वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
पूरे देश में मोदी की गांरटी शोर सुनाई दे रहा था लेकिन अब भाजपा का कुनबा बढ़ाओ अभियान का भी शोर सुनाई देने लगा है। इस बार मोदी की सरकार चार सौ पार के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में उतर चुकी है। मोदी जी सांसदों का कुनबा बढ़ाने में लगे हैं तो कार्यकर्ता पार्टी का कुनबा बढ़ाने में जुट गए, और बचे खुचे में कांग्रेसी अपनी गुटबाजी के कांग्रेस को कार्यकर्ता मुक्त करते जा रहे हैं जिसका परिणाम यह है कि अब कांग्रेसियों को लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिए उम्मीदवार का टोटा पड़ गया है। जो लोग पहले कुनबा में शामिल हो गए उन्हें भाजपा ने टिकट देकर नवाजा भी है। और जो बचे हैं उन्हें भाजपा वाले कचरा कह रहे है। जिस पर दोनों पक्षों में तनातनी का माहौल है। टिकट के लिए नेतागण दल बदल कर रहे है उस पर एक शेर याद आया-वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से।
चलो भाई जेल जाकर आते हैं
जगह-जगह अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में वजन घटाओ का विज्ञापन चलते रहता है लोग हजारों रुपए फीस देकर वजन घटाने जाते भी है। लेकिन जिस हिसाब से नेताओं को जेल जाना पड़ रहा है जहां उनका वजन एक हप्ते में ही 5-6 किलो घट रहा है । उसे देखकर वजन घटाने की दुकान खोलने वाले काफी परेशान है एक दिन कही ऐसा न हो जाए लोग वजन घटाने इनके दुकान में न जाकर जेल की ओर रूख कर सकते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि लोग मोटे ताजे डिलडौल जेल दाखिल होते है वापस होते समय पतले दुबले सुडौल होकर निकलते है,ऐसे में वजन घटाने वालों की चिंता लाजिमी है।
सिर मुंडाते ही ओले
टिकट वितरण को लेकर बड़े नेता भी असहमत दिख रहे हैं उनके बयान से साफ जाहिर होता है कि आला कमान ने टिकट वितरण में लापरवाही की है और स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के भावना का कद्र नहीं किया है। देखा जा रहा है कि कांग्रेस के लिए शायद 2024 का साल गृहदशा के हिसाब से ठीक नहीं है। लोकसभा चुनाव में उतारे गए प्रत्याशियों को लेकर बाहरी और स्थानीय को लेकर तनातनी अब पर्दे से बाहर आकर खुले मैदान में नजर आ रही है। नेता प्रतिपक्ष डा.चरणदास महंत ने स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी को लेकर कहा है कि बिलासपुर लोकसभा सीट पर लोकल प्रत्याशी देने पर मेरी सहमति थी, देवेंद्र यादव को ऊपर से टिकट दिया गया है। पार्टी ने जिसको टिकट दिया है, वो ही हमारा कैंडिडेट है। यही हाल महासमुंद,राजनांदगाव और जांजगीर के कार्यकर्त्ता भी बोल रहे हैं। जनता में खुसीर फुसुर है कि कांग्रेस के लिए शायद 2024 का साल ग्रहदशा के हिसाब से ठीक नहीं दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में कोई चमत्कार हो जाये तो नहीं कहा जा सकता जिसका कोई सम्भावना दूर दूर तक दिखाई नही दे रही है ।
यहां का बाघ वहां का बाघ
पिछले दिनों सिरपुर बार नवापारा महासमुंद के आसपास एक बाघ घूमता दिख रहा है। आनन-फानन में जंगल विभाग वनक्षेत्रों में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए अस्थाई बेरियर भी लगवा दिया है और गांवों में मुनादी भी करवा दिया है कि बिना काम के जंगल की ओर न जाएं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में भी बाघ के आतंक की जानकारी मिल रही है पीलीभीत के लोगों ने तो साफ कह दिया जब तक बाघ के आतंक से मुक्ति नहीं मिल जाती है तब तक वोट नहीं देने देंगे। सिरपुर के बाघ का शुक्र है कि वह पीलीभीत के बाघ की तरह जनहानि नहीं कर रहा है वर्ना इधर के लोगों को भी मतदान का बहिष्कार करना पड़ता। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बाघ भी अब राजनीतिज्ञों की तरह कही पेट भर रहा है तो कहा महल खड़े करने के लिए शिकार कर रहा है। उत्तरप्रदेश का बाघ खूंखार और आदमखोर हो चुका है और छत्तीसगढ़ का बाघ पेट भरने के लिए सिर्फ मवेशियों का शिकार कर रहा है।
