अंबिकापुर। सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) कोयला खदान में उत्पादन अब सितंबर के अंत तक बंद होने की सूचना से स्थानीय ग्रामीणों का रोष अब बढ़ता जा रहा है. ग्राम पंचायत परसा, साल्ही, जनार्दनपुर, फतेहपुर, तारा और घाटबार्रा ग्रामों के 400 से अधिक महिला एवं पुरुष ग्रामीणों का एक समूह अंबिकापुर से बिलासपुर मार्ग के साल्ही मोड़ पर धरना प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने प्रदेश और जिला प्रशासन से अपनी गुहार लगाते हुए नारे लगाए और 5000 से अधिक युवाओं के लिए रोजीरोटी का संकट खड़ा होने की बात कही.
मीडिया के वहाँ पहुंचने पर उन्होंने अपनी बात रखी. उनमें से साल्ही गांव से आए ग्रामीण मोहर पोंर्ते, सुनींदेर उईके, कृष्णाश्याम और मोहर लाल कुसरो ने बताया कि वे सभी खदान के नियमित संचालन का अनुरोध करने के लिए गत चार महीने से रायपुर आ रहे हैं. यहाँ उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपकर जमीन की अनुपलब्धता के कारण खदान में उत्पादन अब ठप होने की बात कही है. वहीं अब सैकड़ों कर्मचारियों और मशीनों को खदान से बाहर भेजा जाने लगा है.
“हम सभी चूंकि इसी खदान में नौकरी करते हैं अतः हमें भी अपनी नौकरी छुटने के खतरा बढ़ गया है. पिछले 10 वर्षो में खदान खुलने से क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए और आगे होने की भी उम्मीद है वे सब अब रुक जायेंगे. खदान खुलने से हमारे क्षेत्र में उत्कृष्ठ शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य, आजीविका उन्नयन और अधोसंरचना विकास के कई कार्य संचालित किए जा रहे हैं. आज हमारे बच्चे यहां पर स्थित केन्द्रीय शिक्षा पद्धति की अंग्रेजी माध्यम के स्कूल मुफ्त में पढ़ रहे है. वहीं हमारे घर तक स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण और ईलाज किया जा रहा हैं. यही नहीं स्थानीय महिलाओं को भी घर के काम काज के अलावा अतिरिक्त आय अर्जन के कई कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं.“ ग्राम परसा की श्रीमती बंधन पोंर्ते व साल्ही की श्रीमती सुनीता यादव सहित अन्य महिलाओं ने बताया.