पानी का दुरूपयोग रोकने सरकार ने कड़े किए नियम
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। अफसरों के मुताबिक 2002 तक भू-जल संवर्धन के लिए नियम नहीं था। छत्तीसगढ़ ने जो नियम बनाए हैं वो महाराष्ट्र व अन्य राज्यों की तुलना में काफी कड़े हैं। पानी की कमी वाले गांवों व निकायों में रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
नया नियम लागू होने से भू-जल की स्थिति सुधरने के आसार हैं। इससे जहां पर्यावरण संतुलन में मदद मिलेगी साथ ही जल स्तर बढऩे से किसानों को भी मदद मिलेगी। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राज्य सरकार के भू-जल विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही जल्द इसकी अधिसूचना प्रकाशित की जाएगी।
गैर-अधिसूचित, अधिसूचित क्षेत्रों में औद्योगिक, वाणिज्यिक, खनन के लिए भू-जल निकालने केे लिए अनुमति देने का काम यह प्राधिकरण करेगा। जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में भू-जल प्रबंधन परिषद बनेगी। कलेक्टर जिला भू-जल शिकायत निवारण अधिकारी होगा। ब्लाक स्तर पर जनपद पंचायत के सीईओ की अध्यक्षता वाली भू-जल उपयोगकर्ता पंजीकरण समिति बनेगी। यह विधेयक विधानसभा ने 25 जुलाई को पारित किया था। छत्तीसगढ़ में अब पानी के मनमाने उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति सरकार की अनुमति के बगैर यदि जमीन से पानी निकाला तो उसे भारी भरकम जुर्माना भरने के साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। राज्य सरकार ने इसके लिए कड़ा कानून बना दिया है। हालांकि इसमें खेती और सेना द्वारा पानी से इस्तेमाल को छूट प्रदान की गई है। दरअसल प्रदेश में उद्योगों व साफ्ट ड्रिंक तथा बोतलबंद पानी वाले जमीन से बेतहाशा पानी निकाल रहे हैं।
प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा विकासखंडों में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। अब तक व्यावसायिक उपयोग के लिए केंद्रीय भू-जल बोर्ड से अनुमति लेनी होती थी। किसी उद्योग पर जुर्माना लगता था तो वह केंद्र सरकार के खाते में जाता था। केंद्र सरकार ने राज्यों को अपने स्तर पर प्राधिकरण बनाने को कहा था। एनजीटी का भी मानना है कि सरकार की अनुमति से ही भू-जल के उपयोग की अनुमति लेने चाहिए? केंद्रीय भू-जल प्रबंधन विभाग साल में चार बार जनवरी, मई, अगस्त व नवंबर में इसकी रिपोर्ट बनाता है। अफसरों का मानना है कि ब्लाक वार रिपोर्ट में संकेत हैं कि प्रदेश में अच्छी बारिश से जमीन के पानी का स्तर बढ़ा है। फिर भी इसका मैनेजमेंट जरूरी है। उनकी यह भी चेतावनी है कि प्रदेश में 24 घंटे पानी सप्लाई जैसी योजनाओं से बचना चाहिए। जहां पानी की जरूरत हो वहां पहले पानी पहुंचाना चाहिए।
सिंचाई विभाग के सचिव पी. अन्बलगन के मुताबिक नया विधेयक अधिसूचना जारी होने के बाद लागू माना जाएगा। पंजीयन कैसे और कहां करवाना होगा यह अभी तय किया जाना है। इसके साथ ही अब इसके लिए राज्य भू-जल प्रबंधन और नियामक प्राधिकरण बनेगा। राज्य स्तर पर सीएस की अध्यक्षता वाले राज्य भू-जल प्रबंधन और नियामक प्राधिकरण में 16 सदस्य भी होंगे।