छत्तीसगढ़

कीमत पानी की नहीं, प्यास की होती है, कदर मौत की नहीं, सांस की होती है...

Nilmani Pal
12 April 2024 6:24 AM GMT
कीमत पानी की नहीं, प्यास की होती है, कदर मौत की नहीं, सांस की होती है...
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

जब से लोक सभा चुनाव की घोषणा हुई है तब से राजनीतिक पार्टियों में भगदड़ मच गई है। बीजेपी, बसपा,आप, सपा से भी लोग उज्ज्वल भविष्य के लिए लोग छलांग लगा रहे है लेकिन कांग्रेस में इसकी प्रतिशत बहुत ज्यादा है। कांग्रेसियों को लग रहा है कि यहां अब उनका भविष्य नहीं है इसलिए वे बीजेपी की ओर रूख कर रहे है।

इसी तरह एक कांग्रेस के एक सांसद महोदय हैं जिन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, उनके बेटे को विधायक बनाया, उनकी बहन को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था, अब उन्हें लग रहा कि कांग्रेस में उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा है और परिवार सहित बीजेपी में चले गए । बीजेपी ने उन्हें मंडल प्रमुख बना दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पुराने भाजपाइयों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक पूर्व सीएम और सांसद को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया हैै।अब उनका हक नहीं मारा जाएगा। किसी ने ठीक ही कहा है कि विश्वास जीतना बड़ी बात नहीं, विश्वास बनाए रखना बड़ी बात है-कीमत पानी की नहीं, प्यास की होती है, कदर मौत की नहीं सांस की होती है।

वारंटी-गारंटी के आगे सब फेल

देश में लोकसभा निर्वाचन 2024 को लेकर जिस तरह गहमागहमी मची हुई है, ऐसे में आम जनता की चुप्पी समझ से परे हैं या फिर मौजूदा सरकार व विपक्ष पार्टियों की वारंटी-गारंटी ने आम लोगों की जरूरतें, समस्याएं को ही गायब कर दी है। कभी प्याज की महंगाई, सत्ता सम्हालने वाले सरकार के आंख से आंसू निकालने के लिए मजबूर कर देती थी। आज रोजगार, महंगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, दवाई, पेयजल, पर्यावरण, आवास, सुरक्षा, भोजन, सामाजिक न्याय, महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार, सीमापार घुसपैठ जैसी बुनियादी समस्याएं व जरूरतें चुनावी मुद्दे नहीं बनना बल्कि वारंटी-गारंटी के इर्दगिर्द चुनावी वैतरणी पार करना आज सभी दलों के लिए सबसे सरल व सस्ता उपाय हो गया है।

चुनावी माहौल में एक ओर बदजुबानी का शोर ज्यादा सुनाई पड़ रही है, जबकि आम लोगों की आवाज दब कर रह गई है। जिसके मुंह में जो भी आ रहा बोला जा रहा है। राजनीतिक सुचिता नहीं दिख रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव से पहले बिगड़े बोल तो निकलते ही है लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब एक दूसरे के गलबहिया करते है।

भाषायी मर्यादा को तोड़ते नेतागण

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि एक गरीब का बेटा, चाय बेचने वाले का बेटा देश का प्रधानमंत्री हैं। यह बात कांग्रेसियों को बिल्कुल भी हजम नहीं हो रही है। अभद्र टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत और कवासी लखमा को जमकर लताड़ा। लखमा के मोदी मर जा वाले बयान को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है, सब पागल हो गए हंै। छग सहित देश में नेताओं व्दारा भरी सभा में एक दूसरे के खिलाफ जिस तरह का भाषा का प्रयोग कर रहे है यह ठीक नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कौन किसको बर्दाश्त करता है कम्बख्त ये तो वक्त का तकाजा है।

कौन किसे सिखाए नैतिकता

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर अभद्र टिप्पणी किया तब भाजपाई चुप थे। भाजपाई बतायें एक सांसद की दिवंगत पत्नी को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड कहा। संसद के भीतर महिला सांसद को सूर्पणखा कहा। शहीद परिवार की एक सर्वमान्य नेत्री को कांग्रेस की विधवा और जर्सी गाय कहा। पूर्व प्रधानमंत्री और विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह पर रेनकोट पहनकर नहाने की बात कहकर मजाक बनाया।

निर्वाचित मुख्यमंत्री को मायावी राक्षस कहा। भारत में जन्म लेना पाप है, राजनीतिक पार्टियों को उनके नेताओं को नैतिकता का पाठ सिखाना चाहिये। जनता में खुसुर-फुसुर है चुनाव के बाद दोनों पार्टी के नेता नैतिक शिक्षा की परीक्षा देंगे?।

चोर पकड़ना पुलिस के मूड के ऊपर तो नहीं

पिछले दिनों शहर के एक मॉल से महिला का पर्स किसी ने उड़ा दिया, जिसमें उनका एटीएम कार्ड और मोबाईल भी था। मजे की बात सीसीटीवी फुटेज में चोर पर्स लेकर निकलते स्पष्ट दिख रहा है। चोर दूसरे दिन एटीएम कार्ड के जरिये पच्चीस हजार रूपये निकल भी लिया और तो और चोरी गया मोबाईल फोन भी एक्टिव था। कहते हंै चोर कुछ न कुछ सबूत छोड़ जाता है । ये ऐसा चोर था कि एक नहीं कई सबूत छोड़ गया था उसके बावजूद चोर पकड़ा में नहीं आया। वही दूसरी ओर उरला क्षेत्र में एक फैक्ट्री कर्मी की हत्या हो गई थी हत्यारा हावड़ा जाने वाली ट्रेन में बैठ कर भागने लगा फुटेज को देख कर पुलिस ने उसे राउरकेला से दबोच लिया। जनता में खुसुर फुसुर है कि अब ऐसा लग रहा है कि पुलिस किस मामले को कितना महत्वपूर्ण मानती है और कार्रवाई करती है?

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