जिसे मौका मिला अंदर किया
छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से ओहदेदार लोग मौका का फायदा उठाने में पीछे नहीं रहे हैं। चाहे वह खुद की पार्टी का हो या शासन का। कांग्रेस की बात करें तो एक नेता ने आरोप लगाया है कि जो काम तीन लाख रूपये महीने के हिसाब से छत्तीस लाख रूपये सालाना खर्च करने में हो सकता था, उसे कांग्रेसियों के एक विशेष समूह ने छह करोड़ में करवाकर पार्टी फंड का जमकर दोहन किया । वहीं दूसरी ओर आयुष्मान प्रोत्साहन राशि के वितरण में स्वास्थ्य विभाग ने भी अनुपस्थित डाक्टरों और कर्मचारियों को भुगतान करवाकर अपना जलवा दिखाया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इंसान तो इंसान धरती के भगवान भी अब मलाई के पीछे दौड़ लगा रहे हैं।
स्मार्ट या ओवर स्मार्ट
कहते हैं कि स्मार्ट होना अच्छी बात है, लेकिन ओवर स्मार्ट होना ठीक नहीं। हमारे स्मार्ट सिटी रायपुर को ही लीजिए पिछले छह महीने पहले बाहर से आये मेहमानों को दिखाने के लिए स्मार्ट लाइट लगाया गया था, जिसकी लागत करोड़ों रूपये बताया जा रहा है। जो मेहमानों के जाने के बाद ही खराब हो गया है। बात विदेशी मोहमानों को छत्तीसगढ़ का विकास दिखाने का था, सो आनन-फानन में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए। लेकिन अब धरातल में कुछ और ही नजारा दिख रहा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि स्मार्ट होना अच्छी बात है लेकिन ओवर स्मार्ट होना खतरे से खाली नहीं। ओवर स्मार्ट निकला चोर कई बार अजीबोगरीब वाकिया सामने आ जाता है पिछले दिनों जिले में एक मोबाईल दुकान में चोरी हो गई थी। दुकानदार ने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करना चाहा, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। समय चक्र घूमा या चोर की मति मारी गई थी या चोर ओवर स्मार्ट हो गया कि छह महीने बाद मोबाईल चोर उसी दुकान में जहाँ से उसने मोबाईल सेट चोरी किया था, बेचने पहुंच गया। दुकानदार अपने मोबाईल सेट को देखते ही पहचान गया। उसने तुरंत पुलिस को फोन कर चोर को रंगेहाथों माल सहित अंदर करवाया फिर जाकर रिपोर्ट दर्ज हुआ। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब जनता को भी जनता पुलिस के नाम से सर्टिफिकेट और पहचान पत्र देना चाहिए ताकि जनता समय निकलकर चोरों को पकड़वाने में पुलिस की मदद करते रहें।
चुनाव में भ्रष्टाचार हटायेंगे
लोकसभा का चुनाव शेड्यूल जारी हो गया है नेता, अभिनेता, कार्यकर्ता सब अभी बिजी हो गए हैं किसी के पास अभी कुछ कहने-सुनने की फुर्सत नहीं है, क्योंकि जनता की सेवा का मामला है। हर कोई जनता की सेवा करने को आतुर हैं। कोई बोल रहा है भ्रष्टाचार हटाने और भ्रष्टाचार बचाने के बीच चुनावी जंग होना है। जनता में खुसुर फुसुर है कि भ्रष्टाचार सिर्फ चुनाव के दौरान क्यों दिखता है चुनाव के बाद भी दिखना चाहिए, ताकि अगला चुनाव में इस विषय पर बहस ही न हो।
करे कोई, भरे कोई
पिछले दिनों मध्यप्रदेश के एक मंत्री के बेटे ने मामूली बात पर कुछ लोगों की पिटाई कर दी और तो और फरियादी बचने के लिए थाने पहुंच तो वहां भी उन लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। मजे कि बात तो ये रही की मंत्री जी ने पुलिस पर ही आरोप लगा दिया कि मेरे बेटे को पुलिस वालों ने खूब मारा। लेकिन सीसी टीवी फुटेज में मंत्री जी की बात निर्मूल साबित हुई। अब उलटे पुलिस वाले जिन्होंने बीच बचाव किया था उन्हें ही सस्पेंशन ऑर्डर पकड़ा दिया। जनता में खुसुर फुसुर है कि इसे कहते हैं करे कोई भरे कोई।