हर बोरी पर फैक्ट्री वाले मार रहे पांच किलो की डंडी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। बलौदाबाजार जिसे में की ऐसे सीमेंट फैक्ट्री है जिसमें रिसदा, हिरमी, मांढर में सीमेंट का उत्पादन होकर पूरे देश में सप्लाई दिया जाता है। नापतौल विभाग की मेहरबानी या यूं कहे कि उदासीनता के चलते उपभोक्ताओंं प्रत्येक बोरी में पांच किलो सीमेंट कम मिल रहा है, जबकि बिलिंग 50 किलो भरती की हो रही है। सीमेंट फैक्ट्रियों अव्यवस्था के साथ प्रदूषण को लेकर हजारों कि संख्या में शिकायत मिलने के बाद भी नापतौल विभाग और पर्यावरण विभाग आंख मूंदे बैठे हुए है।
पूरे दाम वसूल कर कम सीमेंट देने का खेल
सीमेंट उद्योग में प्रबंधन ने जो तय कर लिया वहीं हो रहा है। सीमेंट भरने के लिए जो बोरी प्रिंट कराया गया उसमें 50 किलो वजन लिखा गया। जबकि सीमेंट 45 किलो ही भरा जाता है। जिसका भौतिक सत्यापन करने की जिम्मेदारी नापतौल विभाग की है। फैक्ट्री से उत्पादित सीमेंट जो उपभोक्ताओं को दिया जाता है उसका वजन निर्धारित मापदंड के अनुरूप हो और इसकी मानिटरिंग करने की जिम्मेदारी नापतौल विभाग की है। होल सेलर और फुटकर व्यापारियों के साथ के उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उचित माल मिले जिसकी जिम्मेदारी नापतौल विभाग की होती है। लेकिन नापतौल विभाग तो सीमेंट फैक्ट्रियों में वजन का भौतिक सत्यापन करने जाता ही नहीं है।
सीमेंट की लूट का असर ऊपर से नीचे तक
सीमेंट की बोरी में 5 किलो कम मिलने का असर होलसेलर से सेलर तोक और पुटकर विक्रेताओं को झेलना पड़ता है। बाकी बचा खूचा निर्माणकर्ता या मकान बनाने वाले गरीब मजदूरों और मध्यमवर्गीय परिवार को झेलना पड़ता है। सीमेंट के दाम में हो रहे लगातार वृद्धि के बाद भी बोरी के वजन में हो रही भरती में कोई सुधार नहीं हो रहा है। अब तो मकान बनाने की सोचने भी आम जनता के लिए गुनाह हो गया है। सीमेंट के दाम में हो रही लगातार लूट से हर बर्ग का उपभोक्ता लूटा पिटा महसूस कर रहा है।
सीमेंट के बढ़ते दाम से निर्माण कार्य ठप
प्रदेश में निर्माण उद्योग से जुड़ बिल्डर्स पिछले दो साल से सीमेंट के बढ़ते दाम से सबसे अधिक प्रभावित है। सारे प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही सालों से बंद पड़े है। जिसमें बिल्डर्स के करोड़ों रुपए निवेश कर रखा है। वहीं लगातार सीमेंट के दाम में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते बिल्डर्स के कार्य पूर्णत: ठप पड़े है।
वही हाल लोहा उद्योग का भी
सीमेंट की तरह लोहा उद्योग में भी उत्पादकों की मनमानी चल रही है। गुणवत्ता और वजन को लेकर लोहा कारोबार सबसे ज्यादा बदनाम है। जिसमें उत्पादन में गड़बड़ी से लेकर माल सप्लाई तक गड़बड़ी का सिलसिला जारी रहता है। जिसमें होलसेलर से लेकर थोक विक्रेताओं से लेकर रिटेलर्स के साथ निर्माण उद्योग से जुड़े कारोबारियों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। जिसकी शिकायत चेंबर और उपभोक्ता फोरम में करने के बाद भी खरीदार को कोई राहत नहीं मिल पा रहा है।
नापतौल विभाग और फैक्ट्री प्रबंधन में सांठगांठ
नापतौल विभाग और सीमेंट उद्योग से जुड़े मिलीभगत पूरे प्रदेश में जगजाहिर है। नापतौल विभाग के मानिटरिंग प्रमुख सूर्यपाल सिंह राय और फैक्ट्रियों के प्रबंधन से याराना संबंध के चलते बलौदाबाजार जिले के किसी भी सीमेंट फैक्ट्री नापतौल विभाग के कर्मचारी मासिक मानिटरिंग करने नहीं पहुंचते। मांढऱ, हिरमी, रिसदा के सीमेंट फैक्ट्रियों में बोरी की भर्ती वजन में गड़बड़ी बदस्तूर जारी है। फैक्ट्री में जो तौलकांटा और धर्मकांटा लगा है उसके हिसाब से होलसेलर को सीमेंट की सप्लाई दी जाती है। हर बोरी में 5 किलो कम देकर सीमेंट फैक्ट्री वाले मालामाल हो रहे है। वहीं निर्माण कार्य में लगे उपभोक्ता सीमेंट की दोहरी मार से दो-चार हो रहे है। वजन कम मिलने के साथ ही 50 किलो का भुगतान करना पड़ रहा है। इस तरह की गड़बड़ी नापतौल विभाग के संज्ञान में होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करती। बल्कि खानापूर्ति कर फैक्ट्री प्रबंधन को चोरी करने के लिए प्रोत्साहन और संरक्षण दे रही है।