छत्तीसगढ़

दिगंबर जैन धर्म के Paryushan Mahaparva में सभी दिगंबर जैन मंदिरों में महापर्व को लेकर उत्साह

Gulabi Jagat
9 Sep 2024 1:53 PM GMT
दिगंबर जैन धर्म के Paryushan Mahaparva में सभी दिगंबर जैन मंदिरों में महापर्व को लेकर उत्साह
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Raipur रायपुर: भाद्रपद मास में पड़ने वाले दिगंबर जैन धर्म के पर्युषण महा पर्व में राजधानी रायपुर के सभी दिगंबर जैन मंदिरों में महापर्व को लेकर काफी उत्साह है। सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष नरेश सिंघई ने बताया की दश लक्षण पर्व को पर्युषण महापर्व कहा जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की पंचमी से शुरू होकर भाद्रपद चतुर्दशी तक मनाया जाता है। जैन धर्म में इसे 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपुज्य भगवान के मोक्षकल्याणक के रूप में भी मनाया जाता है। जैन धर्मावलंबियों द्वारा यह पर्व आत्मा को पवित्र बनाने के लिए मनाया जाता है।जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का एक अलग ही महत्व है. इस पर्व को सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, इसलिए पर्यूषण पर्व को महापर्व भी कहा जाता है. जैन धर्म में यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है. जैनियों द्वारा इसे दशलक्षण पर्व के रुप में भी मनाया जाता है। दस दिन तक जैन धर्मावलंबिय अलग-अलग नियम,धर्म, व्रत और कर्म करते हैं. जिससे उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिलती और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
दिगंबर जैन समाज में पयुर्षण पर्व/ दसलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम शौच, पांचवें दिन उत्तम सत्य, छठे दिन उत्तम संयम, सातवें दिन उत्तम तप, आठवें दिन उत्तम त्याग, नौवें दिन उत्तम आकिंचन तथा दसवें दिन ब्रह्मचर्य तथा अंतिम दिन क्षमावाणी के रूप में मनाया जाता है।
ये हैं दशलक्षण के 10 पर्व
1. क्षमा- सहनशीलता। क्रोध को पैदा न होने देना। क्रोध पैदा हो ही जाए तो अपने विवेक से, नम्रता से उसे विफल कर देना। अपने भीतर क्रोध का कारण ढूंढना, क्रोध से होने वाले अनर्थों को सोचना, दूसरों की बेसमझी का ख्याल न करना। क्षमा के गुणों का चिंतन करना।
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2. मार्दव- चित्त में मृदुता व व्यवहार में नम्रता होना।
3. आर्जव- भाव की शुद्धता। जो सोचना सो कहना। जो कहना सो करना।
4. शौच- मन में किसी भी तरह का लोभ न रखना। आसक्ति न रखना। शरीर की भी नहीं।
5. सत्य- यथार्थ बोलना। हितकारी बोलना। थोड़ा बोलना।
6. संयम- मन, वचन और शरीर को काबू में रखना।
7. तप- मलीन वृत्तियों को दूर करने के लिए जो बल चाहिए, उसके लिए तपस्या करना।
8. त्याग- पात्र को ज्ञान, अभय, आहार, औषधि आदि सद्वस्तु देना।
9. अकिंचनता- किसी भी चीज में ममता न रखना। अपरिग्रह स्वीकार करना।
10. ब्रह्मचर्य- सद्गुणों का अभ्यास करना और अपने को पवित्र रखना।
राजधानी रायपुर में दिगंबर जैन धर्म में कुल 9 दिगंबर जैन मंदिर है जहा सभी मंदिरों में श्रद्धालु रोजाना बड़ी संख्या में पहुंच कर धर्म लाभ ले रहे है। इनमे लगभग 150 वर्ष पुराना प्रमुख प्राचीन मंदिर श्री आदिनाथ दिगंबर जैन (बड़ा ) मंदिर मालवीय रोड,के अलावा श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर टैगोर नगर,श्री चंद्रप्रभ जिनालय शंकर नगर, वासुपुज्य जिनालय डी डी नगर,श्री चंद्रप्रभु जिनालय गुढियारी,श्री महावीर स्वामी जिनालय फाफाडीह श्री चंद्रप्रभ जिनालय चूड़ी लाइन,श्री पद्मप्रभ जिनालय लाभंडीह,श्री मुनीसुव्रतनाथ जिनालय कचना शामिल है।
सभी जैन मंदिरों में प्रतिदिन प्रातः 7 बजे धार्मिक क्रियाएं अभिषेक ,शांतिधारा,संगीतमय आरती,पूजन,विधान भक्त जनों द्वारा बड़े भक्ति और उल्लास पूर्वक करवाया जा रहा है।जिसमे भाग लेने वाले धर्म प्रेमी बंधु,केसरिया,श्वेत वस्त्र में भगवान पर शुद्ध प्रासुक जल से जलाभिषेक शांतिधारा कर करते है। और अष्ट द्रव्यों से निर्मित अर्घ्य चढ़ा कर सामुहिक पूजन,विधान में भाग ले रहे है। प्रतिदिन ब्रह्मचारी भईया जी द्वारा पूजन,विधान, प्रवचन, स्वाध्याय,प्रतिक्रमण धार्मिक पाठशाला का आयोजन भी करवाया जा रहा है।
प्रतिदिन सभी मंदिरों में धार्मिक के साथ साथ सांस्कृतिक आयोजन भी करवाए जा रहे है। जिससे बच्चे युवा महिलाए सभी भाग लेकर अपनी अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर सके। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन (बड़ा) मंदिर मालवीय रोड एवं श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर टैगोर नगर में बाहर से आए अध्यनरत छात्र छात्राएं,व्यापारी बंधु एवं स्थानीय साधर्मी बंधुओं के लिए भी सुबह 10 से दोपहर 03 बजे तक शुद्ध भोजन की निःशुल्क व्यवस्था भी रखी गई है। दसलक्षण महापर्व पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम इस प्रकार है 09/09/24 सोमवार :–घर घर पाठशाला - हर घर पाठशाला 10/09/24 मंगलवार सांस्कृतिक कार्यक्रम
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