दाना-पानी का रिवायत भी अजीब है एक बार पाया नहीं कि जिंदगी भर खोना नहीं चाहते
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
पश्चिम बंगाल, गुजरात के बाद अब यूपी में बड़े नेेताओं का दाना पानी के इंतजाम के चलते भगदड़ मचा हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस को भगदड़ का दंश झेलना पड़ रहा है। गुजरात में हार्दिक और पंजाब में सुनील जाखड़ के दिल्ली से कपिल सिब्बल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर नए आशियाना में पहुंच गए है। पश्चिम बंगाल ममता बैनर्जी से टूट कर भाजपा में शामिल हुए सभी नेता वापस टीएमसी में पहुंच जाने के लिए आतुर दिखाई दे रहे है। बाबुल सुप्रियो ने भाजपा की डमरू छोड़कर ममता राग अलाप रहे है वहीं हार्दिक पटेल ने यह कहकर कांग्रेस छोड़ दिया कि राहुल गांधी के पास किसी की बात सुनने का समय नहीं है। पंजाब में सुनील जाखड़ सिद्धू और चन्नी के राजनीति के शिकार होकर भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस को नमस्कार कह दिया। अब रही सही कसर कपिल सिब्बल ने पूरी कर दी। लोकसभा चुनाव 2024 में है लेकिन बैठे ठाले नेताओं ने अपने दाना पानी के इंतजाम के लिए अभी से उड़ान भरना शुरू कर दिया है। वहीं पंजाब में भ्रष्टाचार के मामले में सीएम भगवंत मान मंत्रियों को बर्खास्त कर रहे हंै। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोई भी नेता सत्ता से दूर नहीं रहना चाहता, अपने शानो-शौकत को बनाए रखने कूद-फांद मचाते रहते हैं। जिससे दाना-पानी का इंजताम सरकारी खर्च पर होता रहे। पश्चिम बंगाल में भाजपाई और गुजरात, पंजाब में कांग्रेसी सत्ता से दूर होते ही अपने को मीडिया में चर्चा बनाए रखने के लिए ये उपक्रम करते रहते हैं। ये गुलजार साहब के शेर से मिलता जुलता शेर यहां फिट बैठ रहा है कि दाना-पानी का रिवायत भी अजीब है एक बार पाया नहीं कि जिंदगी भर खोना नहीं चाहते ।
यूपी-बिहार वालों को काड़ी करके बुरे फंसे राजठाकरे
मुंबंई की राजनीति में बाल ठाकरे के नक्शेे कदम पर चलने वाले मनसे के नेता राजठाकरे राजनीति की मुख्यधारा में आने के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन आज से 20 साल पहले मुंबई से यूपी-बिहार वालों को महाराष्ट्र से निकालने की मुहिम चला कर अब उलझ गए हैं। राजनीति चमकाने भाजपा के सहयोग से कभी हनुमान चालीसा तो कभी लाउडस्पीकर के सहारे आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनाव में वैतरणी पार करना चाहते है। अयोध्या जाने का कार्यक्रम बनाया तो सांसद बृजभूषण सिंह ने विरोध कर किए धरे में पानी फेर दिया। सांसद ने कहा कि जैसे राजठाकरे ने यूपी-बिहार वालों को भगाया, वैसे ही उसे दोनों जगह घुसने नहीं दिया जाएगा। किसी ने ठीक ही कहा है कि कुछ नया लिखने के लिए कुछ पुराना मिटाना होगा, दर्द भी दिखाना होगा और मुस्कुराना होगा, लेकिन नया लिखने के लिए राजठाकरे को यूपी -बिहार वाले पुराना मिटाने का मौका ही नहीं दे रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जस करनी तस करम गति।
शुकराना में गया मंत्री जेल, मान ने बढ़ाया पंजाब का मान
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डा. पिंगला को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत के साथ गिरफ्तार करवा कर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। इस तरह मान ने मुख्यमंत्रियों को एक्शन आइडिया दे दिया है। भगवंत मान ने डा. विजय पिंगला को शुकराना की मांग ने जेल तक पहुंचा दिया। मुख्यमंत्री तक पहुंची आडियो रिकार्डिंग में पिंगला एक व्यक्ति से कह रहे है कि अपने भतीजे की शुकराना देना चाहिए। मुख्यमंत्री भगवंत ने पिंगला को रिकार्डिंग सुनाई और पूछा यह आवाज आपकी है। बोले हां-और गलती मानकर रोने लगे। मुख्यमंत्री ने तत्काल बर्खास्त कर पिंगला को गिरफ्तार करवा कर पंजाब का मान बढ़ा दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि इसी तरह देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन लेने लगे तो देश में फिर से रामराज्य आ जाएगा। लोग इस शुकराना से तौबा कर लेंगे। वरना जेल का दायरा बढ़ाना पड़ जाएगा।
फिल्म सिटी पर लग गई है किसी की नजर
नया रायपुर में प्रस्तावित फिल्म सिटी को मिलने वाली जमीन 115 एकड़ चिन्हित होने के बाद भी लटक गई है। पिळ्म सिटी सेक्टर 39 में ग्राम खंडवा के पास करीब 115 एकड़ जमीन चयनित भी हो गई है। लेकिन संस्कृति विभाग को हैंडओव्हर नहीं हुई है। भूमि आवंटन व निर्धारित दर के संबंध में राज्य शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद भी कौन रोड़ा अटका रहा है यह अभी तक अज्ञात है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी संस्कृति और रीति रिवाज, खान-पान को प्रोत्साहित कर रहे है जो परदेसिया अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है। क्योंकि उनके दाना-पानी का इंतजाम किसी भी फिल्म निर्माता निर्देशक ने करने के लिए आगे नहीं आने से मामला अटक रहा है। परदेसिया अधिकारी तो सिर्फ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भुना रहे है। वो तो काकटेल वाले है उन्हें मडिया और बासी से कोई लेना देना नहीं है। शाम को पांच बजते ही गला सूखने लगता है। कब यहां से छूटे और गला तर करें।
राज्यसभा के लिए उछल-कूद शुरू
छत्तीसगढ़ का सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस का दोनों सीटों पर कब्जा तय माना जा रहा है। लिहाजा दो सीटों के लिए दावेदारों की फेहरिस्त रायपुर से लेकर दिल्ली तक पहुंच गई है। वहीं विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने तो खुलकर बोल दिया है कि मरने से पहले एक बार राज्यसभा में जाना चाहता हूं। कई समाज के नेताओं ने भी दावा ठोंक दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सत्ता में रहने का यही सुख होता है किसी भी कमाई वाले पद के लिए दावेदारी करना। 6 साल तक पक्का दाना पानी का इंजताम का भी मशक्कत से निजात मिल जाता है। न जनता के पास जाना पड़ता है कि वोट देना करके अनुनय विनय करने यह तो पूरी तरह फ्री फंड का श्रीखंड जैसा है। इसलिए सभी उछलकूद मचा रहे है। अब कौन बनेगा राज्यसभा सासंद यह तो सांसदों और विधायकों के साथ पार्टी हाईकमान जिसका निर्णय सर्वमान्य होगा।