रायपुर। 2018 में भी 3 जुलाई का ही दिन था जब संविदाकर्मी नियमितिकरण के लिए हड़ताल कर रहे थे, इसी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी एस सिंहदेव ने इनके हड़ताल स्थल पर जाकर घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि, यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो 10 दिनों के भीतर मांगें पूरी की जाएंगी. उसके बाद कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किया गया था, लेकिन 3 जुलाई 2023 के दिन यानी 5 साल बाद कर्मचारियों को फिर सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ रहा है. संविदाकर्मियों का कहना है कि सरकार तो बदली, लेकिन संविदाकर्मियों के भाग्य नहीं बदले. जिससे नाराज प्रदेश के 54 विभागों के कार्यरत संविदा कर्मचारी 33 जिलों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल पंडाल पर हम शर्मिंदा हैं, नियमितिकरण का वादा अधूरा है के जोरदार नारे लगे.
छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि, सरकार ने हम संविदा कर्मचारियों से 2018 के चुनाव के जनघोषण पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में नियमितिकरण का वादा किया था .लेकिन सरकार द्वारा 4 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी वादा कर पूरा न करना यह गैर लोकतांत्रिक हैं. सरकार आने वाले अनुपूरक बजट में शामिल कर प्रदेश के समस्त संविदा कर्मचारियों को नियमित कर अपना वादा पूरा करें. महासंघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा और अशोक कुर्रे ने बताया कि, तूता में एकत्रित संविदा कर्मी की भीड़ 2024 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी यह तय करेगी. इस सरकार को सचेत होना चाहिए.