ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव
26 जनवरी को लाल किले में जो हुआ वह नहीं होना था घटना पर सरकार और पुलिस ने काबू तो पा लिया। लेकिन सवाल यह उठता है इस प्रकार की घटना के जिम्मेदार कौन है। किसान आंदोलन भी एक क्रांति की तरह है क्रांति का मतलब यह नहीं कि खून खराबा ही हो। प्रजातंत्र में शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन जायज है और किसान अभी तक तो यही कर रहे थे दीपसिद्धु के शामिल होने बाद से ही माहौल खऱाब हुआ। बहरहाल आंदोलन के लिए सिर्फ किसान ही नहीं सरकार भी जिम्मेदार है. आखिर ऐसा माहौल बनाने के जिम्मेदार कौन हैं। सिर्फ किसानों पर ही आरोप लगाना ठीक नहीं है। सरकार की भूमिका पर भी गौर किया जाना चाहिए। मुखिया को अब सामने आकर किसानों से चर्चा कर लेना ही चाहिए आखिर वे किसान ही तो हैं कोई आतंकवादी थोड़ी हैं । अब देखने में ये आ रहा है कि किसान आंदोलन विश्वव्यापी हो गया है जिसको देखो किसानों के हमदर्द बन रहे हैं। किसान आंदोलन एक प्रकार से राजनीति चमकाने या लाइट में आने का जरिया हो गया है तभी तो अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटर थनबर्ग भी किसानों के समर्थन में आ गई है अब सवाल यह उठता है कि क्या इन दोनों को तीनों कृषि कानून के बारे में कुछ मालूम है जवाब नहीं में ही मिलेगा। बहरहाल जिस प्रकार माहौल किसान आंदोलन को लेकर बना है तत्काल इसका हल निकाला जाना चाहिए। किसी ने ठीक ही कहा है बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहां से लाओगे और किसानों को नहीं बचाओगे तो रोटी कहां से लाओगे।
ट्वीटर जंग भी छिड़ा
पिछले दिनों रायपुर महापौर एजाज ढेबर और अभिनेत्री कंगना रनौत में भी किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर जंग छिड़ गया था । एजाज ढेबर के ट्वीट से तिलमिलाई कंगना भी भला कहाँ चुप बैठने वाली थी । देखा जाए तो भाजपा के अघोषित प्रवक्ता बन चुकी कंगना रनौत ने अमेरिकी पॉप स्टार रेहाना को भी नहीं छोड़ा उन्होंने ट्विटकर कहा कि किसानों की वेशभूषा में आतंकवादी आंदोलन में है और ये देश को बेच देंगे । अब कंगना को कौन बताया कि किसान और आतंकवादी में फर्क क्या है
बिहार में नया फरमान
नीतीश जी की सरकार ने नया फरमान जारी किया है अगर जनता अपनी मांगों को लेकर लेकर किसी प्रकार का आंदोलन या प्रदर्शन किया तो खैर नहीं राज्य के पुलिस द्वारा उनका आचरण खराब कर दिया जाएगा। मतलब सरकारी ठेका, सरकारी नौकरी,पासपोर्ट, हथियार लायसेंस सब खत्म जनता में खुसुर फुसुर है कि अब जनता करे तो करे क्या।
समय बलवान होता है
बुजुर्गों का कहा सच ही होता है कि इंसान नही बल्कि समय बलवान होता है।बर्मा की नेता अंग सांग सु की पूरी दुनिया में मानवता का ज्ञान बांट कर पुरुस्कार हासिल की थी लेकिन जब बर्मा में नरसंहार हुआ और हजारों नागरिकों को जेल में डाला गया तब खामोश बैठी थी । नतीजन उनका सम्मान वापस ले लिया गया।वक्त ने करवट ली और सू की उसी बर्मा के जेल में कैदियों की सूची में शामिल हो जाने वाली है। जनता में खुसुर फुसुर है कि भैया बुजुर्गों ने सही कहा है समय बलवान होता है इंसान नहीं।
भूपेश बघेल की दरियादिली
पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि चंदूलाल चंद्राकार हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज अब शासकीय हो जाएगा कालेज के ट्रस्टी लाख कोशिश के बाद इसे संभालने में नाकामयाब रहे संवेदनशील मुख्यमंत्री ने इसे अब शासकीयकरण करके गरीब तबकों को एक हिसाब से नए साल का तोहफा दिया है क्योकि एक ओर केंद्र दरकार सरकारी उपक्रमों को निजी हाथो में बेच रही है तो दूसरी ओर भूपेश बघेल जनता से जुड़ी ऐसी संस्थानों का सरकारीकरण कर रही है। इसे भूपेश बघेल की दरियादिली ही कहा जाय ।
दीप सिद्धू आखिर कहां गया
गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना के मास्टरमाइंड दीप सिद्धू आखिर कहां गया जमीन खा गई या आसमान निगल गया भाजपा सांसद सनी देओल के नजदीकी कार्यकर्ता लाल किला कांड के बाद काफी फेमस हो गया था हालांकि फेमस तो वह पहले से ही था क्योकि उसकी तस्वीर प्रधानमंत्री जी ,गृहमंत्री जी और भाजपा सांसद सनी देओल के साथ थी । अब जनता में खुसुर फुसुर है कि दीप सिद्ददु अचानक कहां गायब हो गया कि उसे कोई भी ढूंढ नहीं पा रहा है।
कहीं ख़ुशी-कहीं ग़म
गुजरात में निकाय चुनाव होना है वहां प्रदेश भाजपा ने फरमान जारी किया है की 60 साल से अधिक उम्र के लोगो को टिकट नहीं दी जाएगी इस फरमान से युवा गदगद हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेताओं के माथे पर पसीना निकल रहा है वजह युवा मोर्चा में 35 वर्ष पार युवाओ की नियुक्ति नहीं होने का फरमान है। जनता में खुसुर-फुसुर है कहीं ख़ुशी कहीं ग़म है।
महिला बाल विकास अधिकारी की दबंगई
पिछले दिनों राजिम में मैनपुर जिला महिला बाल विकास अधिकारी निरीक्षण के लिए गईं थी उनके सामने आंगन बाड़ी कार्यकर्ता को सच बोलना मंहगा पड़ गया। दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता ने उक्त अधिकारी को बताया की चावल का आबंटन नहीं होने के कारण चावल कम होना इतना सुनते ही महिला बाल विकास अधिकारी का गुस्सा सातवे आसमान पर जा पहुंच क्योकि अधिकारी के दुखती रग में हाथ पड़ गया। फटकार से कार्यकर्ता बेहोश हो गई,उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ गया तबियत उसकी बिगड़ गई। जनता में खुसुर फुसुर है कि पिछले कई सालों से एक ही जगह में जमें अधिकारी का दबंगई देखकर रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है।