छत्तीसगढ़

छतरी वाले ने पेश की मानवता की मिसाल

Nilmani Pal
30 May 2023 11:26 AM GMT
छतरी वाले ने पेश की मानवता की मिसाल
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छग का मामला
रायपुर। कहते है अपनी ख़ुशी के लिए तो हर कोई जीता है पर जो दूसरो की तकलीफ़ को अपना समझ कर उनकी तकलीफ़ में शामिल हो वही इंसानियत है, असली पुण्य की कमाई दूसरो को सुख दे कर मिलता है और उसका कोई मोल नहीं होता।

गरियाबंद में तेज गर्मी की वजह से जहां घरों में बैठे लोग परेशान हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जिनके पेट की आग के सामने तपती गर्मी भी बौनी है. गरियाबंद में जूते बेचने वाले मोची हो या सब्ज़ी विक्रेता धूप की मार एक साथ सभी झेल रहे हैं. गरियाबंद मेंन रोड हो या बाजार खुले आसमान के नीचे लगाया जा रहा है. नवतपा में 40-45 डिग्री की तपती गर्मी में भी रोड किनारे दुकान लगाने वाले छोटे दुकानदार सब्ज़ी वाले और मोचियों के पास एक छतरी के नीचे बैठने के अलावा और कोई दूसरा सहारा नहीं है.ऐसे समय पर एक नाम जो सबको याद आता भावेस भाई समाज सेवी भावेश भाई समाज सेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है हर साल वो प्याऊ लगाते है और रेहड़ी मज़दूर सड़क किनारे बैठे दुकानदारों को धूप से बचने के लिए निःशुल्क छतरी भी वितरण करते है,पूरे ज़िले में भावेश भाई की इस सरहानिय पहल की चर्चा है और लोग उन्हें भी भावेश भाई छतरी वाले कहते है.

मेन रोड पर मोची का काम कर रहे मोची चाचा बताते हैं कि सुबह 9 बजे से वो जूते चप्पल लेकर घर से निकलते है और रोड पर ही अपना दुकान लगाते है मेंन रोड में कही लार भी शेड या छाँव नहीं होने की वजह से सुबह से ही गर्मी पड़ने लगती है और धूप में ऐसे ही उन्हें जूते बेचने के साथ पोलिस करने के लिए बैठना पड़ता है. मोची चाचा का कहना ना तो उनके पास दुकान है और ना ही वे आर्थिक रूप से इतने मजबूत है कि वे किराए से दुकान ले कर अपना जीवन यापन करे रोड में बैठने के आलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है. पेट की आग बुझानी है तो ये गर्मी झेलनी ही होगी. ऐसे में रोड में बैठना और गर्मी सहन करना बर्दासत से परे है और ऐसे वक्त में भावेस भाई ने रोड में ही हमें धूप से बचने के लिए बड़ी छतरी लगा दी जो मेरे लिए बेहद कारगार साबित हो रहा है मै दिल से उनका धन्यवाद करता हूँ की वो हम जैसे छोटे दुकानदारो की पीड़ा समझ कर हमें धूप से बचाने के लिए छतरी लगा रहे है, वही गायत्री मंदिर के सामने सड़क किनारे मोटर सायकल की दुकान लगाने वाले मिस्त्री राजा ने कहा भावेश भाई ने आज मेरे दुकान आ कर एक छतरी दिया मैं उनका दिल से धन्यवाद करता हूँ.

हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया है तो हमारा यह कर्म भी होना चाहिए कि हम दूसरों के काम आ सकें। अपने सामर्थ्य से अपने साधन से जो ईश्वर के द्वारा हमें प्रदत वरदान है उन लोगों में बांटना चाहिए, जिसको इसकी आवश्यकता होती है, तब ही हम अपने मनुष्य होने के स्वरूप को साकार कर सकेंगे। भावेश सिन्हा कहते है मुझे अच्छा लगता है की मै किसी के काम आ सकूँ इसकी शुरुआत मैंने पिछले साल से की है,रोड से गुजरते वक़्त जब मैं रेहड़ी मज़दूरी करने वाले ठेले और रोड पर बैठे लोगो को तपती धूप में काम करते देखता हूँ तो लगता है जब हम ए॰सी॰ और कूलर में गर्मी का सामना नहि कर पा रहे है उस स्थिती में ये बिचारे कैसे अपना जीवन यापन कर रहे है और इसी लिए मुझसे जो हो सका वो मैंने किया मैंने मोची चाचा मिस्त्री भाई और सब्ज़ी वाले भैय्या के लिए छतरी लगा दी और उनके चेहरे पर मुस्कान देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई.

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