रामानुजगंज और वाड्रफनगर में विशेष कैम्प अस्पतालों का कार्य अंतिम चरण पर, विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा पण्डो मरीजों को मिलेगा त्वरित ईलाज
बलरामपुर। पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो जनजाति समुदाय के लोगों में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है, इसलिए सभी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के बावजूद मरीज अस्पताल से वापस घर आ जाते हैं। प्रशासन द्वारा सतर्कता व समझाईश के बाद मरीजों को पुनः अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिले में विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो जनजाति के परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है, जिसके तहत अब तक जिले में 906 कैम्प लगाकर विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो जनजाति के 19 हजार 418 मरीजों का जांच एवं उपचार सुनिश्चित किया गया है। साथ ही 154 विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो जनजाति के मरीजों की स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायी गई हैं। उनके बेहतर उपचार एवं परिजनों से समन्वय हेतु प्रशासन द्वारा मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में 24 घण्टे दो व्यक्तियों की ड्यूटी भी लगायी गयी है।
ताकि उपचारत मरीजों को समन्वय एवं इलाज कराने में कोई दिक्कत न हो। इसके बावजूद कुछ विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के मरीज भ्रांति व जागरूकता के आभाव में उपचार न कराने की जिद कर अपने गांव पलायन कर गये थे। जिन्हें प्रशासन द्वारा पुनः समझा-बुझाकर अस्पताल में भर्ती कर उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजाति हेतु जिला प्रशासन सतत् रूप से उनका स्वास्थ्य जांच कराकर स्वास्थ्य कार्ड भी बनवाने का कार्य कर रहा है। रामानुजगंज एवं वाड्रफनगर में दो-दो जगहों पर विशेष पिछड़ी जनजातियों के त्वरित उपचार हेतु विशेष शिविर अस्पताल बनाने का कार्य भी अंतिम चरण में है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा संबंधित मरीजों को बिना किसी विलम्ब के प्राथमिकता के साथ जांच एवं उपचार मुहैया कराया जायेगा। कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा लगातार पिछड़ी जनजातियों के स्वास्थ्य जांच एवं उपचार के प्रगति का सतत् रूप से समीक्षा की जा रही है। साथ ही अधीनस्थ अमले को ग्राम स्तर पर निवासरत सभी पिछड़ी जनजातियों के लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर सघन निगरानी रखने एवं आवश्यकतानुसार उच्च स्वास्थ्य संस्थाओं में रेफर कर उपचार कराने के सतत् निर्देश दिये गए है। वर्तमान में जिले में 70 प्रतिशत विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा एवं पण्डों जनजाति का आयुष्मान कार्ड तैयार कर उन्हें निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है।