छत्तीसगढ़

सीखने के लिए सदैव सतत् इच्छा होनी चाहिए : राज्यपाल डेका

Nilmani Pal
21 Dec 2024 8:44 AM GMT
सीखने के लिए सदैव सतत् इच्छा होनी चाहिए : राज्यपाल डेका
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रायपुर। जीवन में आगे बढ़ने के लिए सीखना जरूरी है और सीखने के लिए सदैव एक सतत् इच्छा होनी चाहिए। ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है और सीखने की कोई उम्र नही होती। अच्छे इंसान बनें क्योंकि अच्छे व्यक्ति ही बेहतर समाज का निर्माण करते है। यह उद्गार राज्यपाल रमेन डेका ने आज आईसीएफएआई विश्वविद्यालय रायपुर के दूसरे दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले 21 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 18 विद्यार्थियों को रजत पदक सहित 362 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की अधिक संख्या है। यह देख कर उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि महिला सशक्तिकरण दिन ब दिन बहुत बेहतर हो रहा है।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन से काम करें तो आप की सफलता निश्चित है। उज्जवल भविष्य के लिए इच्छा शक्ति और अपनी क्षमता के साथ आगे बढ़े। समाज आपकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है उसके लिए काम करें। भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है। आप लोगों की मेहनत और योग्यता से भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। निजी उच्च शिक्षा संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गाइडलाइन का पूर्णतः पालन करें और शिक्षा का स्तर बढाएं। शिक्षा एक नोबल व्यवसाय है। केवल विशाल भवन बनाकर शिक्षा का स्तर नहीं बढ़ाया जा सकता, बल्कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना जरूरी है। शिक्षा केन्द्र को एक व्यवसाय का संस्थान न बनाया जाए।

राज्यपाल ने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि हमेशा श्रेष्ठता की ओर बढ़ते रहें। समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर आर. पी. कौशिक ने भी अपना संबोधन दिया। कुलपति डॉ. एस. पी. दुबे ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के चेयरमेन बृजेश चंद्र मिश्रा, विश्वविद्यालय के कुलसचिव, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं एवं उनके पालकगण उपस्थित थे।

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