दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में लिखे शब्द एक प्रतिज्ञा हैं. इसकी प्रस्तावना भारत की मूल भावना है. हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्राथमिकता हैं. पीएम ने कहा कि हमारा संविधान अपने विजन के लिए जाना जाता है.
पीएम मोदी ने कहा कि गांधीजी कहते थे कि हमारे अधिकार, मूल कर्तव्य हैं, जिन्हें सच्ची इंटिग्रिटी और डेडिकेशन के साथ पूरा करते हैं. हम कर्तव्यपथ पर चलते हुए देश को नई ऊंचाई तक ले जा सकते हैं. मोदी ने कहा कि हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है. आज दुनियाभर में देश की युवा शक्ति अपना परचम लहरा रही है. संविधान और संस्थाओं की जिम्मेदारी युवाओं के कंधे पर है. न्यायपालिका न्याय दिलाने के लिए लगातार काम कर रही है. आज कानूनों को और भी सरल किया जा रहा है. लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि भारत आज हर चुनौती को पार करते हुए आगे बढ़ रहा है. भारत को अगले महीने से जी 20 की अध्यक्षता मिल रही है. ये देश के लिए एक बड़ा अवसर है.
इस दौरान पीएम ने न्यायपालिका से अपील करते हुए कहा, "संविधान दिवस पर न्यायपालिका से अग्रह है कि युवाओं में संविधान की समझ बढ़े, इसके लिए ये जरूरी है कि वो संवैधानिक विषयों पर डिबेट का हिस्सा बनें. जब संविधान बना था तब देश के सामने क्या परिस्थितियां थी और बहसों में क्या हुआ था, युवाओं को इसकी जानकारी होनी चाहिए.