को टीएस के खिलाफ उपयोग किया। कोयला जलकर गरमाहट तो पैदा किया लेकिन अब जलकर राख हो गया अब कोई काम का नहीं रहा।

लोग हैं कि मानते नहीं...

महादेव एप, अन्ना रेड्डी एप सहित कई अनलाइन सट्टा है जिस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। बड़े -बड़े लोग इसके नाम से भागे-भागे फिर रहे हैं और तो और पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर भी महादेव सट्टा एप को लेकर एफआईआर हो चुका है, लेकिन देश के सट्टे बाजों को मानना पड़ेगा कि लोकसभा चुनाव के लिए अभी से बोली लगाना शुरू कर दिए है, इनको प्रतिबंध से कोई फर्क नहीं पड़ता, जनता में खुसुर-फुसुर है कि अगर इन पर कोई दिक्कत आई तो चुनावी चंदा जिंदाबाद।

प्रजातंत्र का प्रयोग शाला

पीएम मोदी एक तरह से प्रजातंत्र के प्रयोगशाला बने हुए है जहां वे नए -नए प्रयोग करते है और उन्हें कामयाबी भी मिलती है। कद्दावर नेताओं को दर किनार कर नए नवेलों को मौका दे देते हंै। इसलिए तो नए नवेले दौड़-दौड़ कर काम करते है यहां तक कि प्रोटोकाल को भूल जाते है। ऐसा ही वाक्या रायपुर में हुआ जब शांति समिति की बैठक में हुई एक नए नवेले विधायक जी शांति समिति की बैठक में पहुंच गए थे, जहां माटिंग ले रहे कलेक्टर ने कह दिया कि नेता जी अब आप विधायक हो गए है और आचार संहिता लगी हुई है आप बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं। जनता में कुसुर-फुसुर है कि विधायक जी नए नवेले हैं काम करने का माद्दा है और शहर में शांति की बात है तो भला वे पीछे कैसे रह सकते थे।

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