छत्तीसगढ़

अरसनारा की महिलाएं सब्जी और फूलों की खेती से बन रही आत्मनिर्भर

Nilmani Pal
4 Dec 2021 5:02 PM GMT
अरसनारा की महिलाएं सब्जी और फूलों की खेती से बन रही आत्मनिर्भर
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दुर्ग। जिले के पाटन विकासखण्ड के ग्राम पंचायत अरसनारा में गौठान निर्माण के साथ-साथ चारागाह एवं बाडी भी विकसित किया गया है। ग्राम पंचायत अरसनारा में गोबर विक्रय कर ग्रामीण अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे है। जिसमें ग्राम अरसनारा के 02 स्व-सहायता समूह को सामुदायिक बाड़ी हेतु भूमि उपलब्ध करायी गई है। जिसमें महिलाएं गेंदा फूल से लेकर सब्जी, भाजी का उत्पादन भी कर रही है।

जिसमें उद्यानिकी विभाग द्वारा 3,000 गेंदे के पौधे और प्याज, भिन्डी, लौकी एवं बैगन के बीज पर नगद अनुदान दिया गया। उद्यानिकी विभाग से अनुदान के साथ समय-समय पर तकनीकी सहायता हेतु विभाग के अधिकारियों द्वारा नियमित मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया जा रहा है। शुरुआत में पंचायत द्वारा स्वयं आगे आकर चारागाह एवं बाड़ी का विकास का कार्य किया गया परंतु जनपद पंचायत पाटन द्वारा समूह से चर्चा कर स्व सहायता समूह को प्रेरित किया गया। जिसका परिणाम आज सबके सामने है, आज भगवती स्व-सहायता समूह एवं जय मां संतोषी स्व-सहायता समूह की महिलाएं स्वस्फुर्त कार्य कर लाभ अर्जित कर रही है। समूह द्वारा अब तक 90 हजार रुपये खर्च कर, कुल 100 क्विटंल सब्जी उत्पादन किया जा चुका है। जिसे विक्रय कर 2 लाख 35 हजार रुपये राशि प्राप्त हुआ, जिसमें समूह को 1 लाख 45 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है। आज ग्रामीण स्तर पर यहाँ की महिलाएं एनजीजीबी योजना से लोकल मार्केट में सब्जी विक्रय कर आय अर्जित कर रही है।

वर्तमान में की जा रही गंेदे के फूल की खेती से प्रतिदिन 40-50 किलोग्राम फूलों का उत्पादन किया जाता है। जिसे समूह की महिलाओं को 600-800 रुपये प्रतिदिवस तक आय की प्राप्ति होती है। श्री अंकेश साहू ने बताया गया कि गेदा के पौधों में 35-40 दिनों में फुलों का आना प्रारंभ हो जाता है। 3-4 महिनों के पौधों में लगातार फुल आते है।

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