अनुकंपा नियुक्ति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट से महिला को मिली बड़ी राहत
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति मामलें में अहम फैसला लेते हुए शासन की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि विवाहित मृतक की नौकरी पेशा माता परिवार की सदस्य की परिभाषा में नहीं आती हैं।
हाई कोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा मृतक की पत्नी के पक्ष में दिए फैसले को डिवीजन बेंच ने बरकरार रखा है। इससे अब मृतक की पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। अब यह माना जा सकता है कि यह आदेश न्याय दृष्टांत साबित होगा। जगदलपुर निवासी उदीप्तो मुखर्जी (31) शासकीय कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। उनकी मृत्यु कोरोना की वजह से हो गई। उदीप्तो की 27 वर्षीय पत्नी मुनिया ने पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। विभाग ने मृतक की पत्नी के आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उनकी सास भी शासकीय कर्मचारी है। अनुकंपा नियुक्ति नियम के अनुसार एक घर में कोई और भी शासकीय कर्मचारी हो तो किसी अन्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।
आवेदन निरस्त किए जाने पर मुनिया मुखर्जी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई। सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए मुनिया के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया। सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ शासन ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में अपील पेश की। डिवीजन बेंच ने शासन की अपील को खारिज करते हुए कहा कि शासकीय सेवक मृतक की मां परिवार की सदस्य नहीं हैं। लिहाजा पत्नी अनुकंपा नियुक्ति की पात्र है।