छत्तीसगढ़

तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं, कमाल तो ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं

Nilmani Pal
10 Feb 2023 6:09 AM GMT
तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं, कमाल तो ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुए विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मेरे साथ देश के 140 करोड़ जनता का विश्वास है, मैं अनर्गल आरोपों को ध्यान नहीं देता। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को जवाब देते हुए मशहूर कवि दुष्यंत कुमार का एक गजल पढ़ा था जिसमें उन्होंने कहा था कि तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं, कमाल तो ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं। ऐसा गजल पेश कर विपक्ष की बोलती बंद कर दिया था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि विपक्षी चाहे लोकसभा के हो या छत्तीसगढ़ विधानसभा के विपक्षी हों, पीएम का गजल दोनों जगह फिट बैठ रहा है।

कुमारी शैलजा की क्लास में सुनाया दुखड़ा

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी सचिव कुमारी शैलजा ने विधायकों से अलग-अलग मिलकर उनकी परेशानी जानने कि कोशिश की। मंत्रियों की कार्यशैली से कुछ विधायकों के आहत होने की सूचना प्रदेश प्रभारी तक पहुंच गई ? अब सवाल ये उठता है कि कुमारी शैलजा उन विधायकों को परेशानी से किस तरह मुक्त करती है। सत्ता और संगठन से समन्वय बनाकर चलने की पूर्व प्रभारी पीएल पुनिया की नसीहत क्या उनके विदाई के साथ थम गई या जनता की अपेक्षा में खरा उतरने के लिए सत्ता और संगठन का सहयोग नहीं मिल रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि विधायक तो सवा चार साल में फारच्यूनर, इनोवा-स्कार्पियो में आ गए है और जनता वहीं की वहीं है ऐसे में जनता ही उनके माइनस को प्लस में बदलेगी, तो फिर अगला चुनाव हाथ से हाथ जोडऩे से पूरा हो जाएगा या फिर और कुछ काम करना पड़ेगा। नेताओं को चाहिए की जनता के बीच जाकर अपने किए वायदे का आंकलन करें नहीं तो जनता जनार्दन वोट से आंकलन कर देगी। किसी ने ठीक ही कहा है कि समाज का जो कर्ज है वो तो चुका दो यारो,जीते जी समाज सेवा में थोड़ा हाथ तो बंटा दो यारो।

राजनीति जो करवाए सो कम ...

राजनीति जो करवाए, जो बोलवाये कम है। हमारे यहां राजनीति बिना जातिवाद के शुरू होता ही नहीं। पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने बोले थे हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिन्दू हैं। अब बारी आई पंडितों की, उन्होंने बोले की जाति व्यवस्था ब्राम्हणों ने बनाई है। उन्होंने कहा कि भगवान की नजर में मेरे लिए एक समान हैं उनमें जाति या वर्ण नहीं है। स्वाभाविक है ऐसे बयान से ब्राम्हणों की भोंहे तो तनेगी ही, अब सफाई दिया जा रहा है कि ब्राम्हण का मतलब विद्वान होता है। जनता में खुसुर फुसुर है कि तरकस से निकला हुआ तीर फिर लौटकर तरकस में वापस नहीं आ सकता। शंकराचार्य जी को यह समझना चाहिए कि अनादिकाल से राजशाही शासनकाल में राजगुरू, अर्थ, शिक्षा, संस्कृति, सुरक्षा कि जिम्मेदारी ब्राम्हणों पर थी, तब उस समय ब्राम्हणों ने काम के अनुसार वर्ण व्यवस्था बनाई होगी, जो उसी पुरातन परंपरा के अनुसार चल रहा है। अब इसमें किसी को पीड़ा नहीं होना चाहिए।

