राज्य का पहला राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब देवरी ख विद्यालय में उद्घाटित
भिलाई।केद्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली से संबंद्धता प्राप्त करके शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला देवरी ख अर्जुन्दा में राज्य का पहला राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब बनाया गया है। इस गौरवशाली पल में सुप्रसिद्ध मूर्तिकार अंकुश देवांगन को मुख्य अतिथि बनाया गया जिन्होंने बच्चों को निशुल्क कला प्रशिक्षण दिया और दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई। इस दौरान शाला परिवार की ओर से उनका सम्मान किया गया। अंकुश द्वारा निरंतर सामाजिक सरोकार के क्षेत्र मे कार्य करने पर प्रख्यात मॉडर्न आर्ट चित्रकार डी.एस.विद्यार्थी, आचार्य महेश चंद्र शर्मा, बी.एल.सोनी, विजय शर्मा, मोहन बराल, प्रवीण कालमेघ, मीना देवांगन तथा साहित्यकार मेनका वर्मा ने उन्हे बधाई दी है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, सीसीआरटी द्वारा बच्चों में सृजनात्मक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सांस्कृतिक क्लब के गठन की परम्परा रही है। परन्तु छत्तीसगढ़ के विद्यालयों में इसका अभाव है। बालोद जिला, अर्जुन्दा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले देवरी ख पूर्व माध्यमिक शाला ने इस दिशा मे पहल की और उन्हें संबंद्धता प्राप्त हुई है। इस उपलब्धि पर शाला परिवार ने राज्य से ललित कला अकादमी में प्रथम बोर्ड मेम्बर बनने वाले डॉ.अंकुश देवांगन को मुख्य अतिथि बनाकर एक भव्य आयोजन किया। जो यहां के छात्र-छात्राओं के लिए एक अविस्मरणीय पल बन गया। लिम्का एवं गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड से पुरस्कृत अंकुश ने यहां सरसों के दाने से भी बीस गुनी छोटी भगवान् श्री गणेश की मूर्ति, सबसे छोटी मां दुर्गा की मूर्ति तथा चांवल के छोटे-छोटे दानों पर भारत का नक्शा, चारमीनार व कुतुबमीनार जैसी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया। जिसे देखकर सभी हतप्रभ थे, कि इतनी छोटी मूर्तियां भी हो सकती है। सूक्ष्मतम कला के जादू और मोहपाश से वे ऊबर भी नही पाए थे कि अंकुश ने मिनटों में छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और शिक्षकों की हूबहू पेन्टिंग बनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान अंकुश ने छात्रों को विधीवत पेन्टिंग बनाने के गुर भी सीखाए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान तनाव भरे जीवन में कला ही एकमात्र साधन है जो सबको आंतरिक सूकून दे सकती है। फिर चाहे वह मूर्ति, चित्र, नृत्य, गीत या संगीतकला ही क्यों न हो। यही वजह है कि पूरी दुनिया के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में कला को शामिल किया जा रहा है। ज्ञात हो कि अंकुश भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य करते हैं तथा अपनी तमाम छुट्टियों का उपयोग इन सामाजिक सरोकारों के कार्यों में लगा देते हैं। वे विगत 35 वर्षों से खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को निशुल्क कला सिखाते आ रहे हैं ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके और वे हिंसा के रास्ते में न जाएं। इन वर्षों में वे हजारों बच्चों को प्रशिक्षण दे चुके हैं जिसका उचित प्रतिफल भी सामने आते रहा है और वे एक श्रेष्ठ नागरिक बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। उनके कला की बात करें तो उन्होंने दल्ली राजहरा मे छः मंजिली इमारत जितने विशाल कृष्ण-अर्जुन-भीष्म पितामह रथ का निर्माण किया है जिसे विश्व का सबसे बड़ा लौहरथ माना जाता है। रायपुर के पुरखौती मुक्तागन में उन्होंने डेढ़ किलोमीटर लंबी म्यूरल बनाई है जिसे विश्व का सबसे बड़ा फोक भित्तिचित्र का अवार्ड मिला है, वहीं दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियों के लिए भी उन्हें लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड का एवार्ड मिला है। भिलाई के सिविक सेंटर में कृष्ण-अर्जुन रथ, रूआबाधा का पंथी चौक, बोरिया गेट का प्रधानमंत्री ट्राफी चौक, सेक्टर 1 का श्रमवीर चौक, सेक्टर 8 सुनीति उद्यान की एथिक्स प्रतिमाएं, भिलाई निवास का नटराज और छोटा परिवार चौक उनके उत्कृष्टतम कला की गवाह है। दुर्गापुर स्टील प्लांट पश्चिम बंगाल, सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा, राजभवन भोपाल और मदकूद्वीप में भी उन्होंने कालजयी कलाकृतियों का निर्माण किया है। बहरहाल इस विद्यालय को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय से संबंद्धता मिलने पर अंकुश ने हर्ष जताया है तथा उम्मीद की है कि यहां के बच्चे कलाजगत में देश का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने हमर धरोहर नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम संचालित करने के लिए यहां के प्रभारी शिक्षक युगल देवांगन, प्रधानपाठक राजेश वर्मा, संकुल समन्वयक शैलेन्द्र पांडे, लेक्चरर नागेंद्र कामड़े, शिक्षिका हरिका साहू तथा शशि कला बंजारे को बधाई दी है।पर्क