छत्तीसगढ़

बिना शिव पूजा के सृष्टि का कल्याण नहीं होता

Nilmani Pal
17 Feb 2023 12:17 PM GMT
बिना शिव पूजा के सृष्टि का कल्याण नहीं होता
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रायपुर। खमतराई के दोना पत्तल फेक्टरी बम्हदाई पारा में चल रहेश्री शिव महापुराण कथा व महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक कार्यक्रम के तहत शनिवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाएगा। कथा के तीसरे दिन कथावाचक पं. खिलेंद्र कुमार दुबे ने श्रद्धालुओं को बताया कि बिना शिव पूजा के सृष्टि का कल्याण नहीं होता हैं। जो पुष्प जैसा खिला रहता है उसे वैसा ही चढ़ाना चाहिए, अगर भगवान के साथ संबंध बनाकर रखेंगे तो तुम्हारी मति हमेशा सही रहेगी। कथा के बाद भगवान शिव की आराधना व रुद्रमहा अभिषेक नित्यदिन किया जा रहा है।

पं. खिलेंद्र दुबे कहा कि भगवान विष्णु सब में हूं, जैसे विष्णु ही शिव है और शिव ही हनुमान है। भगवान विष्णु ने इसलिए भगवान शिव को बंदर का रुप दिया ताकि वे भगवान राम दास बना रहे। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति युवतियों को पति चयन का अधिकार देती है परंतु माँ-पिताजी के पीछे नहीं उनकी आँखों के सामने। याने लक्ष्मी और बुद्धि याने मति, बुद्धिरुपी मति विवेक से रहेगी तो वह मरकट भालू जैसा गुण नहीं बना पाएगा। कन्या रुपी बुद्धि कहीं भटकी तो मरकट के सामान वर उसको प्राप्त हो सकता है। हर मनुष्य के अंदर बुद्धि व्याप्त है, अगर उसे सम्हाल कर नहीं रखोगे तो गड़बड़ हो जाएगा। इसलिए ने अपने लिए कोई भी वर नहीं चुना जब तक उसे कोई बुद्धि वाला व्यक्ति न मिल जाए। तब भगवान विष्णु ने रुप बदलकर एक राजा बनकर आए। इसी दौरान नारद जी ने भगवान शिव के दो सेवकों को श्राप दे दिया और कहा कि तुम राक्षस योनी में जन्म लोगों और तुम्हारा नाम रावण और कुंभकरण होगा। इसके बादसेवक भगवान विष्णु के पास गए लेकिन उन्होंने भगवान शिव के पास जाने का अनुरोध किया। दोनों सेवक वहां गए और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा लेकिन भगवान शिव ने उन्हें उपाय नहीं बताया तो दोनों सेवकों ने भगवान शिव को श्राप देते हुए कहा कि अगले जन्म में आप बंदर बनोगे और वही आपकी सहायता करेंगे।

उन्होंने कहा कि अगर भगवान के साथ संबंध बनाकर रखेंगे तो तुम्हारी मति सही रहेगी। अगर बुद्धि खराब हो जाएगा तो भगवान उसे खींचकर ले आएंगे इसलिए तो कहतें है डोरी सांस के बंधे बम भोला लें। बिना शिव पूजा के सृष्टि का कल्याण नहीं होता। पहली आरती भगवान के चरण का, फिर भुतना, नाभि, चेतना, सर और आखिर में सभी लोगों का किया जाता है। आरती करने का अपना भी एक अध्याय है जैसे एक बार चेहरे में घूमाओ और सात बार आरती करो लेकिन आज कल कपूर जलाओ और कहते है कपूर गौरव करुणा अवतारम, संसार सारम कन्या अवतारम....., फिर भी भगवान उस आरती को ग्रहण कर ही लेते है। जो पुष्प जैसा खिला रहता है उसे वैसा ही चढ़ाना चाहिए, आप से उसे उलटा या सीधा चढ़ाएं भगवान शिव उसे ग्रहण जरुर करते है। इस सृष्टि में पूजा करने की अलग-अलग पद्धति है और लोग उसी के अनुरुप भगवान की पूजा करते है। यज्ञदत ब्राम्हण ने विवाह किया और उन्होंने अपने पुत्र का नाम गुणनिधि रखा। उसका अदात खराब था। कपड़े को गंदा करने में ज्यादा समय नहीं लगता लेकिन उसे साफ करने में ज्यादा समय लगता है, इसी प्रकार चरित्र को बिगाडऩे में ज्यादा समय नहीं लगता लेकिन उसे सुधारने में बहुत समय लग जाता है।

पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहा कि माता पुत्र का पहला गुरु है, जब तक वह उसे नहीं डांटेगा तो संतान धुत्कारी हो जाएगा। गुणनिधि के गलती पर माँ हमेशा परदा डालती रहती थी, लेकिन एक दिन पिताजी ने पूछा तो पत्नी झूठ बोलने लगी। गुनाह वह घाव है जिस पर खाली पकड़ा डाल दिया जाए तो वह छिप जाएगा लेकिन जब तक उसमें मलहम नहीं लगेगा वह भरेगा ही नहीं। अब की सास समझदार हो गई और अपने बहु के साथ कदम से कदम मिलकर चल रही है, पहले अधिकांश सास और बहु में लड़ाई होते रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। गुणनिधि मंदिर में चोरी करने लगा तो देखा कि एक दीपक जल रहा था और पास में रखा कपड़ा निकालकर गुणनिधि ने उसे जला दिया और सात बार उसे घूमा दिया और प्रकाश फैल गया और वहां से सामान चोरी कर निकल गया। उसी दौरान पुजारी के नीचे गिर गया और उसका पर्दाफाश हो गया और लोगों ने उसकी पिटाई करनी शुरु दी लेकिन वह मरा लेकिन क्योंकि उन्होंने मास शिवरात्रि में भूलवश ही कपड़ा जलाकर भगवान शिव की आरती उतारी थी और उसी का भल उसे यमराज ने मृत्यु के बाद शिवलोक भेज दिया।

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