रमन सिंह जी की जुबान फिसली

जुबान तो जुबान है कभी कभार अधिक मीठा या खट्टा खा लेने से फिसल ही जाती है। बात हो रही है आरक्षण बिल के अटकने पर हो रही बहस पर। हाई कोर्ट द्वारा आरक्षण पर राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी होने के बाद नेताओं में जुबानी जंग शुरू हो गई थी, इसी जंग में कूदते हुए पूर्व सेनापति डा रमन सिंह ने बोल दिया था कि जब 56 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने ही रोक लगाई थी तो अब 82 प्रतिशत कैसे वैलेड होगा। इसी बयान को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्काल सोशल मीडिया में रमन सिंह के बयान का पोस्टमार्टम करते हुए कहा कि श्रीमानजी ये 56 इंच मोदी जी के सीने की माप थी, जिसकी बात नहीं हो रही है वह अलग हटकर है जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ावर्ग के हितार्थ है, महोदय यहां आरक्षण की बात हो रही है। दरअसल पूर्व में आरक्षण 58 प्रतिशत था न कि 56 प्रतिशत और अब 82 नहीं बल्कि 76 प्रतिशत की हो रही है। बहरहाल जनता में खुसुर फुसुर है कि राजनेताओं को एक डायजेस्ट च्युंंगम बनाना चाहिए जिससे जुबानी जंग चलने से पहले उसे जीभ में चिपका दिया जाए जिससे जुबानी जमा-खर्च कम हो सके। वास्तव में आरक्षण मिलेगा कि नहीं इस पर दोनों दलों को जनहित में चर्चा करनी चाहिए। जिससे दोनों दलों की संवेदनशीलता से जनता विश्वास दृढ़ हो सके।

दुनिया का हर इंसान ऊपर वाले के हाथ की कठपुतली

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि हमारा शांति का द्वीप छत्ती़सगढ़ प्रदेश विकास की दिशा व दशा से भटकते हुए अब अपराधगढ़ के रूप में पहचान बना लिया है। जिस तरह से प्रदेश में लगातार अपराधिक घटनाएं बढ़ रही है उस पर अंकुश लगाने के दिशा में पुलिस पूरी तरह से नाकाम है। पुलिस के सामने ही अपराधी चाकूबाजी जैसी संगीन घटना को अजांम दे रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। इससे स्पष्ट है कि पुलिस कांग्रेस की कठपुतली की तरह कार्य कर रही है और कांग्रेस खुद अपराधियों का हौसला अफजाई करने में लगी है। प्रदेश में पुलिस केवल निरापराधों को फंसाने में जुटी है और अपराधी अपराध करके फरार हो जाता है तथा जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। कांग्रेस सरकार ने शांत प्रदेश को अपराध का नवा छत्तीसगढ़ गढ़ दिया है, इतिहास गवाह है, जहां-जहां कांग्रेस राज रहा है, वहां-वहां अपराध व अराजकता चरम सीमा पर रहा है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि वर्ष 2003 से पहले का कांग्रेस राज को छत्तीसगढ़ भूला नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि लोग कौशिक जी पूछने लगे है कि 2003 से 2018 तक कितनी शांति थी? राजनीति से हटकर एक आम नागरिक के नाते भगवान को हाजिर नाजिर जानकार आत्मा की आवाज सुनकर यह बताएं कि क्या आप जो बोल रहे है वह राजनीति नहीं है?

छत्तीसगढिय़ों से पंगा न लें

ठेकेदार द्वारा मजदूरों का भुगतान नहीं करना हत्या की वजह सामने आई है। मजदूरी नहीं देने की वजह से विवाद बढ़ा और राड से मारकर हत्या कर दी गई। टिकरपारा थाना पुलिस के अनुसार मूलत: महाराष्ट्र, लातूर निवासी रमेश मुर्मे उर्फ बालाजी ठेकेदारी करता था। हत्यारे बलौदाबाजार निवासी रोमन लाल कन्नौजे को गिरफ्तार किया गया। पुलिस को बताया कि उसके साथ तीन से चार मजदूर ठेकेदार के अंडर में काम करते हैं। ठेकेदार ने मजदूरी का भुगतान नहीं किया था। पैसा मांगने पर वह टालमटोल कर रहा था। घटना की रात जब रोमन सहित अन्य मजदूरों ठेकेदार से पैसे की मांग की तो विवाद बढ़ गया और घटना को अंजाम दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इसलिए पहले के लोग कहते थे कि मजदूरों की हाय मत लो, मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसके मजदूरी का भुगतान कर दो। क्योंकि खून पसीने की कमाई का महत्व बाहरी ठेकेदार क्या जानेगा वह तो छत्तीसगढिय़ा को बैल मान कर चलते है।यही बैल जब सांड बन जाता है तो लेने के देने पड़ जाता है।

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